इंदौर। जिले के गोविंदराम सेकसरिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस के छात्रों ने मिलकर सड़क दुर्घटनाओं से बचने के लिए एंटी-स्लीप अलार्म मॉडल बनाया है. डिवाइस को वाहन के तंत्र से जोड़ा जा सकता है और चश्मे में फिट किया जा सकता है. जब वाहन चलाते समय चालक 5 सेकेंड से ज्यादा टाइम तक अपनी आंखें बंद करता है तो यह आवाज करेगा, लेकिन अगर ड्राइवर नहीं जागा तो गाड़ी का पहिया धीरे-धीरे कर थम जाएगा, जिससे दुर्घटना नहीं होगी.
छात्रों ने बनाया एंटी-स्लीप अलार्म मॉडल: होशंगाबाद जिले के शोभापुर में हुई एक भीषण दुर्घटना की वजह से महज 800 रुपए के खर्च पर यह अविष्कार अस्तित्व में आया है, जिसका उपयोग भविष्य में सार्वजनिक बसों और सामान्य कारों में किया जा सकेगा. देशभर में वाहन चलाते वक्त नींद लगने के कारण कई सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिसकी वजह से बड़ी संख्या में लोग अपनी जान गवां देते हैं. 2021 में भी भारत के विभिन्न इलाकों में जिन डेढ़ लाख लोगों की मौत हुई, उन दुर्घटनाओं में भी थकान या ड्राइवर को नींद आना बड़ा कारण रहा है. नतीजतन जीएसआईटीएस इंजीनियरिंग कॉलेज के अभिज्ञान पुरोहित, अनिरुद्ध शर्मा, दर्शन जैन, अभिषेक पाटीदार और अक्षय नायक ने मिलकर कुछ दिनों की मेहनत में एंटी स्लिप अलार्म डिवाइस का प्रोटोटाइप मॉडल तैयार किया है.
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कैसे काम करेगा ये डिवाइस: इस डिवाइस में प्राथमिक स्तर पर एक चश्मा दिया गया है जो आंख खोलने और बंद होने पर उसके सफेद हिस्से को रीड करता है. जब आंख बंद हो जाती है तो डिवाइस से एक अलार्म बजना शुरू हो जाता है, 5 सेकेंड तक अगर आंख नहीं खुलती तो इस डिवाइस के जरिए कार के पहिए लॉक होने की स्थिति में आ जाएंगे. कार और बस में ऐसी ही स्थिति बनने पर ड्राइवर की आंख बंद होते ही इस डिवाइस का अलार्म बज जाएगा और फिर भी अगर ड्राइवर 5 सेकेंड तक आंख नहीं खोलेगा तो बस या गाड़ी अपने आप रुक जाएगी. हालांकि शुरुआती दौर में इस डिवाइस को और अपग्रेड किया जा रहा है, जिसमें चश्मे और गॉगल को हटाकर डिवाइस का सेंसर कार के ड्राइविंग ग्लास और फ्रंट ग्लास में फिट किया जा सकेगा, जिससे अपने आप डिवाइस संबंधित गाड़ी में ड्राइवर की आंख की स्थिति को गाड़ी चलने के दौरान रीड कर सकेगा.
उत्तर प्रदेश में डिवाइस की टेस्टिंग शुरू: एंटी स्लिप अलार्म डिवाइस बनाने वाली टीम के दर्शन जैन ने बताया कि "फिलहाल इसी तरह के डिवाइस की टेस्टिंग उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देश पर वहां की कुछ गाड़ियों में लगा कर की जा रही है. जल्द ही इस डिवाइस को अपग्रेड करने के बाद इस तरह के डिवाइस पर काम करने के लिए पूरा प्रोजेक्ट मध्य प्रदेश सरकार के परिवहन विभाग के संज्ञान में भी लाया जाएगा, जिससे कि इस प्रयोग को दुर्घटनाएं रोकने को लेकर भविष्य की जरूरतों के मुताबिक गाड़ियों में उपयोग किया जा सके."