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कलेक्टर की फटकार, CMHO के आंसू पर कांग्रेस का तंज, सरकार को बताया जिम्मेदार - कलेक्टर मनीष सिंह

इंदौर में कोरोना समीक्षा बैठक के दौरान कलेक्टर द्वारा सार्वजनिक रूप से सीएमएचओ की फटकार लगाने के बाद उनकी तबीयत खराब हो गई थी.जिसके बाद बुधवार को सीएमएचओ अवकाश पर चले गए हैं. वहीं कांग्रेस ने कोरोना की रोकथाम के लिए सरकार की स्पष्ट नीति ना होने का आरोप लगाया है.

Praveen Jadiya, CMHO
प्रवीण जड़िया, सीएमएचओ
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Published : Dec 9, 2020, 3:37 PM IST

इंदौर। कोरोना की बढ़ते मामले के चलते बीते दिन इंदौर में कलेक्टर ने समीक्षा बैठक बुलाई थी. जिसमें कोरोना की रोकथाम को लेकर पूछे गए सवाल पर अधिकारियों से जवाब न मिलने पर कलेक्टर मनीष सिंह ने सीएमएचओ प्रवीण जड़िया को फटकार लगाई थी, जिसके बाद उनकी तबीयत खराब हो गई थी. सीएमएचओ तबीयत खराब होने के चलते छुट्टी पर चले गए हैं. वहीं अब इस मामले ने सियासी रंग ले लिया है, जहां कांग्रेस का आरोप है स्पष्ट नीति नहीं होने के कारण अधिकारी एक-दूसरे से भिड़ रहे हैं.

कांग्रेस का बीजेपी पर तंज

कांग्रेस ने शिवराज सरकार को ठहराया जिम्मेदार

कांग्रेस से प्रदेश सचिव राकेश सिंह यादव का कहना है कि कोरोना नियंत्रण करने के लिए शिवराज सरकार के पास कोई स्पष्ट नीति नहीं है. जिसके चलते जिले में संक्रमण तेजी से फैल रहा है. वहीं इन सब के चलते अधिकारियों पर वर्क लोड पड़ रहा है. यह वजह है कि कार्यालयों में डांट फटकार और एक दूसरे से भिड़ने जैसी स्थिति बन रही.

बैठक में कलेक्टर ने सीएमएचओ को लगाई थी फटकार

बता दें इंदौर कलेक्टर ने बढ़ते कोरोना संक्रमण और मातृ मृत्यु दर के कारण सीएमएचओ प्रवीण जड़िया को समीक्षा बैठक में सार्वजनिक रूप से फटकार लगाई थी. जिसके बाद सीएमएचओ रोते हुए बैठक से बाहर आ गए हैं. वहीं डांट के चलते उनकी तबीयत अचानक खराब हो गई थी. जिसके बाद उन्हें तुरंत एक निजी अस्पताल में ले जाया गया. जहां ईसीजी कराए जाने के बाद वह 5 दिन की मेडिकल लीव पर चले गए हैं.

सीएमएचओ की लगाई थी फटकार

पढ़ें:लेक्टर की डांट से CMHO की बिगड़ी तबीयत, रोते हुए बैठक से निकले बाहर

काम नहीं करने पर लगाई जाएगी फटकार

वहीं इस बारे में जब कलेक्टर से बात की गई तो उन्होंने कहा था कि यह चलता रहता है. जो काम नहीं करेगा उसको फटकार लगाई जाएगी. कलेक्टर ने कहा था जिला अधिकारी का एक्टिव रहना बहुत जरूरी है. साथ ही उन्होंने कहा था कि सीएमएचओ के अंडर में प्रसूति सहायता प्रकरण है और आज की स्तिथि में कोविड-19 मैनेजमेंट के बहुत सारे मामले है, जिसके चलते कई सारे इश्यूज रहते हैं. कहीं भी कोई लापरवाही संबंधित अधिकारी द्वारा की जाती है, तो जिला अधिकारी का दायित्व बनता है कि उस अधिकारी को उसके काम के प्रति सजग और जागरूक रखें. जिसके लिए डांटना जरूरी होता है. तभी शहर के लोगों को राहत मिलेगी.

इंदौर। कोरोना की बढ़ते मामले के चलते बीते दिन इंदौर में कलेक्टर ने समीक्षा बैठक बुलाई थी. जिसमें कोरोना की रोकथाम को लेकर पूछे गए सवाल पर अधिकारियों से जवाब न मिलने पर कलेक्टर मनीष सिंह ने सीएमएचओ प्रवीण जड़िया को फटकार लगाई थी, जिसके बाद उनकी तबीयत खराब हो गई थी. सीएमएचओ तबीयत खराब होने के चलते छुट्टी पर चले गए हैं. वहीं अब इस मामले ने सियासी रंग ले लिया है, जहां कांग्रेस का आरोप है स्पष्ट नीति नहीं होने के कारण अधिकारी एक-दूसरे से भिड़ रहे हैं.

कांग्रेस का बीजेपी पर तंज

कांग्रेस ने शिवराज सरकार को ठहराया जिम्मेदार

कांग्रेस से प्रदेश सचिव राकेश सिंह यादव का कहना है कि कोरोना नियंत्रण करने के लिए शिवराज सरकार के पास कोई स्पष्ट नीति नहीं है. जिसके चलते जिले में संक्रमण तेजी से फैल रहा है. वहीं इन सब के चलते अधिकारियों पर वर्क लोड पड़ रहा है. यह वजह है कि कार्यालयों में डांट फटकार और एक दूसरे से भिड़ने जैसी स्थिति बन रही.

बैठक में कलेक्टर ने सीएमएचओ को लगाई थी फटकार

बता दें इंदौर कलेक्टर ने बढ़ते कोरोना संक्रमण और मातृ मृत्यु दर के कारण सीएमएचओ प्रवीण जड़िया को समीक्षा बैठक में सार्वजनिक रूप से फटकार लगाई थी. जिसके बाद सीएमएचओ रोते हुए बैठक से बाहर आ गए हैं. वहीं डांट के चलते उनकी तबीयत अचानक खराब हो गई थी. जिसके बाद उन्हें तुरंत एक निजी अस्पताल में ले जाया गया. जहां ईसीजी कराए जाने के बाद वह 5 दिन की मेडिकल लीव पर चले गए हैं.

सीएमएचओ की लगाई थी फटकार

पढ़ें:लेक्टर की डांट से CMHO की बिगड़ी तबीयत, रोते हुए बैठक से निकले बाहर

काम नहीं करने पर लगाई जाएगी फटकार

वहीं इस बारे में जब कलेक्टर से बात की गई तो उन्होंने कहा था कि यह चलता रहता है. जो काम नहीं करेगा उसको फटकार लगाई जाएगी. कलेक्टर ने कहा था जिला अधिकारी का एक्टिव रहना बहुत जरूरी है. साथ ही उन्होंने कहा था कि सीएमएचओ के अंडर में प्रसूति सहायता प्रकरण है और आज की स्तिथि में कोविड-19 मैनेजमेंट के बहुत सारे मामले है, जिसके चलते कई सारे इश्यूज रहते हैं. कहीं भी कोई लापरवाही संबंधित अधिकारी द्वारा की जाती है, तो जिला अधिकारी का दायित्व बनता है कि उस अधिकारी को उसके काम के प्रति सजग और जागरूक रखें. जिसके लिए डांटना जरूरी होता है. तभी शहर के लोगों को राहत मिलेगी.

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