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मुफलिसी के अंधेरे में गुम हुए 'प्रभात' को मिली नई किरण

इंदौर के पहले आर्केस्ट्रा 'चटर्जी ग्रुप' के संस्थापक और एकार्डियन प्लेयर प्रभात चटर्जी की हालत की खबर प्रशासन को ली तो उन्हें प्रशासन अपने सात ले गया और उनका इलाज करवाया जा करा है.

famous Accordian Prabhat Chatterjee
'प्रभात' को मिली नई किरण
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Published : Dec 23, 2020, 12:51 AM IST

Updated : Dec 23, 2020, 2:06 AM IST

इंदौर। मंगलवार का सूरज मशहूर फनकार प्रभात चटर्जी के लिए एक नई शुरुआत लिए आया. वर्षों तक जो शोहरत की चांदनी से घिरा रहा उसे जब तन्हाई का अंधेरा मिला तो तन-मन दोनों से वे हिम्मत हार गए. पर उनके चाहने वालों ने अपने स्तर पर प्रयास किए और प्रशासन ने भी भूले-बिसरे कलाकार की सुध ली और अब गुमनाम हो चुकी प्रभात चटर्जी की जिंदगी को प्रशासन के संज्ञान में आने के बाद सहारे की उम्मीद जगी है.

'प्रभात' को मिली नई किरण

इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह को जब पता चला कि एक बुजुर्ग अकॉर्डियन प्लेयर दयनीय स्थिति में अपना जीवन यापन कर रहा है तो उन्होंने तुरंत सामाजिक न्याय विभाग को बुजुर्ग कलाकार की सहायता व उसकी देखरेख के लिए आदेश जारी किया. जिसके बाद सामाजिक न्याय विभाग के अधिकारी बुजुर्ग की सहायता करने पहुंचे.

सामाजिक न्याय विभाग के कई अधिकारी उनके घर पर पहुंचे. अधिकारी उन्हें अपने साथ वृद्ध आश्रम ले गए, जहां पर डॉक्टरों द्वारा बुजुर्ग प्रभात चटर्जी की जांच की गई. उसके साथ ही उन्हें यह भी कहा गया कि वह अपनी इच्छा के अनुसार वृद्ध आश्रम सहित जहां वह रहना चाहेंगे उन्हें वहां पर रखा जाएगा.

एक जमाने के मशहूर अकॉर्डियन थे चटर्जी

इंदौर के चटर्जी ऑर्केस्ट्रा की प्रदेश और देश मे धूम रही है, चटर्जी ऑर्केस्ट्रा को इस मुकाम पर पहुंचाने में संस्थापक प्रभात चटर्जी की भूमिका महत्वपूर्ण रही है. अकॉर्डियन चटर्जी ने संगीत प्रेमियों के दिलों में अलग पहचान बनाई थी.

'प्रभात' को मिली नई किरण

अभी भी जहन में ताजा है संगीत

वर्षों से संगीत से दूर हो चुके प्रभात का जीवन भले ही जीवन दुखभरा है, लेकिन आज भी उनमे संगीत जिंदा है. शारीरिक कमजोरी और सुनने की शक्ति भले ही कमजोर हो गई होलेकिन आज भी उनके दिमाग में उनके द्वारा स्थापित किए गए आर्केस्ट्रा चटर्जी ग्रुप के बारे में पूरी जानकारी है. मीडिया से मुखातिब होते हुए उन्होंने कहा कि 'कलाकार अपनी कला का गुलाम होता है और वह कभी अपने बारे में नहीं सोचता है.

ऐसा रहा चटर्जी का संगीत सफर

इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज से पढ़े प्रभात चटर्जी को गाने का शौक और कुछ वाद्यों को बजाने का हुनर था. उनके तीन छोटे भाई मनोज चटर्जी, प्रदीप चटर्जी और संजय चटर्जी को वाद्य यंत्रों को बजाने का खासा शौक था. जिस कारण उन्होंने साल 1975 आर्केस्ट्रा ग्रुप बनाया. 1975 के बाद तीन दशकों से भी ज्यादा समय तक इंदौर के इस आर्केस्ट्रा ग्रुप ने बेहिसाब मंचीय प्रस्तुतियां दीं. उस दौर में चटर्जी ऑर्केस्ट्रा के मुखिया प्रभात चटर्जी थे, जिन्हें इंदौर में सेलिब्रिटी स्टेटस मिला हुआ था.

इंदौर। मंगलवार का सूरज मशहूर फनकार प्रभात चटर्जी के लिए एक नई शुरुआत लिए आया. वर्षों तक जो शोहरत की चांदनी से घिरा रहा उसे जब तन्हाई का अंधेरा मिला तो तन-मन दोनों से वे हिम्मत हार गए. पर उनके चाहने वालों ने अपने स्तर पर प्रयास किए और प्रशासन ने भी भूले-बिसरे कलाकार की सुध ली और अब गुमनाम हो चुकी प्रभात चटर्जी की जिंदगी को प्रशासन के संज्ञान में आने के बाद सहारे की उम्मीद जगी है.

'प्रभात' को मिली नई किरण

इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह को जब पता चला कि एक बुजुर्ग अकॉर्डियन प्लेयर दयनीय स्थिति में अपना जीवन यापन कर रहा है तो उन्होंने तुरंत सामाजिक न्याय विभाग को बुजुर्ग कलाकार की सहायता व उसकी देखरेख के लिए आदेश जारी किया. जिसके बाद सामाजिक न्याय विभाग के अधिकारी बुजुर्ग की सहायता करने पहुंचे.

सामाजिक न्याय विभाग के कई अधिकारी उनके घर पर पहुंचे. अधिकारी उन्हें अपने साथ वृद्ध आश्रम ले गए, जहां पर डॉक्टरों द्वारा बुजुर्ग प्रभात चटर्जी की जांच की गई. उसके साथ ही उन्हें यह भी कहा गया कि वह अपनी इच्छा के अनुसार वृद्ध आश्रम सहित जहां वह रहना चाहेंगे उन्हें वहां पर रखा जाएगा.

एक जमाने के मशहूर अकॉर्डियन थे चटर्जी

इंदौर के चटर्जी ऑर्केस्ट्रा की प्रदेश और देश मे धूम रही है, चटर्जी ऑर्केस्ट्रा को इस मुकाम पर पहुंचाने में संस्थापक प्रभात चटर्जी की भूमिका महत्वपूर्ण रही है. अकॉर्डियन चटर्जी ने संगीत प्रेमियों के दिलों में अलग पहचान बनाई थी.

'प्रभात' को मिली नई किरण

अभी भी जहन में ताजा है संगीत

वर्षों से संगीत से दूर हो चुके प्रभात का जीवन भले ही जीवन दुखभरा है, लेकिन आज भी उनमे संगीत जिंदा है. शारीरिक कमजोरी और सुनने की शक्ति भले ही कमजोर हो गई होलेकिन आज भी उनके दिमाग में उनके द्वारा स्थापित किए गए आर्केस्ट्रा चटर्जी ग्रुप के बारे में पूरी जानकारी है. मीडिया से मुखातिब होते हुए उन्होंने कहा कि 'कलाकार अपनी कला का गुलाम होता है और वह कभी अपने बारे में नहीं सोचता है.

ऐसा रहा चटर्जी का संगीत सफर

इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज से पढ़े प्रभात चटर्जी को गाने का शौक और कुछ वाद्यों को बजाने का हुनर था. उनके तीन छोटे भाई मनोज चटर्जी, प्रदीप चटर्जी और संजय चटर्जी को वाद्य यंत्रों को बजाने का खासा शौक था. जिस कारण उन्होंने साल 1975 आर्केस्ट्रा ग्रुप बनाया. 1975 के बाद तीन दशकों से भी ज्यादा समय तक इंदौर के इस आर्केस्ट्रा ग्रुप ने बेहिसाब मंचीय प्रस्तुतियां दीं. उस दौर में चटर्जी ऑर्केस्ट्रा के मुखिया प्रभात चटर्जी थे, जिन्हें इंदौर में सेलिब्रिटी स्टेटस मिला हुआ था.

Last Updated : Dec 23, 2020, 2:06 AM IST
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