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नगरीय निकाय एक्ट में बदलाव का कांग्रेस ने किया स्वागत, तो विरोध में बीजेपी - सीएम कमलनाथ

नगरीय निकाय एक्ट में बदलाव का कांग्रेस ने स्वागत किया है, तो वहीं बीजेपी इसका विरोध कर रही है. प्रदेश सरकार ने जो नई व्यवस्था लागू की है उसके मुताबिक मेयर का चुनाव सीधे मतदाता नहीं करेंगे, बल्की अब पार्षद मेयर को नर्वाचित करेंगे.

नगरीय निकाय एक्ट में बदलाव पर सियासत
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Published : Oct 9, 2019, 7:27 PM IST

इंदौर। नगरी निकाय एक्ट में किए गए बदलाव को राज्यपाल की मंजूरी मिल गई है, इसके साथ ही आगामी निकाय चुनाव नई व्यवस्था के तहत करवाए जाने का रास्ता साफ हो गया है. कांग्रेस जहां नगरी निकाय एक्ट में किए गए बदलाव का स्वागत कर रही है, तो वही बीजेपी ने इसका विरोध किया है.

नगरीय निकाय एक्ट में बदलाव पर सियासत

बीजेपी के नेता राज्यपाल से इस प्रस्ताव को मिली मंजूरी को नियमों की अनिवार्यता बता रहे हैं. लेकिन उनका ये भी कहना है कि प्रदेश सरकार के द्वारा किए गए इस बदलाव से जनता के अधिकारों का हनन होगा और बीजेपी की तरफ से इसका विरोध लगातार जारी रहेगा.

नगरी निकाय एक्ट में किए गए बदलाव पर इंदौर नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष फौजिया शेख अलीम का कहना है कि 'जिस तरह से इंदौर में महापौर के द्वारा पार्षदों की अनदेखी की जा रही थी. उसके बाद चुनाव व्यवस्था में परिवर्तन होना जरुरी था'. इस फैसले पर उन्होंने सीएम कमलनाथ को धन्यवाद भी दिया है. गौरतलब है कि प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश के सभी निकायों में महापौर और अध्यक्ष पद को अप्रत्यक्ष रूप से नियुक्त करने का प्रस्ताव कैबिनेट से पास किया गया था. जिसे पारित होने के बाद राज्यपाल को भेजा गया था. जिस पर कल राज्यपाल ने मुहर लगा दी है. इसके बाद प्रदेश में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव में महापौर का चुनाव सीधे जनता से ना होते हुए पार्षदों के द्वारा किया जाएगा.

इंदौर। नगरी निकाय एक्ट में किए गए बदलाव को राज्यपाल की मंजूरी मिल गई है, इसके साथ ही आगामी निकाय चुनाव नई व्यवस्था के तहत करवाए जाने का रास्ता साफ हो गया है. कांग्रेस जहां नगरी निकाय एक्ट में किए गए बदलाव का स्वागत कर रही है, तो वही बीजेपी ने इसका विरोध किया है.

नगरीय निकाय एक्ट में बदलाव पर सियासत

बीजेपी के नेता राज्यपाल से इस प्रस्ताव को मिली मंजूरी को नियमों की अनिवार्यता बता रहे हैं. लेकिन उनका ये भी कहना है कि प्रदेश सरकार के द्वारा किए गए इस बदलाव से जनता के अधिकारों का हनन होगा और बीजेपी की तरफ से इसका विरोध लगातार जारी रहेगा.

नगरी निकाय एक्ट में किए गए बदलाव पर इंदौर नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष फौजिया शेख अलीम का कहना है कि 'जिस तरह से इंदौर में महापौर के द्वारा पार्षदों की अनदेखी की जा रही थी. उसके बाद चुनाव व्यवस्था में परिवर्तन होना जरुरी था'. इस फैसले पर उन्होंने सीएम कमलनाथ को धन्यवाद भी दिया है. गौरतलब है कि प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश के सभी निकायों में महापौर और अध्यक्ष पद को अप्रत्यक्ष रूप से नियुक्त करने का प्रस्ताव कैबिनेट से पास किया गया था. जिसे पारित होने के बाद राज्यपाल को भेजा गया था. जिस पर कल राज्यपाल ने मुहर लगा दी है. इसके बाद प्रदेश में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव में महापौर का चुनाव सीधे जनता से ना होते हुए पार्षदों के द्वारा किया जाएगा.

Intro:प्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव में अब महापौर और अध्यक्ष के प्रस्ताव को राज्यपाल की तरफ से मिली हरी झंडी के बाद महापौर और अध्यक्ष पद पर अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव का रास्ता साफ हो गया है जिसे लेकर प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में भी समीकरण बदलना शुरू हो गए हैं


Body:प्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव में महापौर और अध्यक्ष पद पर अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव का रास्ता साफ होने के बाद कांग्रेस के नेता प्रदेश सरकार के इस फैसले को प्रदेश हित और शहरों के विकास के लाभदायक बता रहे हैं वहीं भाजपा के नेता राज्यपाल से इस प्रस्ताव को मिली मंजूरी को नियमों की अनिवार्यता बोल रहे हैं दरअसल सरकार द्वारा प्रदेश के सभी निकायों में महापौर और अध्यक्ष पद को अप्रत्यक्ष रूप से नियुक्त करने का प्रस्ताव कैबिनेट से पास किया गया था जिसे पारित करवाने के लिए राज्यपाल को भेजा गया था इस प्रस्ताव को एक बार राज्यपाल द्वारा वापस कर दिया गया था जिसके बाद इस प्रस्ताव को संशोधन कर दोबारा भेजा गया जिस पर कल राज्यपाल ने हस्ताक्षर कर पारित कर दिया है इसके बाद प्रदेश में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव में महापौर का चुनाव सीधे जनता से ना होते हुए पार्षदों के द्वारा किया जाएगा इसे लेकर कांग्रेस के नेता लगातार पक्ष में नजर आ रहे हैं इस मामले पर इंदौर नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष का कहना है कि जिस तरह से इंदौर में महापौर के द्वारा पार्षदों की अनदेखी की जा रही थी जिसमें ना सिर्फ कांग्रेस के पास शामिल थे बल्कि भाजपा के पार्षदों का भी यही हाल था उसी को लेकर उनके द्वारा सीएम से शिकायत की गई थी वहीं प्रदेश सरकार द्वारा लिए गए फैसले पर उन्होंने धन्यवाद भी दिया है

राज्यपाल से मिली महापौर के चुनाव में बदलाव की स्वीकृति को भाजपा नेताओं ने नियमों की अनिवार्यता बताया उनका कहना था कि नियमों के तहत राज्यपाल किसी भी प्रस्ताव को सिर्फ एक ही बार वापस भेज सकते हैं और अगर वही प्रस्ताव कैबिनेट से दोबारा उनके पास जाता है तो उन्हें उस पर स्वीकृति देने ही होती है लेकिन प्रदेश सरकार के द्वारा किए गए इस बदलाव से जनता के अधिकारों का हनन होगा और भाजपा की तरफ से इस मामले में विरोध लगातार जारी रहेगा

बाईट - कृष्ण मुरारी मोघे, प्रदेश अध्यक्ष, नगरीय निकाय चुनाव समिति भाजपा
बाईट - फौजिया शेख अलीम, नेता प्रतिपक्ष, इंदौर नगर निगम


Conclusion:प्रदेश में वर्तमान स्थिति में अधिकतर नगरी निकाय में भाजपा का कब्जा है ऐसे में कांग्रेस भाजपा के हाथ से कई नगरीय निकायों को सुनना चाहती है और यही कारण है कि महापौर और अध्यक्ष पद के चुनाव में कांग्रेस के द्वारा बदलाव किया गया है
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