इंदौर। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT Indore) इंदौर और राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र इंदौर के एक शोध ने इन-विट्रो मॉडल प्रणाली के जरिए नई बात की खोज की है कि एपस्टीन-बार वायरस (ईबीवी) और ग्लाइकोप्रोटीन एम (जीएम) के 12 अमीनो एसिड पेप्टाइड्स और अल्जाइमर रोग (एडी) और मल्टीपल स्केलेरोसिस (एमएस) जैसे मस्तिष्क रोगों के बीच संबंध होता है. अल्जाइमर रोग एक ऐसा मस्तिष्क विकार है, जो धीरे-धीरे याददाश्त और मनन कौशल को समाप्त कर देता है और अंततः सरल कार्यों को करने की क्षमता नष्ट हो जाती है. मल्टीपल स्केलेरोसिस (एमएस), मस्तिष्क और मेरुदंड (केंद्रीय तंत्रिका तंत्र) की संभावित रूप से अक्षम करने वाली बीमारी है.
इस तरह बढ़ता है अल्जाइमर का खतराः इसके अध्ययन से यह पता चला कि मस्तिष्क कोशिकाओं के परिवेश में जीएम और ईबीवी एक्सपोजर न्यूरोइंफ्लेमेटरी मार्कर के स्तर को बढ़ाते हैं. झिल्ली की क्षमता के स्तर पर कोशिका के पॉवरहाउस (माइटोकॉन्ड्रिया) में भी बदलाव देखे गए. मस्तिष्क विकारों से संबंधित प्रोटीन में वृद्धि पाई गई, जिससे अल्जाइमर रोग और मल्टीपल स्केलेरोसिस का खतरा बढ़ता है. शोधकर्ता डॉ. झा ने अनुसार यह अध्ययन ईबीवी और इसके पेप्टाइड ग्लाइकोप्रोटीन एम का न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के साथ सीधा संबंध दिखाता है. इसके अतिरिक्त हमने इस अध्ययन को माउस मॉडल पर भी प्रयोग किया. इन रोग विकृति के संबंध में महत्वपूर्ण संकेत पाए.
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इस शोध का नेतृत्व आईआईटी इंदौर के बायोसाइंसेज और बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हेम चंद्र झा ने किया. इनके साथ प्रियंका पात्रा अनु रानी डॉ. नेहा शर्मा और डॉ. चंद्रचूड़ मुखर्जी शामिल हैं. यह प्रोजेक्ट वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद की ओर से वित्त पोषित है और इसका प्रकाशन अमेरिकन केमिकल सोसाइटी जर्नल ऑफ केमिकल न्यूरोसाइंसेस में हुआ है.