इंदौर। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आईआईटी इंदौर द्वारा लगातार कई तरह के शोध कार्य किए जा रहे हैं इन शोध कार्यों में सफलता भी प्राप्त की जा रही है, बीते दिनों IIT के प्रोफेसरों द्वारा किए गए शोध पर अब भारतीय पेटेंट कार्यालय द्वारा पेटेंट ग्रांट की गई है, आईआईटी इंदौर की दो शोध को पेटेंट ग्रांट दिए गए हैं.
इस शोध को मिली पेटेंट ग्रांट
IIT इंदौर के प्रोफेसर डॉ. अनिर्बन सेन गुप्ता द्वारा पेटेंट स्पेस एक्सप्लोरेशन सिस्टम और एक बैक्टीरियल फोर्जिंग ऑप्टिमाइज़ेशन मैकेनिज्म का उपयोग करने की विधि के लिए एक पेटेंट ग्रांट किया गया है. जो कैमरा सिस्टम और मोबाइल उपकरणों के डिजिटल चिप्स को डिजाइन करने के लिए उपयोगी है. आविष्कार कई परिमाण में कुशल है, जो इस उद्देश्य के लिए उपयोग किए जाने वाले अन्य कला आविष्कारों की स्थिति है. आविष्कार चिप्स की गति को बढ़ाने और जैविक केमोटैक्सिस और उन्मूलन-फैलाव प्रक्रिया का उपयोग करके शक्ति को कम करने में सक्षम है. वर्तमान आविष्कार का संबंध स्पेस एक्सप्लोरेशन (डीएसई) की डिजाइन से है और विशेष रूप से विधि और सिस्टम के लिए उच्च स्तरीय संश्लेषण में डिजाइन स्पेस एक्सप्लोरेशन के लिए बैक्टीरियल फोर्जिंग ऑप्टिमाइजेशन मैकेनिज्म को डिजाइन करने या एप्लिकेशन-विशिष्ट प्रोसेसर (एएसपी) या हार्डवेयर एक्सेलेरेटर या बौद्धिक संपदा प्राप्त करने से संबंधित है.
ब्लड कैंसर के लिए तैयार की गई दवाई को मिला पेटेंट
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आईआईटी इंदौर के प्रोफेसर अविनाश सोनावणे को उनके उपन्यास अनुसंधान पर "रक्त कैंसर के उपचार के लिए ऐस्पैरजाइनेस दवा के विकास" के लिए पेटेंटे दिया गया है, यह एक नया ऐस्पैरजाइनेस (M-ASPAR) दवा है. जो प्रोटीन इंजीनियरिंग दृष्टिकोण से रक्त कैंसर तीव्र लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया का इलाज करने के लिए उपयोग में आता है. हाल ही में प्रो. सोनावणे ने जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC) डी.बी.टी. भारत सरकार से प्रारंभिक अनुवाद त्वरक (ईटीए) कार्यक्रम के तहत एम-एएसपीएआर के प्रथम चरण और द्वितीय नैदानिक परीक्षणों को उन्नत केंद्र के साथ संयुक्त रूप से संचालित करने के लिए ग्रांट प्राप्त किया है विश्व स्वास्थ्य संगठन की आवश्यक दवाओं की सूची में होने के बावजूद भारत और कई अन्य एशियाई अफ्रीकी और दक्षिण अमेरिकी देशों में अच्छी गुणवत्ता वाले ऐस्पैरजाइनेस तक पहुंच, एक समस्या ये थी, कि भारत में हर साल लगभग 25 हजार नए मामलों का निराकरण किया जाता है.
ब्लड कैंसर से लड़ने के लिए आईआईटी इंदौर ने तैयार की दवा
IIT को मिल चुके हैं चार पेटेंट
प्रोफेसर नीलकेश कुमार जैन कार्यवाहक निदेशक आईआईटी इंदौर दूरदर्शी नेतृत्व के तहत संस्थान ने अनुसंधान और बौद्धिक संपदा अधिकारों के लिए पारिस्थितिकी तंत्र बनाया है. ताकि इसके छात्रों और समाज के लाभों के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों और नवाचारों को विकसित किया जा सके, कुल मिलाकर 75 पेटेंट संस्थान की स्थापना से फ़ाइल किए गए हैं और भारतीय पेटेंट कार्यालय द्वारा कुल 4 पेटेंट ग्रांट किए गए हैं.