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789 मिलियन लोगों के जीवन में उजाला करेगी ये परियोजना! IIM इंदौर को मिली ऑस्ट्रेलिया-इंडिया काउंसिल ग्रांट

दुनिया के करीब 789 मिलियन लोग सस्ती-विश्वसनीय और सुरक्षित आधुनिक ऊर्जा की पहुंच से वंचित हैं, ग्रामीण भारत का अंधेरा दूर करने में यह परियोजना मील का पत्थर साबित होगी.

IIM Indore
आईआईएम इंदौर
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Published : Oct 7, 2021, 2:02 PM IST

इंदौर। भारतीय प्रबंधन संस्थान इंदौर ने कैनबरा यूनिवर्सिटी यूसी और न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी यूएनएसडब्ल्यू के साथ ऑस्ट्रेलिया-इंडिया काउंसिल ग्रांट प्राप्त किया है, ऑस्ट्रेलियाई सरकार के विदेश मामलों और व्यापार मंत्री मारिस पायने ने हाल ही में इस अनुदान की घोषणा की थी, आईआईएम इंदौर यूसी और यूएनएसडब्ल्यू ने ग्रामीण भारत में ऑफ-ग्रिड बिजली का विस्तार करने के लिए वित्त पोषण तंत्र का विकास नामक एक परियोजना के लिए अनुदान प्राप्त किया है, कुल 146 संगठनों ने अनुदान के लिए आवेदन किया था, जिसमें से 11 परियोजनाओं का चयन किया गया है.

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नवाचार को तेजी से आगे बढ़ाने में मिलेगी मदद

प्रोफेसर हिमांशु राय निदेशक आईआईएम इंदौर और प्रोफेसर हिमांशु पोटा यूएनएसडब्ल्यू और प्रोफेसर मिलिंद साठे यूसी ने इस प्रोजेक्ट के तहत 5 अक्टूबर 2021 को समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, प्रोफेसर राय ने कहा कि आईआईएम इंदौर का मिशन प्रासंगिक और सामाजिक रूप से जागरूक बिजनेस स्कूल बनना है, हमारा लक्ष्य राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाना है, यह परियोजना समाज की बेहतरी में योगदान देने के मिशन में सहायक होगी और अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने के दृष्टिकोण के अनुरूप भी है, यह परियोजना ग्रामीण समुदायों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए नवाचार को तेजी से आगे बढ़ाने में भी मदद करेगी.

यह है पूरी परियोजना और उसके उद्देश्य

ट्रैकिंग SDG7 द एनर्जी प्रोग्रेस रिपोर्ट 2020 के अनुसार दुनिया भर में लगभग 789 मिलियन लोग सस्ती विश्वसनीय और सुरक्षित आधुनिक ऊर्जा की पहुंच से वंचित हैं, आधुनिक ऊर्जा सेवाओं के बिना रहने वाले अधिकांश लोग प्रकाश के लिए मिट्टी के तेल मोमबत्ती बैट्री टॉर्च या अन्य जीवाश्म ईंधन से चलने वाली तकनीकों पर निर्भर हैं, ये पारंपरिक समाधान महंगे हैं और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हैं, खतरनाक और प्रदूषणकारी भी है. संचार प्रौद्योगिकी आपूर्ति नहीं करते हैं, ऑफ-ग्रिड सौर ऊर्जा उत्पाद पारंपरिक समाधानों के लिए एक सुरक्षित-स्वच्छ-सस्ता और विश्वसनीय विकल्प प्रदान करते हैं.

ग्रामीण भारत का अंधेरा दूर करेगी ये परियोजना

यह परियोजना ग्रामीण भारत में बिजली की पहुंच प्रदान करने के लिए एक समाधान प्रदान करती है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया और भारत दोनों रणनीतिक संस्थागत संबंधों से लाभान्वित हो सकेंगे. इसका उद्देश्य दीर्घकालिक आधार पर ग्रामीण भारत के लिए ऑफ-ग्रिड बिजली आपूर्ति के तेजी से बढ़ने के लिए एक स्थायी वित्तपोषण तंत्र का डिजाइन विकास और परीक्षण करना है.

इंदौर। भारतीय प्रबंधन संस्थान इंदौर ने कैनबरा यूनिवर्सिटी यूसी और न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी यूएनएसडब्ल्यू के साथ ऑस्ट्रेलिया-इंडिया काउंसिल ग्रांट प्राप्त किया है, ऑस्ट्रेलियाई सरकार के विदेश मामलों और व्यापार मंत्री मारिस पायने ने हाल ही में इस अनुदान की घोषणा की थी, आईआईएम इंदौर यूसी और यूएनएसडब्ल्यू ने ग्रामीण भारत में ऑफ-ग्रिड बिजली का विस्तार करने के लिए वित्त पोषण तंत्र का विकास नामक एक परियोजना के लिए अनुदान प्राप्त किया है, कुल 146 संगठनों ने अनुदान के लिए आवेदन किया था, जिसमें से 11 परियोजनाओं का चयन किया गया है.

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यह है पूरी परियोजना और उसके उद्देश्य

ट्रैकिंग SDG7 द एनर्जी प्रोग्रेस रिपोर्ट 2020 के अनुसार दुनिया भर में लगभग 789 मिलियन लोग सस्ती विश्वसनीय और सुरक्षित आधुनिक ऊर्जा की पहुंच से वंचित हैं, आधुनिक ऊर्जा सेवाओं के बिना रहने वाले अधिकांश लोग प्रकाश के लिए मिट्टी के तेल मोमबत्ती बैट्री टॉर्च या अन्य जीवाश्म ईंधन से चलने वाली तकनीकों पर निर्भर हैं, ये पारंपरिक समाधान महंगे हैं और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हैं, खतरनाक और प्रदूषणकारी भी है. संचार प्रौद्योगिकी आपूर्ति नहीं करते हैं, ऑफ-ग्रिड सौर ऊर्जा उत्पाद पारंपरिक समाधानों के लिए एक सुरक्षित-स्वच्छ-सस्ता और विश्वसनीय विकल्प प्रदान करते हैं.

ग्रामीण भारत का अंधेरा दूर करेगी ये परियोजना

यह परियोजना ग्रामीण भारत में बिजली की पहुंच प्रदान करने के लिए एक समाधान प्रदान करती है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया और भारत दोनों रणनीतिक संस्थागत संबंधों से लाभान्वित हो सकेंगे. इसका उद्देश्य दीर्घकालिक आधार पर ग्रामीण भारत के लिए ऑफ-ग्रिड बिजली आपूर्ति के तेजी से बढ़ने के लिए एक स्थायी वित्तपोषण तंत्र का डिजाइन विकास और परीक्षण करना है.

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