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'मिनी मुंबई' पर कैसे छाया 'कोरोना काल', प्रशासन जिम्मेदार या लापरवाही पड़ी भारी ?

इंदौर में कोरोना का कहर जारी है. मिनी मुबंई कहे जाने वाला ये शहर कोरोना के कम्युनिटी ट्रांसमिशन की कगार पहुंच गया है. जानें कैसे हुआ इस शहर का ये हाल, कोरोना वायरस शहरवासियों के लिए बन गया है 'काल'. मौजदा हालातों के लिए प्रशासन जिम्मेदार या आम लोगों की भी रही लापरवाही.

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'मिनी मुंबई' पर छाया 'कोरोना काल'
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Published : Apr 14, 2020, 5:02 PM IST

Updated : Apr 14, 2020, 8:37 PM IST

इंदौर। मिनी मुंबई के नाम से मशहूर इंदौर का ये दुर्भाग्य ही है कि तमाम सुविधाओं से लैस होने के बाद भी ये शहर कोरोना वायरस का एपी सेंटर बन गया है. देश का सबसे स्वच्छ शहर और प्रदेश का मेडिकल हब होने के बावजूद कोरोना ऑउटब्रेक ने इस शहर की कमर तोड़कर रख दी है. दरअसल दुनियाभर को अपने कहर से झकझोर देने वाली इस त्रासदी का कहर 32 लाख की आबादी वाले इस शहर पर इस कदर टूटा है कि जनता कर्फ्यू के बाद से ही यहां कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है. देखते ही देखते इंदौर में कोरोना वायरस से दो डॉक्टरों समेत 30 लोगों से अधिक अपनी जान गंवा चुके हैं. वहीं संक्रमित मरीजों की संख्या 298 से अधिक पहुंच गई है.

'मिनी मुंबई' पर छाया 'कोरोना काल'

आलम ये है कि कोरोना के संक्रमण से हो रही मौतों की दर, कासरगोड से सिर्फ एक पायदान नीचे है. जबकि देश में मुंबई और दिल्ली के बाद कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या के मान से इंदौर तीसरे नंबर पर आ चुका है.

कैसे कोरोना की जद में आया इंदौर

दरअसल शहर में कोरोना वायरस ने चीन से लौटे दो डॉक्टरों और एक युवती के जरिए दस्तक दी थी. इसके बाद यहां वैष्णो देवी और ऋषिकेश की यात्रा से लौटे एक परिवार के कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि हुई. इसके बाद तो ये सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. धीरे-धीरे वायरस ने पूरे शहर को अपनी चपेट में ले लिया. लेकिन संक्रमण के इतनी तेजी फैलने में कुछ लापरवाही भी जिम्मेदार हैं.

15 दिन पहले ही कोरोना ने दे दी थी दस्तक

केंद्र सरकार की रैपिड रिस्पांस टीम की हालिया रिपोर्ट बताती है कि इंदौर में लॉक डाउन के 15 दिन पहले से ही कोरोना वायरस ने दस्तक दे दी थी. यही नहीं, मार्च के शुरुआती दिनों में ही लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके थे. इसी दौरान जनता कर्फ्यू के बाद शहर में सोशल डिस्टेंस का पालन करने के बजाय सैकड़ों लोग जुलूस की शक्ल में शहर के राजवाड़ा पहुंच गए. ये इकलौती घटना नहीं थी. इसके बाद जो घटनाएं सामने आईं पूरे देश में चर्चा का केंद्र बनीं.

1 अप्रैल को टाटपट्टी इलाके में जांच करने पहुंची स्वास्थ्यकर्मियों की टीम पर स्थानीय लोगों ने हमला कर दिया. इसी से मिलती-जुलती घटना चंदन नगर इलाके में भी देखने को मिली. जहां पुलिसकर्मियों पर पथराव किया गया.अंत में इन इलाकों से कोरोना संक्रमित मरीज भी पाए गए. इतना ही नहीं जिन आरोपियों को गिरफ्तार कर जबलपुर और सतना भेजा गया था, उनमें से भी कुछ आरोपी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं.

आउटब्रेक का आंकलन नहीं कर पाया प्रशासन

कोरोना आउटब्रेक के बाद जिस संख्या में लोगों की जांच होनी चाहिए थी, संसाधनों की कमी के चलते वो नहीं हो पाई. ऊपर से जिन लोगों में संक्रमण के लक्षण थे, उन्होंने अपनी बीमारी छिपाई. जिससे उनके परिजन और आस-पास के लोग संक्रमित हो गए. लिहाजा स्थिति बेकाबू होती चली गई. जिला प्रशासन ने आनन-फानन में शहर के अस्पतालों को चिन्हित करते हुए उनमें इलाज की व्यवस्थाएं जुटाई. जो नाकाफी साबित हो रही हैं.

इंदौर प्रशासन ने बिगड़े हालातों पर काबू पाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया है. स्वास्थ्य विभाग की टीमें समेत पूरा पुलिस प्रशासन सड़कों पर उतरा . सख्ती के साथ-साथ कई तरीके अपनाकर पुलिस लोगों को लॉकडाउन पालन करने के प्रति जागरूक बना रही है. बावजूद इसके शहर के हालात सुधरने का नाम ही नहीं ले रहे हैं.

हालांकि इलाज के बाद अभी तक 29 से ज्यादा मरीज कोरोना के खिलाफ जिंदगी की जंग जीत चुके हैं. लेकिन समस्या अभी खत्म नहीं हुई है. शहर में करीब तीन सौ लोग अभी भी संक्रमण से जूझ रहे हैं. वहीं 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. जो चिंता का विषय है.

प्रशासन उठा रहा ये कदम

कोरोना के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए शहर के उन 27 इलाकों को कंटोनमेंट जोन घोषित कर दिया गया है. जो कोरोना का हॉट स्पॉट बने हुए थे. करीब एक हजार संदिग्धों को क्वॉरेंटाइन किया गया है. यही नहीं इन इलाकों में करीब 250 मेडिकल टीमें लगातार जांच और सैंपलिंग में जुटी हुई है. एप के जरिए भी संदिग्ध मरीजों की स्क्रीनिंग लगातार कर रही है. संक्रमण के शुरुआती दिनों में इंदौर में रोज करीब 100 सैंपल की जांच हो रही थी, लेकिन अब संक्रमण का दायरा बढ़ने के साथ ही लैब में भेजे जा रहे सैंपल की संख्या 5 गुनी बढ़ चुकी है. इसी तुलना में अब रोज 500 सैंपल की जांच हो रही है.

क्या कम्युनिटी ट्रांसमिशन की कगार पर 'मिनी मुंबई' ?

कोरोना संक्रमण के शुरुआती दौर में माना जा रहा था कि संक्रमित मरीजों में ज्यादातर की ट्रैवल हिस्ट्री है या विदेश से आए हैं. लेकिन हाल ही में जो लोग कोरोना संक्रमित पाए गए या जिनकी मौत हुई, उनकी कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं थी. कुछ मरीज तो ऐसे थे जिनमें कोरोना के सामान्य लक्षण भी नहीं मिले, लेकिन उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव पाई गई. फिलहाल ऐसे मरीज ही स्वास्थ विभाग के लिए सबसे बड़ी चुनौती है.

टोटल लॉकडाउन ही 'इलाज'

प्रशासन पूरी मुस्तैदी के साथ काम कर रहा है. शहर में टोटल लॉकडाउन लगा हुआ है. लोगों को जरूरत के सामान उनके घरों तक पहुंचाए जा रहे हैं. तमाम इंतजामात के बाद बस यही उम्मीद है कि इस महामारी से शहर को निजाम मिल जाए. और इंदौर फिर से चैन की सांस ले सके.

इंदौर। मिनी मुंबई के नाम से मशहूर इंदौर का ये दुर्भाग्य ही है कि तमाम सुविधाओं से लैस होने के बाद भी ये शहर कोरोना वायरस का एपी सेंटर बन गया है. देश का सबसे स्वच्छ शहर और प्रदेश का मेडिकल हब होने के बावजूद कोरोना ऑउटब्रेक ने इस शहर की कमर तोड़कर रख दी है. दरअसल दुनियाभर को अपने कहर से झकझोर देने वाली इस त्रासदी का कहर 32 लाख की आबादी वाले इस शहर पर इस कदर टूटा है कि जनता कर्फ्यू के बाद से ही यहां कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है. देखते ही देखते इंदौर में कोरोना वायरस से दो डॉक्टरों समेत 30 लोगों से अधिक अपनी जान गंवा चुके हैं. वहीं संक्रमित मरीजों की संख्या 298 से अधिक पहुंच गई है.

'मिनी मुंबई' पर छाया 'कोरोना काल'

आलम ये है कि कोरोना के संक्रमण से हो रही मौतों की दर, कासरगोड से सिर्फ एक पायदान नीचे है. जबकि देश में मुंबई और दिल्ली के बाद कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या के मान से इंदौर तीसरे नंबर पर आ चुका है.

कैसे कोरोना की जद में आया इंदौर

दरअसल शहर में कोरोना वायरस ने चीन से लौटे दो डॉक्टरों और एक युवती के जरिए दस्तक दी थी. इसके बाद यहां वैष्णो देवी और ऋषिकेश की यात्रा से लौटे एक परिवार के कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि हुई. इसके बाद तो ये सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. धीरे-धीरे वायरस ने पूरे शहर को अपनी चपेट में ले लिया. लेकिन संक्रमण के इतनी तेजी फैलने में कुछ लापरवाही भी जिम्मेदार हैं.

15 दिन पहले ही कोरोना ने दे दी थी दस्तक

केंद्र सरकार की रैपिड रिस्पांस टीम की हालिया रिपोर्ट बताती है कि इंदौर में लॉक डाउन के 15 दिन पहले से ही कोरोना वायरस ने दस्तक दे दी थी. यही नहीं, मार्च के शुरुआती दिनों में ही लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके थे. इसी दौरान जनता कर्फ्यू के बाद शहर में सोशल डिस्टेंस का पालन करने के बजाय सैकड़ों लोग जुलूस की शक्ल में शहर के राजवाड़ा पहुंच गए. ये इकलौती घटना नहीं थी. इसके बाद जो घटनाएं सामने आईं पूरे देश में चर्चा का केंद्र बनीं.

1 अप्रैल को टाटपट्टी इलाके में जांच करने पहुंची स्वास्थ्यकर्मियों की टीम पर स्थानीय लोगों ने हमला कर दिया. इसी से मिलती-जुलती घटना चंदन नगर इलाके में भी देखने को मिली. जहां पुलिसकर्मियों पर पथराव किया गया.अंत में इन इलाकों से कोरोना संक्रमित मरीज भी पाए गए. इतना ही नहीं जिन आरोपियों को गिरफ्तार कर जबलपुर और सतना भेजा गया था, उनमें से भी कुछ आरोपी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं.

आउटब्रेक का आंकलन नहीं कर पाया प्रशासन

कोरोना आउटब्रेक के बाद जिस संख्या में लोगों की जांच होनी चाहिए थी, संसाधनों की कमी के चलते वो नहीं हो पाई. ऊपर से जिन लोगों में संक्रमण के लक्षण थे, उन्होंने अपनी बीमारी छिपाई. जिससे उनके परिजन और आस-पास के लोग संक्रमित हो गए. लिहाजा स्थिति बेकाबू होती चली गई. जिला प्रशासन ने आनन-फानन में शहर के अस्पतालों को चिन्हित करते हुए उनमें इलाज की व्यवस्थाएं जुटाई. जो नाकाफी साबित हो रही हैं.

इंदौर प्रशासन ने बिगड़े हालातों पर काबू पाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया है. स्वास्थ्य विभाग की टीमें समेत पूरा पुलिस प्रशासन सड़कों पर उतरा . सख्ती के साथ-साथ कई तरीके अपनाकर पुलिस लोगों को लॉकडाउन पालन करने के प्रति जागरूक बना रही है. बावजूद इसके शहर के हालात सुधरने का नाम ही नहीं ले रहे हैं.

हालांकि इलाज के बाद अभी तक 29 से ज्यादा मरीज कोरोना के खिलाफ जिंदगी की जंग जीत चुके हैं. लेकिन समस्या अभी खत्म नहीं हुई है. शहर में करीब तीन सौ लोग अभी भी संक्रमण से जूझ रहे हैं. वहीं 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. जो चिंता का विषय है.

प्रशासन उठा रहा ये कदम

कोरोना के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए शहर के उन 27 इलाकों को कंटोनमेंट जोन घोषित कर दिया गया है. जो कोरोना का हॉट स्पॉट बने हुए थे. करीब एक हजार संदिग्धों को क्वॉरेंटाइन किया गया है. यही नहीं इन इलाकों में करीब 250 मेडिकल टीमें लगातार जांच और सैंपलिंग में जुटी हुई है. एप के जरिए भी संदिग्ध मरीजों की स्क्रीनिंग लगातार कर रही है. संक्रमण के शुरुआती दिनों में इंदौर में रोज करीब 100 सैंपल की जांच हो रही थी, लेकिन अब संक्रमण का दायरा बढ़ने के साथ ही लैब में भेजे जा रहे सैंपल की संख्या 5 गुनी बढ़ चुकी है. इसी तुलना में अब रोज 500 सैंपल की जांच हो रही है.

क्या कम्युनिटी ट्रांसमिशन की कगार पर 'मिनी मुंबई' ?

कोरोना संक्रमण के शुरुआती दौर में माना जा रहा था कि संक्रमित मरीजों में ज्यादातर की ट्रैवल हिस्ट्री है या विदेश से आए हैं. लेकिन हाल ही में जो लोग कोरोना संक्रमित पाए गए या जिनकी मौत हुई, उनकी कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं थी. कुछ मरीज तो ऐसे थे जिनमें कोरोना के सामान्य लक्षण भी नहीं मिले, लेकिन उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव पाई गई. फिलहाल ऐसे मरीज ही स्वास्थ विभाग के लिए सबसे बड़ी चुनौती है.

टोटल लॉकडाउन ही 'इलाज'

प्रशासन पूरी मुस्तैदी के साथ काम कर रहा है. शहर में टोटल लॉकडाउन लगा हुआ है. लोगों को जरूरत के सामान उनके घरों तक पहुंचाए जा रहे हैं. तमाम इंतजामात के बाद बस यही उम्मीद है कि इस महामारी से शहर को निजाम मिल जाए. और इंदौर फिर से चैन की सांस ले सके.

Last Updated : Apr 14, 2020, 8:37 PM IST
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