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सदियों पुरानी परंपरा के लिए योद्धाओं ने घंटों पुलिस को छकाया, छिप-छिपाकर दागे हिंगोट - हिंगोट

इंदौर के देपालपुरा में कुछ लोगों ने चोरी छुपे हिंगोट युद्ध की परंपरा निभाई. इस दौरान हिंगोट युद्ध के योद्धाओं ने करीब तीन घंटे तक पुलिस को इधर-उधर भगाते रहे. वहीं एक शख्स ने पुलिस कर्मी को निशाना बनाने की कोशिश की. जिसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.

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हिंगोट युद्ध करते एक आरोपी गिरफ्तार
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Published : Nov 16, 2020, 11:33 AM IST

Updated : Nov 16, 2020, 11:57 AM IST

इंदौर। प्रदेश में दिवाली के अगले दिन युद्ध की सदियों पुरानी परंपरा हिंगोट युद्ध इस बार नहीं मनाने के लिए जिला प्रशासन ने निर्देश दिए थे. इसके बाद भी इंदौर के देपालपुरा में कुछ लोगों ने चोरी छुपे हिंगोट युद्ध की परंपरा निभाई. इस दौरान हिंगोट युद्ध के योद्धाओं ने करीब तीन घंटे तक पुलिस को इधर-उधर भगाते रहे. वहीं एक शख्स ने पुलिस कर्मी को निशाना बनाने की कोशिश की. जिसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.

अलग अंदाज में देखा गया हिंगोट युद्ध

अलग अंदाज में दिखा हिंगोट युद्ध

गौतमपुरा नगर की अति प्राचीन परंपरा इस साल कुछ अलग अंदाज में देखी गई. गौतमपुरा नगर के तुर्रा एवं कलंगी में दो दलों के बीच हिंगोट युद्ध हुआ. जिसमें आखिरी योद्धाओं ने अपनी जिद पूरी की और प्रशासन को योजना बद्ध तरीके से थकाया और सदियों से चली आ रही परंपरा को आखिरकार निभाया.

जिला प्रशासन ने किया था साफ इनकार

कोरोना संक्रमण के चलते जिला प्रशासन ने हिंगोट युद्ध नहीं होने देने की सख्ती के साथ मैदान के बीचों-बीच टेंट, तम्बू लगाकर अस्थाई पुलिस चौकी बनाई गई थी. और युद्ध न होने देने की ठान ली थी. नगर के योद्धाओं ने 5 -5 लोगों को हिंगोट मैदान पर जाकर हिंगोट छोड़ने की परमिशन मांगी थी, लेकिन प्रशासन ने साफतौर पर मना कर दिया था.

सड़कों पर उतरा गुर्जर समाज

रविवार शाम 5:30 बजे के करीब परंपरा निभाने के लिए घरों की छत पर और सड़कों पर उतरकर गुर्जर समाज के लोगों ने हिंगोट फेंकना शुरू कर दिए. इस दौरान पुलिस ने क्षेत्र की गलियों में दौड़ लगा दी, पुलिस को आते देख लोग भागने लगे, और बीच बीच में हिंगोट छोड़ते रहे. ऐसा लग रहा था मानो तुर्रा और कलगी दलों के बीच युद्ध नहीं हो रहा है, बल्कि युद्ध पुलिस व योद्धाओं के बीच हो रहा था.आखिरकर रात 8 बजे बाद पुलिस ने थक हार कर मैदान खाली छोड़ दिया, और इधर गुर्जर मोहल्ले के योद्धाओं ने मैदान पर पहुंचकर 10 मिनट तक हिंगोट छोड़े, और सदियों से चली आ रही परंपरा को निभाया.

'चुनाव हो सकता है तो हिंगोट क्यों नहीं'

इधर मैदान पर पुलिस को चकमा देकर एक हिंगोट योद्धा मैदान पर जा पहुंचा. इस दौरान पुलिस ने उसे जब पकड़ा, तो वह चिल्लाने लगा, और कहने लगा कि जब चुनाव हो सकते हैं तो हम सदियों से चली आ रही परम्परा क्यों नहीं निभा सकते हैं. हालांकि इस बार कोरोना के कारण तुर्रा और कलंगी दल के योद्धाओं का रोमांचक युद्ध तो देखने को नहीं मिला, लेकिन योद्धा और पुलिस के बीच का खेल जरुर देखने को मिला.

प्रशासन ने जारी किया था आदेश
हिंगोट युद्ध को लेकर कलेक्टर ने आदेश जारी किया था, कि इस साल हिंगोट युद्ध का आयोजन नहीं होगा. इसका सख्ती से पालन कराने के लिए पुलिस ने मोर्चा संभाल लिया था. गौतमपुरा में भारी पुलिस बल तैनात किया गया था. जिस स्थान पर हिंगोट युद्ध का आयोजन होता है. वहां पर पुलिस के द्वारा अस्थाई पुलिस चौकी भी बनाई गई थी.

क्या होता है हिंगोट ?

हिंगोरिया पेड़ के फल को हिंगोट कहते हैं. यह फल नींबू के आकार से बड़ा होता है. कहा जाता है कि यह चंबल किनारे जंगलों में अधिक पाया जाता है. हिंगोट युद्ध के पहले पेड़ तोड़ कर हिंगोट को जमा कर लेते हैं. फिर हिंगोट के बारूद भर कर इसको तैयार किया जाता है. उसी से एक दूसरे पर हमला करते हैं.

इंदौर। प्रदेश में दिवाली के अगले दिन युद्ध की सदियों पुरानी परंपरा हिंगोट युद्ध इस बार नहीं मनाने के लिए जिला प्रशासन ने निर्देश दिए थे. इसके बाद भी इंदौर के देपालपुरा में कुछ लोगों ने चोरी छुपे हिंगोट युद्ध की परंपरा निभाई. इस दौरान हिंगोट युद्ध के योद्धाओं ने करीब तीन घंटे तक पुलिस को इधर-उधर भगाते रहे. वहीं एक शख्स ने पुलिस कर्मी को निशाना बनाने की कोशिश की. जिसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.

अलग अंदाज में देखा गया हिंगोट युद्ध

अलग अंदाज में दिखा हिंगोट युद्ध

गौतमपुरा नगर की अति प्राचीन परंपरा इस साल कुछ अलग अंदाज में देखी गई. गौतमपुरा नगर के तुर्रा एवं कलंगी में दो दलों के बीच हिंगोट युद्ध हुआ. जिसमें आखिरी योद्धाओं ने अपनी जिद पूरी की और प्रशासन को योजना बद्ध तरीके से थकाया और सदियों से चली आ रही परंपरा को आखिरकार निभाया.

जिला प्रशासन ने किया था साफ इनकार

कोरोना संक्रमण के चलते जिला प्रशासन ने हिंगोट युद्ध नहीं होने देने की सख्ती के साथ मैदान के बीचों-बीच टेंट, तम्बू लगाकर अस्थाई पुलिस चौकी बनाई गई थी. और युद्ध न होने देने की ठान ली थी. नगर के योद्धाओं ने 5 -5 लोगों को हिंगोट मैदान पर जाकर हिंगोट छोड़ने की परमिशन मांगी थी, लेकिन प्रशासन ने साफतौर पर मना कर दिया था.

सड़कों पर उतरा गुर्जर समाज

रविवार शाम 5:30 बजे के करीब परंपरा निभाने के लिए घरों की छत पर और सड़कों पर उतरकर गुर्जर समाज के लोगों ने हिंगोट फेंकना शुरू कर दिए. इस दौरान पुलिस ने क्षेत्र की गलियों में दौड़ लगा दी, पुलिस को आते देख लोग भागने लगे, और बीच बीच में हिंगोट छोड़ते रहे. ऐसा लग रहा था मानो तुर्रा और कलगी दलों के बीच युद्ध नहीं हो रहा है, बल्कि युद्ध पुलिस व योद्धाओं के बीच हो रहा था.आखिरकर रात 8 बजे बाद पुलिस ने थक हार कर मैदान खाली छोड़ दिया, और इधर गुर्जर मोहल्ले के योद्धाओं ने मैदान पर पहुंचकर 10 मिनट तक हिंगोट छोड़े, और सदियों से चली आ रही परंपरा को निभाया.

'चुनाव हो सकता है तो हिंगोट क्यों नहीं'

इधर मैदान पर पुलिस को चकमा देकर एक हिंगोट योद्धा मैदान पर जा पहुंचा. इस दौरान पुलिस ने उसे जब पकड़ा, तो वह चिल्लाने लगा, और कहने लगा कि जब चुनाव हो सकते हैं तो हम सदियों से चली आ रही परम्परा क्यों नहीं निभा सकते हैं. हालांकि इस बार कोरोना के कारण तुर्रा और कलंगी दल के योद्धाओं का रोमांचक युद्ध तो देखने को नहीं मिला, लेकिन योद्धा और पुलिस के बीच का खेल जरुर देखने को मिला.

प्रशासन ने जारी किया था आदेश
हिंगोट युद्ध को लेकर कलेक्टर ने आदेश जारी किया था, कि इस साल हिंगोट युद्ध का आयोजन नहीं होगा. इसका सख्ती से पालन कराने के लिए पुलिस ने मोर्चा संभाल लिया था. गौतमपुरा में भारी पुलिस बल तैनात किया गया था. जिस स्थान पर हिंगोट युद्ध का आयोजन होता है. वहां पर पुलिस के द्वारा अस्थाई पुलिस चौकी भी बनाई गई थी.

क्या होता है हिंगोट ?

हिंगोरिया पेड़ के फल को हिंगोट कहते हैं. यह फल नींबू के आकार से बड़ा होता है. कहा जाता है कि यह चंबल किनारे जंगलों में अधिक पाया जाता है. हिंगोट युद्ध के पहले पेड़ तोड़ कर हिंगोट को जमा कर लेते हैं. फिर हिंगोट के बारूद भर कर इसको तैयार किया जाता है. उसी से एक दूसरे पर हमला करते हैं.

Last Updated : Nov 16, 2020, 11:57 AM IST
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