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जिस जर्जर मकान के लिए बीजेपी विधायक ने की थी 'बल्लेबाजी', उसी पर हाई कोर्ट ने दिया ये आदेश

जिस जर्जर मकान को बचाने के लिए बीजेपी विधायक ने बल्लेबाजी की थी, जिसके लिए उन्हें जेल की हवा भी खानी पड़ी थी. उसी मकान को लेकर हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया है.

जर्जर मकान के लिए बीजेपी विधायक ने की थी 'बल्लेबाजी
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Published : Jul 2, 2019, 11:44 PM IST

इंदौर| जिस जर्जर मकान की वजह से बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के विधायक बेटे आकाश विजयवर्गीय विपक्ष के निशाने पर हैं. इसी मकान को बचाने के लिए उन्होंने निगम अधिकारियों को बैट से पीटा था, जिसके बाद उन्हें जेल की हवा भी खानी पड़ी थी. उसी मकान को लेकर हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है.

जर्जर मकान के लिए बीजेपी विधायक ने की थी 'बल्लेबाजी

मंगलवार को नगर निगम जर्जर मकान को तोड़ने की कार्रवाई करने वाला था, लेकिन उसके पहले की मकान में रह रहा परिवार हाईकोर्ट पहुंच गया और याचिका दायर कर दी. याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने परिवार को 2 दिन में शेल्टर उपलब्ध कराने और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत नियमानुसार लाभ दिलाने का आदेश निगम को दिया है.

जर्जर मकान को गिराने को लेकर हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने फैसला दिया है कि नगर निगम पहले वहां रह रहे परिवारों के लिए 2 दिनों में स्थाई व्यवस्था करे और 3 महीनों बाद पीड़ित परिवारों के लिए सरकारी योजना के तहत रहने की स्थाई व्यवस्था करे.

26 जून को गंजी कंपाउंड स्थित जर्जर मकान गिराने पहुंची नगर निगम की टीम के अधिकारी धीरेंद्र बायस को क्षेत्रीय विधायक आकाश विजयवर्गीय ने बल्ले से पीट दिया था, इसके बाद भाजपा विधायक को जेल भी जाना पड़ा था. आकाश के जेल से छूटने के बाद जर्जर मकान को लेकर किरायेदार ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी.

हाई कोर्ट के इस फैसले को आकाश समर्थक अपनी जीत भी मान रहे हैं. प्रदेश और देश में अचानक आए राजनीतिक भूचाल को लेकर भी न्यायालय ने बहस के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है.

इंदौर| जिस जर्जर मकान की वजह से बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के विधायक बेटे आकाश विजयवर्गीय विपक्ष के निशाने पर हैं. इसी मकान को बचाने के लिए उन्होंने निगम अधिकारियों को बैट से पीटा था, जिसके बाद उन्हें जेल की हवा भी खानी पड़ी थी. उसी मकान को लेकर हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है.

जर्जर मकान के लिए बीजेपी विधायक ने की थी 'बल्लेबाजी

मंगलवार को नगर निगम जर्जर मकान को तोड़ने की कार्रवाई करने वाला था, लेकिन उसके पहले की मकान में रह रहा परिवार हाईकोर्ट पहुंच गया और याचिका दायर कर दी. याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने परिवार को 2 दिन में शेल्टर उपलब्ध कराने और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत नियमानुसार लाभ दिलाने का आदेश निगम को दिया है.

जर्जर मकान को गिराने को लेकर हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने फैसला दिया है कि नगर निगम पहले वहां रह रहे परिवारों के लिए 2 दिनों में स्थाई व्यवस्था करे और 3 महीनों बाद पीड़ित परिवारों के लिए सरकारी योजना के तहत रहने की स्थाई व्यवस्था करे.

26 जून को गंजी कंपाउंड स्थित जर्जर मकान गिराने पहुंची नगर निगम की टीम के अधिकारी धीरेंद्र बायस को क्षेत्रीय विधायक आकाश विजयवर्गीय ने बल्ले से पीट दिया था, इसके बाद भाजपा विधायक को जेल भी जाना पड़ा था. आकाश के जेल से छूटने के बाद जर्जर मकान को लेकर किरायेदार ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी.

हाई कोर्ट के इस फैसले को आकाश समर्थक अपनी जीत भी मान रहे हैं. प्रदेश और देश में अचानक आए राजनीतिक भूचाल को लेकर भी न्यायालय ने बहस के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है.

Intro:जिस जर्जर मकान की वजह से पूरे देश में राजनीतिक भूचाल आया है उसी जर्जर मकान को लेकर हाईकोर्ट ने इंदौर शहर के लिए ऐतिहासिक फैसला दे दिया दरअसल नगर निगम के द्वारा जर्जर मकान को तोड़ने की आज कार्रवाई की जाना थी लेकिन उसके पहले की मकान में रह रहा परिवार हाईकोर्ट की शरण में चला गया और याचिका दायर की इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के द्वारा परिवार को 2 दिन में शेल्टर उपलब्ध कराने और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत नियम अनुसार लाभ देने की बात निगम से कही गई


Body:पूरे देश में जिस जर्जर मकान की वजह से भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे और भाजपा विधायक आकाश विजयवर्गीय पर निशाना साधा जा रहा है उसी मकान को लेकर इंदौर हाई कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया है जर्जर मकान को गिराने को लेकर हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने फैसला दिया है कि नगर निगम पहले वहां के किरायेदारों के लिए 2 दिनों में स्थाई व्यवस्था करें और 3 महीनों बाद पीड़ित परिवारों के लिए सरकारी योजना के तहत रहने की स्थाई व्यवस्था की जाए, 26 जून को गंजी कंपाउंड स्थित जर्जर मकान को गिराने पहुंची नगर निगम की टीम के अधिकारी धीरेंद्र बायस पर क्षेत्रीय विधायक आकाश विजयवर्गीय ने बल्ले से हमला किया था इसके बाद भाजपा विधायक को जेल भी जाना पड़ा था आकाश के जेल से आने के बाद जर्जर मकान को लेकर किराएदार ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी और इस याचिका में दो आधार बताए गए थे जिसमें पहला नगर निगम अपने प्रावधानों के आधार पर पीड़ित पक्ष को सुनने का मौका नहीं दे रहा है और दूसरा बारिश के मौसम में बिना सूचना दिए और बिना किसी अन्य अवस्था के वहां से हटाने के आधार पर याचिका को रखा गया था पहले आधार पर कोर्ट ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया जबकि दूसरे आधार पर हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला लेते हुए कहा कि नगर निगम 2 दिन में पीड़ित परिवार के रहने की व्यवस्था करें और 3 महीने बाद सरकारी योजना के तहत पीड़ित परिवार के लिए रहने की स्थाई व्यवस्था की जाए, यह फैसला हर उस पीड़ित के लिए नजीर बन गया है जिसका भविष्य में कभी नगर निगम घर हटाती है उसके लिए निगम को व्यवस्था करना होगी हाई कोर्ट के इस फैसले को आकाश समर्थक अपनी जीत भी मान रहे हैं प्रदेश और देश में अचानक आए राजनीतिक भूचाल को लेकर भी न्यायालय ने बहस के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है

बाईट - पुष्यमित्र भार्गव, किरायेदार पक्ष के वकील


Conclusion:हाई कोर्ट में इंदौर समेत प्रदेश के अलावा अन्य प्रदेशों में बिल्डिंग गिरने के हुए हादसों का भी जिक्र किया गया यह भी कहा गया कि बारिश के दौरान यदि कोई मकान गिरता है तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी या जो लोग कानून हाथ में ले रहे हैं क्या वे इसकी जिम्मेदारी लेंगे
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