इंदौर : शहर के प्राचीन मंदिर हरसिद्धि में विराजे अलबेले भगवान गणेश ने सैकड़ों साल बाद अपना चोला छोड़ा खुद से छोड़ दिया है जिसको देखने बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचे. चोला छोड़ने के बाद भगवान गणेश का अभिषेक पूजन के साथ हवन किया गया और फिर भगवान गणेश की प्रतिमा को नया चोला चढ़ाया गया. भगवान गणेश को उत्सव के रूप में हर्षोल्लास के साथ चोला धारण कराया गया.
इंदौर शहर के मध्य में स्थित हरसिद्धि मंदिर के पुजारी पंडित सुनील शुक्ला ने बताया की सुबह जब पूजन के लिए आए तो उन्हें पता चला की अलबेले हर सिद्धि विनायक ने अपना चोला छोड़ा खुद से छोड़ दिया है.
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मंदिर में स्थापित गणेश जी की प्रतिमा ने लंबे समय बाद अपना चोला छोड़ा है. यहां से जुड़े पुजारियों-श्रद्धालुओं का कहना है कि करीब 255 साल से भी अधिक समय के बाद गणेश मूर्ति ने अपना चोला छोड़ा है. जैसे ही चोला छोड़ने की खबर भक्तों को लगी तो बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शनों के लिए पहुंचे.
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हजार मोदक का भोग, हजार दुर्वा घास की आहुति
मंदिर के पुजारी पंडित सुनील शुक्ला ने बताया कि भगवान गणेश को उत्सव के रूप में चोला धारण कराया गया. 25 नवंबर के दिन गुरु पुष्य अमृत सिद्धि योग के अवसर पर उनको नया चोला चढ़ाया गया, 1 हजार मोदक का भोग और 1 हजार (गट्ठी) दुर्वा घास की आहुति दी गई. जैसे-जैसे भक्तों को इसकी जानकारी हुई उसके बाद से बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए मंदिर पहुंच रहे हैं.
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देवी अहिल्या ने कराई भगवान गणेश की प्रतिष्ठा
मंदिर के पुजारी ने बताया कि चतुर्भुज रूप में विराजे भगवान गणेश जी की प्रतिमा काफी प्राचीन है. प्रतिमा की स्थापना देवी अहिल्या द्वारा की गई थी और उन्हीं के हाथों भगवान गणेश की प्रतिष्ठा की गई थी. पुजारी ने बताया कि जैसे मां अलबेली हरसिद्धि हैं ठीक वैसे ही अलबेले गणेश जी नृत्य मुद्रा में विराजित हैं.