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पाकिस्तान से आई गीता को मिला परिवार, अब कम्प्यूटर सीखाकर आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश

पाकिस्तान से भारत आई गीता को अपना परिवार मिल गया है. इंदौर पुलिस का कहना है कि पिछले एक साल से प्रक्रिया चल रही थी जिसकी तहत एक परिवार मिला है जिसे गीता ने अपना परिवार माना है. अब गीता को कम्प्यूटर सीखाकर आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश की जा रही है.

पाकिस्तान से आई गीता को मिला परिवार
पाकिस्तान से आई गीता को मिला परिवार
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Published : Jul 8, 2021, 9:29 PM IST

Updated : Jul 8, 2021, 10:36 PM IST

इंदौर। पाकिस्तान से आई गीता को उसके घर पहुंचाने के लिए इंदौर पुलिस ने 1 साल पहले शुरुआत की थी. कई तरह की जद्दोजहद करते हुए गीता को महाराष्ट्र के परभणी में एक एनजीओ में पहुंचा दिया गया और वहां पर उसके परिजनों की तलाश भी इंदौर पुलिस ने पूरी कर दी है. काफी प्रयासों के बाद एक परिवार सामने आया है, जिसने गीता को अपनी बेटी माना है. वहीं गीता भी उनको अपने परिजन मानकर उनके साथ सामंजस्य बना रही है. इंदौर पुलिस के अधिकारियों का भी कहना है कि जिस मुहिम को तकरीबन साल भर पहले शुरू किया था वह अब अंतिम पड़ाव तक पहुंच चुकी है.

गीता ने परभणी की लोकेशन को पहचाना

गीता को उसके परिजनों तक पहुंचाने के लिए इंदौर पुलिस ने करीबन साल भर पहले एक मुहिम की शुरुआत की थी. इसके तहत उसको देशभर के विभिन्न तरह के मैप दिखाएं और कई तरह के जतन किए. इसके बाद जिस तरह की लोकेशन गीता ने पुलिस को और ज्ञानेंद्र पुरोहित को बताई थी, उसे उस लोकेशन पर ले जाया गया. वह लोकेशन थी महाराष्ट्र के परभणी के आसपास की.

पाकिस्तान से आई गीता को मिला परिवार

महाराष्ट्र के परभणी में मिला परिवार

इंदौर पुलिस ने महाराष्ट्र में संपर्क निकालते हुए उसे परभणी के एक एनजीओ में रखा, इसके साथ ही उसके माता पिता की खोज भी शुरू की गई. इसी दौरान एक महिला और कुछ परिजनों ने गीता को अपनी बेटी होने का दावा किया. यह परिवार उसी जगह रह रहा था जैसी लोकेशन गीता ने बताई थी. गीता और परिवार की मुलाकात करवाई गई, तो गीता परिवार के साथ भी घुल मिल गई है. बताया जा रहा है कि गीता अपना अधिकतम समय अब परिवार के साथ ही बीता रही है.

गीता को सरकारी नौकरी दिलवाने की कोशिश

गीता को पाकिस्तान से इंदौर लाने वाले आनंद मूक बधिर संस्थान के ज्ञानेंद्र पुरोहित का कहना है कि गीता महाराष्ट्र के परभणी में एनजीओ में रहकर कंप्यूटर सीख रही है. ज्ञानेन्द्र पुरोहित ने बताया कि गीता को आत्मनिर्भर बनाने की योजना पर काम किया जा रहा है. इसके तहत जल्द ही महाराष्ट्र सरकार के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात कर गीता को सरकारी नौकरी दिलाने की कोशिश की जाएगी.

केन्द्र सरकार को भी लिखा पत्र

जहां गीता को महाराष्ट्र सरकार से नौकरी दिलाने की कोशिश की जा रही है, तो वहीं ज्ञानेंद्र पुरोहित ने गीता को नौकरी दिलाने के लिए केन्द्र सरकार को भी पत्र लिखा है. हालांकि अभी तक केन्द्र सरकार की तरफ से पत्र का कोई जवाब नहीं आया है.

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परिवार में गीता की बहन और मां

वहीं गीता को जिस परिवार ने अपनी बेटी माना है. उस परिवार में एक विधवा महिला और उसकी बेटी है. परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. परिवार के लोग गीता को अपनी बेटी मान रहे हैं. परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण फिलहाल गीता परभणी के ही एक एनजीओ में रह रही है. समय-समय पर परिवार के सदस्य गीता से आकर मुलाकात करते हैं.

शादी नहीं करना चाहती गीता

आनंद बधिर संस्थान के ज्ञानेंद्र पुरोहित का कहना है कि पहले गीता की शादी के लिए प्रयास किए जा रहे थे. गीता के लिए काफी रिश्ते भी आ रहे थे लेकिन गीता ने कहा है कि वह शादी नहीं करना चाहती है. गीता का कहना है कि वह आत्मनिर्भर होना चाहती है. इसलिए गीता को सरकारी नौकरी दिलवाने के लिए कोशिश की जा रही है.

इंदौर। पाकिस्तान से आई गीता को उसके घर पहुंचाने के लिए इंदौर पुलिस ने 1 साल पहले शुरुआत की थी. कई तरह की जद्दोजहद करते हुए गीता को महाराष्ट्र के परभणी में एक एनजीओ में पहुंचा दिया गया और वहां पर उसके परिजनों की तलाश भी इंदौर पुलिस ने पूरी कर दी है. काफी प्रयासों के बाद एक परिवार सामने आया है, जिसने गीता को अपनी बेटी माना है. वहीं गीता भी उनको अपने परिजन मानकर उनके साथ सामंजस्य बना रही है. इंदौर पुलिस के अधिकारियों का भी कहना है कि जिस मुहिम को तकरीबन साल भर पहले शुरू किया था वह अब अंतिम पड़ाव तक पहुंच चुकी है.

गीता ने परभणी की लोकेशन को पहचाना

गीता को उसके परिजनों तक पहुंचाने के लिए इंदौर पुलिस ने करीबन साल भर पहले एक मुहिम की शुरुआत की थी. इसके तहत उसको देशभर के विभिन्न तरह के मैप दिखाएं और कई तरह के जतन किए. इसके बाद जिस तरह की लोकेशन गीता ने पुलिस को और ज्ञानेंद्र पुरोहित को बताई थी, उसे उस लोकेशन पर ले जाया गया. वह लोकेशन थी महाराष्ट्र के परभणी के आसपास की.

पाकिस्तान से आई गीता को मिला परिवार

महाराष्ट्र के परभणी में मिला परिवार

इंदौर पुलिस ने महाराष्ट्र में संपर्क निकालते हुए उसे परभणी के एक एनजीओ में रखा, इसके साथ ही उसके माता पिता की खोज भी शुरू की गई. इसी दौरान एक महिला और कुछ परिजनों ने गीता को अपनी बेटी होने का दावा किया. यह परिवार उसी जगह रह रहा था जैसी लोकेशन गीता ने बताई थी. गीता और परिवार की मुलाकात करवाई गई, तो गीता परिवार के साथ भी घुल मिल गई है. बताया जा रहा है कि गीता अपना अधिकतम समय अब परिवार के साथ ही बीता रही है.

गीता को सरकारी नौकरी दिलवाने की कोशिश

गीता को पाकिस्तान से इंदौर लाने वाले आनंद मूक बधिर संस्थान के ज्ञानेंद्र पुरोहित का कहना है कि गीता महाराष्ट्र के परभणी में एनजीओ में रहकर कंप्यूटर सीख रही है. ज्ञानेन्द्र पुरोहित ने बताया कि गीता को आत्मनिर्भर बनाने की योजना पर काम किया जा रहा है. इसके तहत जल्द ही महाराष्ट्र सरकार के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात कर गीता को सरकारी नौकरी दिलाने की कोशिश की जाएगी.

केन्द्र सरकार को भी लिखा पत्र

जहां गीता को महाराष्ट्र सरकार से नौकरी दिलाने की कोशिश की जा रही है, तो वहीं ज्ञानेंद्र पुरोहित ने गीता को नौकरी दिलाने के लिए केन्द्र सरकार को भी पत्र लिखा है. हालांकि अभी तक केन्द्र सरकार की तरफ से पत्र का कोई जवाब नहीं आया है.

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परिवार में गीता की बहन और मां

वहीं गीता को जिस परिवार ने अपनी बेटी माना है. उस परिवार में एक विधवा महिला और उसकी बेटी है. परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. परिवार के लोग गीता को अपनी बेटी मान रहे हैं. परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण फिलहाल गीता परभणी के ही एक एनजीओ में रह रही है. समय-समय पर परिवार के सदस्य गीता से आकर मुलाकात करते हैं.

शादी नहीं करना चाहती गीता

आनंद बधिर संस्थान के ज्ञानेंद्र पुरोहित का कहना है कि पहले गीता की शादी के लिए प्रयास किए जा रहे थे. गीता के लिए काफी रिश्ते भी आ रहे थे लेकिन गीता ने कहा है कि वह शादी नहीं करना चाहती है. गीता का कहना है कि वह आत्मनिर्भर होना चाहती है. इसलिए गीता को सरकारी नौकरी दिलवाने के लिए कोशिश की जा रही है.

Last Updated : Jul 8, 2021, 10:36 PM IST
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