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मुसीबत बना पल-पल बदलता मौसम का मिजाज, बारिश के चलते फसल भी नहीं काट पा रहे किसान

पल-पल बदलते मौसम के मिजाज से किसान परेशान हैं. भारी बारिश के चलते सोयाबीन की फसल पहले ही बर्बाद हो चुकी है, वहीं बची-कुची फसल भी बारिश के चलते नहीं कट पा रही है. जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है.

बारिश के चलते फसल भी नहीं काट पा रहे किसान
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Published : Sep 27, 2019, 8:07 PM IST

इंदौर। जिले में पल-पल बदलता मौसम का मिजाज किसानों के लिए परेशानियों का सबब बन गया है. देपालपुर क्षेत्र में एक सप्ताह से कभी धूप निकल आती है, तो अचानक से बारिश का दौर शुरु हो जाता है. ऐसे में किसान अपनी फसले तक नहीं काट पा रहे हैं.

बारिश के चलते फसल भी नहीं काट पा रहे किसान

किसानों का कहना है कि बारिश से वैसे ही सोयाबीन की फसल बर्बाद हो चुकी है. बची-कुची फसल जो पक चुकी है, मौसम की बेरुखी के कारण वह भी नहीं कट पा रही है. हालात ये है कि सुबह से दोपहर तक तो तेज धूप निकलती है, लेकिन दोपहर बाद फिर बारिश शुरु हो जाती है.

किसानो ने फसल काटने के लिए किराए से हारवेस्टर मशीन तो बुलवा ली है पर खेत मे नमी होने के कारण मशीनें खेतों मे ही फंस रही है. खेत ऊंचे हैं आधी फसल तो निकाल ली जाती है लेकिन बारिश हो जाने से आधी फसल बर्बाद हो रही है. कुछ किसान गीले खेतों में ही कटाई करवा रहे हैं. जिसके लिए झाबुआ क्षेत्र से मजदूरों को बुलाना पड़ रहा है, जिनकी मजदूरी 400 से 500 रूपये रोजना है. किसानों का कहना है कि फसल का 95 प्रतिशत से भी ज्यादा हिस्सा खेतों में है. ऐसे अगर जल्द ही मौसम साफ नहीं हुआ तो किसानों की कमर ही टूट जाएगी.

इंदौर। जिले में पल-पल बदलता मौसम का मिजाज किसानों के लिए परेशानियों का सबब बन गया है. देपालपुर क्षेत्र में एक सप्ताह से कभी धूप निकल आती है, तो अचानक से बारिश का दौर शुरु हो जाता है. ऐसे में किसान अपनी फसले तक नहीं काट पा रहे हैं.

बारिश के चलते फसल भी नहीं काट पा रहे किसान

किसानों का कहना है कि बारिश से वैसे ही सोयाबीन की फसल बर्बाद हो चुकी है. बची-कुची फसल जो पक चुकी है, मौसम की बेरुखी के कारण वह भी नहीं कट पा रही है. हालात ये है कि सुबह से दोपहर तक तो तेज धूप निकलती है, लेकिन दोपहर बाद फिर बारिश शुरु हो जाती है.

किसानो ने फसल काटने के लिए किराए से हारवेस्टर मशीन तो बुलवा ली है पर खेत मे नमी होने के कारण मशीनें खेतों मे ही फंस रही है. खेत ऊंचे हैं आधी फसल तो निकाल ली जाती है लेकिन बारिश हो जाने से आधी फसल बर्बाद हो रही है. कुछ किसान गीले खेतों में ही कटाई करवा रहे हैं. जिसके लिए झाबुआ क्षेत्र से मजदूरों को बुलाना पड़ रहा है, जिनकी मजदूरी 400 से 500 रूपये रोजना है. किसानों का कहना है कि फसल का 95 प्रतिशत से भी ज्यादा हिस्सा खेतों में है. ऐसे अगर जल्द ही मौसम साफ नहीं हुआ तो किसानों की कमर ही टूट जाएगी.

Intro:किसानो के लिए आफत की बारीष बनते बिगडते मोसम से फसलो मे हो रहा भारी नुकसान।
देपालपुर क्षेत्र में एक सप्ताह से कभी धुप तो कभी बारीष इस बनते बिगड ते मोसम ने किसानो की मुसीबते बडा दि है किसानो के लिए मोसम की बैरूखी अब परेषानी का कारण बनी हुई है क्षैत्र मे इस बार भारी बारीष के कारण सोयाबीन की फसलो मे भारी नुकसान हो रहा है वही सोयाबीन की फसल अब खेतो मे पुर्ण रूप से पक चुकी हे जिसे काटने के लिए मोसम किसानो को परेषान कर रहा है ।Body: रोजाना सुबह से दोपहर तक तो तेज धुप निकल रही हे पर दोपहर बाद से रोजान आसमान से आफत की बारीष फसलो को खेतो से काटने नही दे रही है। कई किसानो ने फसल काटने के लिए हाईवेस्टर मशीन ता बुलवा ली है पर खेत मे नमी होने के कारण मशीनें खेतो मे ही फस रही है वही कुछ उचे खेतो मे जहां खेत सुखे हें वहा हाईवेस्टर से आधी फसल तो निकाल ली गई हे परंतु रोजाना हो रही बारीश के कारण आधी फसले बारबद हो रही इधर गीले खेतो मे किसानो ने फसल कटाई हेतु झाबुआ क्षैत्र से 400 से 500 रूपये रोज मे मजदुरो को बुलाया है Conclusion:जिसमे सुबह मोसम खुलते ही मजदूर खेत मे फसल काटके रखता हे और दोपहर से बारीष शुरू हो जाती है जिसेसे कटाई का काम फीर रूक जाता है वही कटी हु फसल खेतो मे ही बरबाद होती है। इस तहर इस बारीष ने किसानो को रूला दिया है किसान अब लाचार हो कर बची हुई फसलो के लिए इन्द्र देव से मन्नते मागं रहा है । देपालपुर क्षैत्र मे 95 प्रतिषत से ज्यादा सोयाबीन की फसल खेतो है परंतु अभी तक एक भी कृष्क एसा नही हे जो फसल को काट कर घर ले गया हो पहले ही अधीक बारीष के कारण फसलो मे पुनः अकुरण हो गया था और फसलो की जडे गलने लगी थी वही पीछले 1 सप्ताह से कभी धुप तो कभी बारीष के चलते किसानो की कमर तोड दि है ओर इधर बारिश रुकने का नाम ही नही ले रही है।

बाइट - किसान बलराम चौधरी  mp_ind_depalpur_01_faslo_me_nuksan_05_10064
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