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115 करोड़ रुपए डकार गया बिजली विभाग! ईटीवी भारत के खुलासे पर शुरू हुई जांच

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Published : Oct 20, 2021, 1:17 PM IST

प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में बिजली विभाग की मिलीभगत से केंद्रीय योजना के लिए मिले 230 करोड़ रुपए में से 115 करोड़ रुपए का हिसाब ही विभाग के पास नहीं है. इस बावत ईटीवी भारत के खबर प्रकाशित करने के बाद जांच शुरू हो गई है.

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IPDS योजना में 115 करोड़ का घोटाला

इंदौर। विद्युत वितरण कंपनी में आईपीडीएस योजना के तहत एक बड़ा घोटाला पिछले दिनों सामने आया था. ईटीवी भारत ने सुपर कॉरिडोर स्थित कई कॉलोनियों में IPDS योजना के तहत बिजली उपकरण लगे होने का दावा किया था, उसी खबर के खुलासे के बाद एक टीम जांच के लिए पहुंची तो जो उपकरण मिले हैं, उनका पंचनामा बनाया है. योजना के तहत केंद्र सरकार ने पश्चिम विद्युत वितरण कंपनी को करीब 230 करोड़ रूपये के आसपास दिए थे, इन पैसों से विद्युत सप्लाई की समस्या को ठीक करना था, जिसमें बिजली के पोल, केबल सहित तमाम सामग्री खरीदी जानी थी.

केंद्र की IPDS योजना में हुआ घोटाला ! अधिकारियों के पास नहीं है 115 करोड़ रुपए का हिसाब

प्रधानमंत्री कार्यालय में घोटाले की शिकायत

शिकायतकर्ता ने इसकी शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय में की थी, जिसके बाद जांच शुरू हुई, शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि 230 करोड़ में से मात्र 115 करोड़ के आसपास का काम हुआ है, बाकी रुपए का हिसाब विभाग के पास नहीं है. जिन उपकरणों को बिजली सप्लाई दुरुस्त करने के लिए लगाना था, उनको बिजली विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से कॉलोनियों में लगा दिया गया है, जिनमें शहर की कई पॉश कॉलोनी शामिल हैं, जिनमें सुपर कॉरिडोर की कई कॉलोनियों के साथ ही बाईपास पर मौजूद कॉलोनियां भी शामिल हैं.

कॉलोनी तक कैसे पहुंच गए सरकारी उपकरण

जांच टीम मौके पर जाकर कॉलोनी में लगे पोल की गिनती कर पंचनामा बनाई है, साथ ही कॉलोनी संचालक से संबंधित उपकरणों के बिल की डिमांड की है, यदि समय रहते कॉलनाइजर संबंधित उपकरणों का बिल विभाग के समक्ष पेश कर देगा तो उपकरण की डिटेल खंगाला जाएगा. शिकायतकर्ता ने विभाग के अधिकारियों पर आरोप लगाया है कि जांच के नाम पर लीपापोती की जा रही है, कॉलोनी में योजना से संबंधित उपकरण मिले हैं तो इस मामले की जल्द जांच कर आरोपियों पर प्रकरण दर्ज किया जाए. अधिकारियों का कहना है कि आरोपियों पर निश्चित तौर पर प्रकरण दर्ज करवाए जाएंगे.

राजनीतिक दल से जुड़े हैं कॉलोनी संचालक

एसएन कॉरिडोर और श्रीमाया आर्केड के जो कर्ताधर्ता हैं, वो राजनीतिक दलों के बड़े नेताओं से जुड़े हुए हैं, जिसकी वजह से अधिकारी भी फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं क्योंकि मामला केंद्रीय योजना से भी जुड़ा है, जब शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय में की गई है तो निचले स्तर के अधिकारी भी सतर्कता से जांच कर रहे हैं. इंदौर बाईपास और सुपर कॉरिडोर की कई कॉलोनियों में योजना से संबंधित बिजली के उपकरण लगाए गए हैं. अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही जांच पूरी की जाएगी, वहीं दूसरी ओर शिकायतकर्ता ने लोकायुक्त में शिकायत के साथ ही इंदौर हाई कोर्ट में भी याचिका लगाई है.

केंद्र ने जारी किए थे 530 करोड़ रुपए

दरअसल केंद्र सरकार ने पश्चिम विद्युत वितरण कंपनी को विद्युत सप्लाई उपकरणों को दुरस्त करने के लिए इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम (IPDS) के तहत 530 करोड रुपए का फंड जारी किया था. जिनमें बिजली के पोल, केबल सहित अन्य बिजली उपकरणों को दुरस्त करना था. इस योजना के तहत इंदौर जिले को 230 करोड़ रुपए आबंटित हुए थे. अब इस योजना में बड़ा घोटाले की खबरें सामने आ रहा है. जिसकी शिकायत इंदौर के शिकायतकर्ता ने प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर एमपी हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में की है.

इंदौर। विद्युत वितरण कंपनी में आईपीडीएस योजना के तहत एक बड़ा घोटाला पिछले दिनों सामने आया था. ईटीवी भारत ने सुपर कॉरिडोर स्थित कई कॉलोनियों में IPDS योजना के तहत बिजली उपकरण लगे होने का दावा किया था, उसी खबर के खुलासे के बाद एक टीम जांच के लिए पहुंची तो जो उपकरण मिले हैं, उनका पंचनामा बनाया है. योजना के तहत केंद्र सरकार ने पश्चिम विद्युत वितरण कंपनी को करीब 230 करोड़ रूपये के आसपास दिए थे, इन पैसों से विद्युत सप्लाई की समस्या को ठीक करना था, जिसमें बिजली के पोल, केबल सहित तमाम सामग्री खरीदी जानी थी.

केंद्र की IPDS योजना में हुआ घोटाला ! अधिकारियों के पास नहीं है 115 करोड़ रुपए का हिसाब

प्रधानमंत्री कार्यालय में घोटाले की शिकायत

शिकायतकर्ता ने इसकी शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय में की थी, जिसके बाद जांच शुरू हुई, शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि 230 करोड़ में से मात्र 115 करोड़ के आसपास का काम हुआ है, बाकी रुपए का हिसाब विभाग के पास नहीं है. जिन उपकरणों को बिजली सप्लाई दुरुस्त करने के लिए लगाना था, उनको बिजली विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से कॉलोनियों में लगा दिया गया है, जिनमें शहर की कई पॉश कॉलोनी शामिल हैं, जिनमें सुपर कॉरिडोर की कई कॉलोनियों के साथ ही बाईपास पर मौजूद कॉलोनियां भी शामिल हैं.

कॉलोनी तक कैसे पहुंच गए सरकारी उपकरण

जांच टीम मौके पर जाकर कॉलोनी में लगे पोल की गिनती कर पंचनामा बनाई है, साथ ही कॉलोनी संचालक से संबंधित उपकरणों के बिल की डिमांड की है, यदि समय रहते कॉलनाइजर संबंधित उपकरणों का बिल विभाग के समक्ष पेश कर देगा तो उपकरण की डिटेल खंगाला जाएगा. शिकायतकर्ता ने विभाग के अधिकारियों पर आरोप लगाया है कि जांच के नाम पर लीपापोती की जा रही है, कॉलोनी में योजना से संबंधित उपकरण मिले हैं तो इस मामले की जल्द जांच कर आरोपियों पर प्रकरण दर्ज किया जाए. अधिकारियों का कहना है कि आरोपियों पर निश्चित तौर पर प्रकरण दर्ज करवाए जाएंगे.

राजनीतिक दल से जुड़े हैं कॉलोनी संचालक

एसएन कॉरिडोर और श्रीमाया आर्केड के जो कर्ताधर्ता हैं, वो राजनीतिक दलों के बड़े नेताओं से जुड़े हुए हैं, जिसकी वजह से अधिकारी भी फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं क्योंकि मामला केंद्रीय योजना से भी जुड़ा है, जब शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय में की गई है तो निचले स्तर के अधिकारी भी सतर्कता से जांच कर रहे हैं. इंदौर बाईपास और सुपर कॉरिडोर की कई कॉलोनियों में योजना से संबंधित बिजली के उपकरण लगाए गए हैं. अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही जांच पूरी की जाएगी, वहीं दूसरी ओर शिकायतकर्ता ने लोकायुक्त में शिकायत के साथ ही इंदौर हाई कोर्ट में भी याचिका लगाई है.

केंद्र ने जारी किए थे 530 करोड़ रुपए

दरअसल केंद्र सरकार ने पश्चिम विद्युत वितरण कंपनी को विद्युत सप्लाई उपकरणों को दुरस्त करने के लिए इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम (IPDS) के तहत 530 करोड रुपए का फंड जारी किया था. जिनमें बिजली के पोल, केबल सहित अन्य बिजली उपकरणों को दुरस्त करना था. इस योजना के तहत इंदौर जिले को 230 करोड़ रुपए आबंटित हुए थे. अब इस योजना में बड़ा घोटाले की खबरें सामने आ रहा है. जिसकी शिकायत इंदौर के शिकायतकर्ता ने प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर एमपी हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में की है.

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