इंदौर। तेजी से बढ़ती महंगाई के मद्देनजर अब राज्य सरकार भी पेट्रोल और डीजल का विकल्प तलाश रही है. यही वजह है कि दुनिया के अन्य देशों की तर्ज पर अब सरकार ने करीब 20 एथेनॉल प्लांट को मंजूरी देने का फैसला किया है. इसे लेकर राज्य के मध्यम एवं लघु उद्योग विभाग का दावा है, कि निजी सहयोग से प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर लगने वाले प्लांटों में एथेनॉल बनाने के लिए किसानों से समर्थन मूल्य पर अतिरिक्त रूप से खरीदे जाने वाले खाद्यान्न ने का उपयोग भी हो सकेगा.
केंद्र सरकार ने दी है 8 फीसदी मिश्रण की अनुमति
इजराइल और ब्राजील जैसे विभिन्न देशों की तरह ही अब मध्य प्रदेश में भी गाड़ियों में एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल का उपयोग करने की तैयारी है. जिसे लेकर राज्य सरकार ने निजी सहयोग से एथेनॉल बनाने वाले करीब 20 प्लांट को मंजूरी देने का फैसला किया है. राज्य के मध्यम एवं लघु उद्योग मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा ने इंदौर में राज्य सरकार के इस निर्णय की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार फिलहाल पेट्रोलियम उत्पादों में एथेनॉल के 8 फीसदी मिश्रण को सहमति दे चुकी है. जबकि दुनिया के अन्य देशों में पेट्रोल में एथेनॉल की 20 से 30% मात्रा मिलाकर वाहनों को चलाया जा रहा है.
समर्थन मूल्य पर होगी अतिरिक्त खरीदी
सकलेचा ने दावा किया कि एथेनॉल का निर्माण अनाज और कृषि आधारित उत्पादों के जरिए होता है. ऐसी स्थिति में भविष्य में एथेनॉल के निर्माण में समर्थन मूल्य पर अतिरिक्त रूप से खरीदे जाने वाले अनाज का उपयोग भी एथेनॉल बनाने में किया जा सकेगा. इससे ना केवल अतिरिक्त कृषक उपज का सदुपयोग हो सकेगा साथ ही कृषि आधारित अन्य उत्पादों का भी समुचित प्रबंध किया जा सकेगा.
62 रुपए प्रति लीटर बिकता है एथेनॉल
गौरतलब है फिलहाल एथेनॉल करीब 46 रुपए प्रति लीटर के भाव से व्यापारिक रूप से उपलब्ध है, जबकि गन्ने के उच्च कोटि के शीरा से बने एथेनॉल की कीमत करीब 53 रुपए प्रति लीटर से लेकर 62 रुपए प्रति लीटर तक बताई जाती है.
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बहुत काम का है एथेनॉल
दरअसल एथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है. जैसे पेट्रोल में मिश्रण कर इंधन के रूप में उपयोग किया जा सकता है. एथेनॉल को मुख्य रूप से गन्ने जैसी शर्करा वाली फसलों के उत्पादों से तैयार किया जा सकता है. एथेनॉल का उपयोग पेट्रोलियम मिश्रण के साथ-साथ वारनेस दवाओं के घोल, पॉलिश, क्लोरोफॉर्म ईथर, इत्र और कई रासायनिक यौगिक बनाने में किया जाता है.
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2030 तक 1400 करोड़ लीटर इथेनॉल की होगी जरूरत
एथेनॉल बनाने में गेहूं, चावल, जो, ज्वार और मक्का जैसे अनाजों का इस्तेमाल होता है. इसके लिए अनाज आधारित भट्टीयों की स्थापना को भी मोदी सरकार मंजूरी दे चुकी है. जिनमें वाष्पीकरण और उनके जरिए करीब 175 लाख मैट्रिक टन गेहूं, चावल, जो, मक्का और ज्वार का उपयोग किया जा सकेगा. माना जा रहा है कि 2030 तक पेट्रोल में एथेनॉल के 20% मिश्रण के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए 1400 करोड़ लीटर अल्कोहल या इथेनॉल की जरूरत होगी.
फिलहाल गन्ने से एथेनॉल का उत्पादन उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में हो रहा है. लेकिन इन राज्यों से एथेनॉल को अन्य राज्यों में ले जाने में भी भारी परिवहन खर्च होता है. यही वजह है कि देश के विभिन्न राज्यों में अब एथेनॉल के निर्माण को लेकर प्राथमिकता दी जा रही है.
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ऐसे बनता है एथेनॉल
एथेनॉल बनाने की दो विधियां हैं. जिसमें मुख्य रुप से किणवन विधि है. इसमें गन्ने अथवा आलू, चावल, जो, गेहूं, मकई को सड़ाने के बाद उनसे स्टार्च युक्त पदार्थ प्राप्त किया जाता है. जिससे किणवन विधि द्वारा अल्कोहल प्राप्त किया जाता है. जबकि दूसरी संश्लेषण विधि है. जिसमें एथिलीन गैस को कंसंट्रेट सल्फ्यूरिक एसिड में शोषित कराने से एथिल हाइड्रोजन सल्फेट बनता है. जिसे पानी के साथ मिलाने पर एथिल अल्कोहल बनता है.