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साल भर में बढ़े 7 लाख बेरोजगार, अब PPP मोड पर रोजगार की व्यवस्था

प्रदेश भर में रोजगार मेले का आयोजन किया जा रहा है., जिसमें युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जा रहे है, लेकिन बेरोजगारी की बात की जाए, तो साल भर में 7 लाख बेरोजगार बढ़ गए हैं, जो चिंता का विषय है.

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रोजगार मेले का आयोजन
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Published : Jan 20, 2021, 3:03 PM IST

Updated : Jan 20, 2021, 4:30 PM IST

इंदौर। आज प्रदेश भर में रोजगार मेले का आयोजन किया जा रहा है, लेकिन बेरोजगारी की बात की जाए, तो राज्य में रोजगार की बेहद खराब है. आलम यह है कि मध्य प्रदेश में बीते 3 सालों में ही बेरोजगारों की संख्या 28 लाख के पार हो गई है, जबकि साल भर में राज्य में 7 लाख बेरोजगार बढ़ गए हैं. ऐसी स्थिति में रोजगार मेले का आयोजन हो रहा है. हालांकि, इस मेले में भी तमाम कंपनियों को प्रशिक्षित और हुनरमंद आवेदक नहीं मिल पा रहे हैं.

दरअसल, राज्य के रोजगार कार्यालय में पंजीयन कराने वाले बेरोजगारों की संख्या 28 लाख से ज्यादा हो चुकी है. हालांकि इतनी बड़ी बेरोजगारों की संख्या के विपरीत बीते साल राज्य सरकार करीब 34000 लोगों को ही रोजगार दिला सकी. अब शिवराज सरकार की कोशिश है कि रोजगार मेलों के जरिए बढ़ती बेरोजगारी पर किसी न किसी तरीके से लगाम लगाई जा सकें, जिससे प्रदेश में डिग्रियां लेने वाले बेरोजगारों को अपनी आजीविका चलाने के लिए कामकाज नसीब हो सकें.

मध्य प्रदेश के अलावा गुजरात सहित अन्य राज्यों की कंपनियां कैंपस ड्राइव के लिए पहुंची है. उन्हें भी हुनरमंद आवेदक नहीं मिल पा रहे हैं. स्थिति यह है कि मेले में आने वाले आवेदकों में डिग्री धारियों की तो भरमार है, लेकिन कंपनियों को प्रशिक्षित ड्राइवर, सेल्स एग्जीक्यूटिव, हाउसकीपर, कंप्यूटर ऑपरेटर, मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव समेत पैरामेडिकल के पदों पर भर्ती के लिए योग्य आवेदक चाहिए.

रोजगार मेले का आयोजन

प्रदेश के अधिकांश छात्र इंजीनियरिंग और अन्य पाठ्यक्रमों की डिग्रियां ले रहे हैं, जो रोजगार के धरातल पर अनुपयोगी साबित हो रही हैं. डिग्रियां लेने के बाद जब युवा रोजगार मेलों में पहुंच रहे हैं, तो तकनीकी ज्ञान और कौशल के लिहाज से वह अपने आप को रोजगार प्राप्त करने में असमर्थ पा रहे हैं. इधर दूसरी तरफ जो कंपनियां रोजगार देने पहुंची हैं, उन्हें भी 100 आवेदकों में से 5 आवेदक भी उपयुक्त नहीं मिल पा रहे हैं.

मध्यप्रदेश में बढ़ी बेरोजगारी

श्रम और रोजगार मंत्रालय के सर्वेक्षणों पर गौर किया जाए, तो मध्य प्रदेश के पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, बिहार और जम्मू में बेरोजगारी का प्रतिशत घटा है. वहीं प्रदेश में बेरोजगारी की दर बढ़ी है. रोजगार को लेकर केंद्र सरकार के प्रयासों पर नजर डाली जाए, तो प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत पिछले 3 सालों में मध्य प्रदेश को दो अरब दो करोड़ 29 लाख रुपए आवंटित किए गए. हालांकि इसके विपरीत 48 हजार 713 लोगों को ही स्वरोजगार उपलब्ध कराया जा सका है. राज्य में रोजगार को लेकर बड़ी परेशानी यह भी है कि प्रदेश में शिक्षित और अशिक्षित युवाओं को जिस अनुपात में कौशल प्रशिक्षण दिया जा रहा है, उस अनुपात में रोजगार का सृजन नहीं हो पा रहा है.

अब पीपीपी मोड पर रोजगार की व्यवस्था

यशस्वी ग्रुप कंपनी विभिन्न जिलों में रोजगार मेले आयोजित कर रही है. राज्य सरकार द्वारा इस कंपनी के साथ 10 साल के लिए किए गए करार के बाद अब यही कंपनी सभी जिलों में रोजगार मेले आयोजित कर रही है. इसके साथ ही रोजगार कार्यालयों को कॉरपोरेट स्वरूप में विकसित कर रोजगार की व्यवस्था को अपग्रेड किया जा रहा है. रोजगार कार्यालय के वर्तमान पोर्टल को भी अपग्रेड करके ऑनलाइन माध्यम से रोजगार मुहैया कराने की व्यवस्था की गई है.

इंदौर। आज प्रदेश भर में रोजगार मेले का आयोजन किया जा रहा है, लेकिन बेरोजगारी की बात की जाए, तो राज्य में रोजगार की बेहद खराब है. आलम यह है कि मध्य प्रदेश में बीते 3 सालों में ही बेरोजगारों की संख्या 28 लाख के पार हो गई है, जबकि साल भर में राज्य में 7 लाख बेरोजगार बढ़ गए हैं. ऐसी स्थिति में रोजगार मेले का आयोजन हो रहा है. हालांकि, इस मेले में भी तमाम कंपनियों को प्रशिक्षित और हुनरमंद आवेदक नहीं मिल पा रहे हैं.

दरअसल, राज्य के रोजगार कार्यालय में पंजीयन कराने वाले बेरोजगारों की संख्या 28 लाख से ज्यादा हो चुकी है. हालांकि इतनी बड़ी बेरोजगारों की संख्या के विपरीत बीते साल राज्य सरकार करीब 34000 लोगों को ही रोजगार दिला सकी. अब शिवराज सरकार की कोशिश है कि रोजगार मेलों के जरिए बढ़ती बेरोजगारी पर किसी न किसी तरीके से लगाम लगाई जा सकें, जिससे प्रदेश में डिग्रियां लेने वाले बेरोजगारों को अपनी आजीविका चलाने के लिए कामकाज नसीब हो सकें.

मध्य प्रदेश के अलावा गुजरात सहित अन्य राज्यों की कंपनियां कैंपस ड्राइव के लिए पहुंची है. उन्हें भी हुनरमंद आवेदक नहीं मिल पा रहे हैं. स्थिति यह है कि मेले में आने वाले आवेदकों में डिग्री धारियों की तो भरमार है, लेकिन कंपनियों को प्रशिक्षित ड्राइवर, सेल्स एग्जीक्यूटिव, हाउसकीपर, कंप्यूटर ऑपरेटर, मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव समेत पैरामेडिकल के पदों पर भर्ती के लिए योग्य आवेदक चाहिए.

रोजगार मेले का आयोजन

प्रदेश के अधिकांश छात्र इंजीनियरिंग और अन्य पाठ्यक्रमों की डिग्रियां ले रहे हैं, जो रोजगार के धरातल पर अनुपयोगी साबित हो रही हैं. डिग्रियां लेने के बाद जब युवा रोजगार मेलों में पहुंच रहे हैं, तो तकनीकी ज्ञान और कौशल के लिहाज से वह अपने आप को रोजगार प्राप्त करने में असमर्थ पा रहे हैं. इधर दूसरी तरफ जो कंपनियां रोजगार देने पहुंची हैं, उन्हें भी 100 आवेदकों में से 5 आवेदक भी उपयुक्त नहीं मिल पा रहे हैं.

मध्यप्रदेश में बढ़ी बेरोजगारी

श्रम और रोजगार मंत्रालय के सर्वेक्षणों पर गौर किया जाए, तो मध्य प्रदेश के पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, बिहार और जम्मू में बेरोजगारी का प्रतिशत घटा है. वहीं प्रदेश में बेरोजगारी की दर बढ़ी है. रोजगार को लेकर केंद्र सरकार के प्रयासों पर नजर डाली जाए, तो प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत पिछले 3 सालों में मध्य प्रदेश को दो अरब दो करोड़ 29 लाख रुपए आवंटित किए गए. हालांकि इसके विपरीत 48 हजार 713 लोगों को ही स्वरोजगार उपलब्ध कराया जा सका है. राज्य में रोजगार को लेकर बड़ी परेशानी यह भी है कि प्रदेश में शिक्षित और अशिक्षित युवाओं को जिस अनुपात में कौशल प्रशिक्षण दिया जा रहा है, उस अनुपात में रोजगार का सृजन नहीं हो पा रहा है.

अब पीपीपी मोड पर रोजगार की व्यवस्था

यशस्वी ग्रुप कंपनी विभिन्न जिलों में रोजगार मेले आयोजित कर रही है. राज्य सरकार द्वारा इस कंपनी के साथ 10 साल के लिए किए गए करार के बाद अब यही कंपनी सभी जिलों में रोजगार मेले आयोजित कर रही है. इसके साथ ही रोजगार कार्यालयों को कॉरपोरेट स्वरूप में विकसित कर रोजगार की व्यवस्था को अपग्रेड किया जा रहा है. रोजगार कार्यालय के वर्तमान पोर्टल को भी अपग्रेड करके ऑनलाइन माध्यम से रोजगार मुहैया कराने की व्यवस्था की गई है.

Last Updated : Jan 20, 2021, 4:30 PM IST
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