इंदौर। कोरोना काल में लगे लॉकडाउन के कारण दुनिया भर में मंहगाई बढ़ी, हलांकि जब वैक्सीन आई तो हालत कुछ सामान्य हुए. लेकिन दुनिया के बड़े खाद्य तेल उत्पादक देशों की हड़ताल ने भारत के बाजार को मंहगा कर दिया है. हड़ताल के कारण अर्जेंटीना और इंडोनेशिया जैसे बड़े तेल उत्पादक देशों ने खाद्य तेलों पर एक्सपोर्ट ड्यूटी बढ़ा दी है, लिहाजा विदेश हड़ताल से अब देशी बाजार के साथ-साथ रसोई का बजट भी बिगड़ गया है.
अर्जेंटीना और इंडोनेशिया ने बढ़ाई एक्सपोर्ट ड्यूटी
तेल उत्पादक देश अर्जेंटीना और इंडोनेशिया में तेल उत्पादक कंपनियों की हड़ताल जारी है, जिस कारण इन देशों ने तेलों के निर्यात पर 15% तक एक्सपोर्ट ड्यूटी बढ़ा दी है, लिहाजा भारत बाजारों में तेल के दाम लगभग दोगुने हो गए हैं.
दोगुनी हो गई कीमत
इन दिनों बाजार में तेल की कीमत 128 से 130 प्रति लीटर रुपये है, जो कोरोना से पहले महज 50 से 80 रुपये प्रति लीटर था. यानी बीते 9 महीने में तेल के दामों में 60 से 70 रुयये की बढ़ोतरी आई है. कुल मिलाकर कहा जा सकता है की खाद्य तेल के दाम लगभग दो गुने हो गए हैं.
इंदौर में तेल भाव
- सादा मूंगफली तेल 1430 से 1450 रुपये प्रति 10 लीटर
- सोयाबीन रिफाइंड तेल 1115 से 1120 रुपये प्रति 10 लीटर
- सोयाबीन प्योर 4550 से 4600 रुपये प्रति 10 लीटर
- सोयाबीन सॉल्वेंट 1030 से 1035 रुपये प्रति 10 लीटर
- पाम तेल 1132 रुपए से 1135 रुपये प्रति 10 लीटर
पहले की तुलना में आधी खरीदी
तेल व्यापारियों की मानें तो केवल सोयाबीन तेल में भी डिमांड बढ़ी हुई है, जिसके कारण तेल के दामों में उछाल आ रहा है. नमकीन अथवा होटल सेक्टर में भी हुआ है. तेल के बढ़े दामों के कारण कुछ व्यापारियों ने समान के रेट बढ़ाना शुरी कर दिया तो, ज्यादातर लोगों ने अपने उत्पादों के साइज और मात्रा में कमी कर दी.
घट गई औसत घरेलू खपत
भारी मंहगाई के बीच उम्मीद थी कि बजट में तेलों पर लगी ड्यूटी में राहत मिल सकती है, लेकिन बजट में भी कोई राहत नहीं मिल सकी है. जिसका असर अब ग्राहकों की जेब पर पढ़ रहा है. इंदौर समेत देशभर में घरेलू उपभोक्ता महीने में औसतन 10 लीटर तेल का उपयोग करते थे, जो अब घट कर 4 लीटर रह गया है.
मार्च में सुधर सकते हैं हालात
इंदौर तेल बाजार से जुड़े व्यापारियों की मानें तो बजट में 5.5 फ़ीसदी सेस लगाया है, उसका महंगाई पर आंशिक असर है. लेकिन मार्च तक तेल उत्पादक देशों से आयात बढ़ने के कारण तेल के दामों में सुधार हो सकता है.
फसल की बर्बादी भी एक कारण
विदेशों की हड़ताल, पेट्रोल डीजल के बढ़े दामों के अलावा भी देश के खाद्य तेल बाजार में खराब हुई फसलों का भी असर है. इस सीजन में बारिश ज्यादा होने से लगभग 40 लाख मैट्रिक टन फसल खराब हो गई है, जिस कारण किसान को घाटा तो हुआ ही, देसी तेल के उत्पादन में भी कमी आई है.