इंदौर। 18 जून को हर साल World Picnic Day मनाया जाता है. भारत में भी पिकनिक का चलन बढ़ते जा रहा है. लेकिन इस बार कोरोना के डर और कोरोना गाइडलाइन के चलते पर्यटन स्थलों पर पिकनिक मनाने वाले लोगों की भीड़ कम हो गई है. इंदौर के Kamala Nehru Zoological Museum प्रभारी का कहना है कि कोरोना संक्रमण के कारण लोगों की भीड़ कम होने लगी है.
- पिकनिक मानाने आए लोग फेंकते है खाना
कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय प्रभारी डॉक्टर उत्तम यादव ने बताया कि वे इंदौर के प्राणी संग्रहालय में 5 सालों से काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि पिकनिक मानाने आए लोग खाने को फेंकते है. और यह वेस्टेज खाना लगातार बढ़ता जा रहा है. पिछले 5 सालों में लोग 12 लाख रुपए का खाना वेस्ट करते थे. लेकिन अभी प्राणी संग्रहालय का वेस्टेज खाना लगभग 20 से 22 लाख रुपए तक पहुंच चुका है. कोरोना का काल को छोड़ कभी भी इंदौर के प्राणी संग्रहालय में वेस्ट खाना कम नहीं हुआ है. प्राणी संग्रहालय का प्रयास रहता है कि नए प्राणी संग्रहालय में आते रहे. साथ ही नई-नई एक्टिविटीज भी दर्शकों को रिझाने का काम करती है. जिसके चलते प्रदेश के अन्य प्राणी संग्रहालय की तुलना में इंदौर के प्राणी संग्रहालय में दर्शकों की संख्या कम नहीं होती है.
world picnic day: कोरोना के डर का असर, मांडू में पर्यटकों की संख्या हुई कम
- दर्शकों के लिए खोला जाएगा प्राणी संग्रहालय
कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय के प्रभारी डॉक्टर उत्तम यादव ने बताया कि पिछले 2 वर्षों से इंदौर के प्राणी संग्रहालय में कोरोना का ग्रहण लगने से पिकनिक के लिए लोग नहीं आ रहे हैं. जिसके चलते लोगों में मायूसी जरूर छाई हुई है, लेकिन उम्मीद लगाई जा सकती है कि आने वाले दिनों में जल्द ही इंदौर के प्राणी संग्रहालय को पर्यटकों के लिए खोला जाएगा.
"वो भी क्या दिन थे"... 'विश्व पिकनिक डे' पर लोगों को याद आई पिकनिक की मौज-मस्ती
- ये है World Picnic Day का इतिहास
लोग अक्सर पिकनिक मनाने नेचर के बीच जाना ज्यादा पसंद करते हैं. लेकिन एक सवाल में जरूर उठता है यह पिकनिक शब्द आया कहां से हैं? कहा जाता है कि पिकनिक शब्द फ्रेंच भाषा से लिया गया है. जिसका अर्थ होता है प्रकृति के बीच बैठकर भोजन या नाश्ता करना. ऐसा भी कहा जाता है कि France Revolution के बाद ही यह ट्रेंड काफी पॉपुलर हुआ है और पूरी दुनिया में इसे अपना लिया गया है. भारत में भी पिकनिक का चलन शहरी क्षेत्रों से होता हुआ ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंच चुका है.