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12 साल में यहां एक बार की जाती है मां शीतला की पूजा, हजारों की संख्या में श्रद्धाओं की लगती है भीड़

अपने परिवार की सुख शांति के साथ माता के प्रकोप से बचने के लिए 12 साल में एक बार शीतला माता की पूजन का भव्य आयोजन किया जाता है.

मां शीतला की पूजा
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Published : Apr 17, 2019, 6:29 PM IST

Updated : Apr 17, 2019, 7:50 PM IST

इंदौर। भारत में धर्म और संस्कृति के नाम पर कई धार्मिक आयोजन किए जाते हैं. लोग अपने परिवार की सुख शांति के साथ माता के प्रकोप से बचने के लिए 12 साल में एक बार शीतला माता की पूजन का भव्य आयोजन करते हैं.

मां शीतला की पूजा

इंदौर से करीब 30 किलोमीटर दूर मालवा के महू क्षेत्र अंतर्गत सिमरोल गांव में 12 साल में एक बार ये अनूठा आयोजन किया जाता है. सभी धर्म व जाति के लोग इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं. यहां महिलाएं अपने सर पर मिट्टी से बनी सिगड़ी को रखकर गांव से करीब 6 किलोमीटर दूर मां शीतला माता मंदिर में कड़ी धूप में नंगे पैर चल कर जाती है. यहां वे सुख, शांति और समृद्धि की प्रार्थना करती है. फिर भाई अपनी बहनों के सिर से सिगड़ी उतारकर शीतला माता को चढ़ाते हैं.

बड़े-बुजुर्ग मिलकर इस आयोजन की तारीख तय करते हैं. वहीं प्रशासन भी अहम भूमिका निभाते हुए भक्तों की सुरक्षा के लिए जरूरी इंतजाम करता है. इस कार्यक्रम के कुछ दिन पहले से ही लोग तैयारियों में जुट जाते हैं. विशेष प्रकार की मिट्टी की सिगड़ी बनवाई जाती है. हजारों लोग माता के दर्शन कर पुण्य कमाते हैं. इस बार लगभग 40 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया. सिमरोल गांव के लोग जुलूस के रूप में निकले, भक्त बैंड-बाजों और भजनों की धुन पर नाचते-गाते माता के मंदिर पर पहुंचे.

इंदौर। भारत में धर्म और संस्कृति के नाम पर कई धार्मिक आयोजन किए जाते हैं. लोग अपने परिवार की सुख शांति के साथ माता के प्रकोप से बचने के लिए 12 साल में एक बार शीतला माता की पूजन का भव्य आयोजन करते हैं.

मां शीतला की पूजा

इंदौर से करीब 30 किलोमीटर दूर मालवा के महू क्षेत्र अंतर्गत सिमरोल गांव में 12 साल में एक बार ये अनूठा आयोजन किया जाता है. सभी धर्म व जाति के लोग इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं. यहां महिलाएं अपने सर पर मिट्टी से बनी सिगड़ी को रखकर गांव से करीब 6 किलोमीटर दूर मां शीतला माता मंदिर में कड़ी धूप में नंगे पैर चल कर जाती है. यहां वे सुख, शांति और समृद्धि की प्रार्थना करती है. फिर भाई अपनी बहनों के सिर से सिगड़ी उतारकर शीतला माता को चढ़ाते हैं.

बड़े-बुजुर्ग मिलकर इस आयोजन की तारीख तय करते हैं. वहीं प्रशासन भी अहम भूमिका निभाते हुए भक्तों की सुरक्षा के लिए जरूरी इंतजाम करता है. इस कार्यक्रम के कुछ दिन पहले से ही लोग तैयारियों में जुट जाते हैं. विशेष प्रकार की मिट्टी की सिगड़ी बनवाई जाती है. हजारों लोग माता के दर्शन कर पुण्य कमाते हैं. इस बार लगभग 40 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया. सिमरोल गांव के लोग जुलूस के रूप में निकले, भक्त बैंड-बाजों और भजनों की धुन पर नाचते-गाते माता के मंदिर पर पहुंचे.

Intro:एंकर भारत में धर्म और संस्कृति के नाम पर होने वाली विभिन्न आयोजनों के बारे में तो आपने सुना होगा परंतु जहां सभी धर्म के लोग एक ही जगह के एक ही क्षेत्र के लोग एक साथ किसी धार्मिक आयोजन को करें तो हैरानी तो होगी जी हां हम बात कर रहे हैं इंदौर से करीब 30 किलोमीटर दूर मालवा के महू क्षेत्र के ग्राम सिमरोल की जहां गांव गैर माता पूजन का एक ऐसा अनूठा आयोजन आयोजित हुआ है जिसमें परिवार और गांव की सुख शांति के साथ माता के प्रकोप से बचने के लिए 12 वर्ष में एक बार गांव के माता का पूजन का आयोजन किया जाता है इसमें सभी धर्म और जाति के लोग मिलकर इस आयोजन में सम्मिलित होते हैं और एक साथ इस आयोजन को करते हैं


Body:यहां सभी उम्र की महिलाएं अपने सर पर मिट्टी से बनी सिगड़ी को रखकर गांव से करीब 6 किलोमीटर दूर मां शीतला माता मंदिर में कड़ी धूप में नंगे पर जाकर माता को शीघ्र चला कर सुख शांति समृद्धि की प्रार्थना करती है फिर उनके भाई उसी सिगड़ी को बहन के सिर पर से उतारकर शीतला माता को चढ़ाते हैं इस आयोजन में लगभग हजारों की संख्या में लोग शामिल होते हैं वही इस आयोजन में शामिल होने के लिए आसपास से भी लोग पहुंचते हैं और इस पर्व को बड़े धूमधाम से मनाते हैं इस आयोजन के लिए विशेष तौर पर भाइयों का महत्व होता है कार्यक्रम में शामिल होने वाली बहनों के भाई चाहे वह कितने भी दूर हो इस दिन उसे आना ही पड़ता है गांव की खुशहाली समृद्धि और शांति के लिए इस आयोजन को करने का विशेष महत्व होता है गांव के बड़े बुजुर्ग मिलकर तय करते हैं कि कब इसका आयोजन किया जाएगा साथ ही इस आयोजन को सफल बनाने में व्यवस्थाओं को करने में प्रशासन की अहम भूमिका रहती है वहीं ग्रामीण जन भी इस आयोजन की भूमिका को बड़ी शिद्दत से निभाते हैं


Conclusion:इस कार्यक्रम की तैयारियां कई दिन पूर्व से की जाती है लोग अपने घरों की साफ सफाई करते हैं वही रंग रोगन भी करते हैं इस आयोजन का माहौल शादी से बढ़कर भी होता है जहां लोग शादी से पहले तैयारी करते हैं उससे भी ज्यादा इस आयोजन के लिए तैयारियां की जाती है विशेष प्रकार की मिट्टी की सिगड़ी बनवाते हैं और सभी करीबी रिश्तेदारों को निमंत्रण भी दिया जाता है इस तरह का आयोजन क्षेत्र के आसपास के गांव में भी होता है जिसे देखने हजारों लोग यहां पहुंचते हैं और माता के दर्शन कर पुण्य लाभ कमाते हैं सिमरोल गांव की गांव खेर माता का पूजन में लगभग 40000 से ज्यादा श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया गांव से लोग जुलूस के रूप में निकले और बैंड बाजों पर भजनों की धुन पर नाचते गाते माता के मंदिर पर पहुंचे कार्यक्रम के चलते प्रशासन और पुलिस द्वारा सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए थे


विजुअल माथे पर लकी सिगड़ी सिगड़ी उतारता भाई हजारों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालु माता मंदिर अन्य

बाइट दिनेश सलवाडिया ग्राम पंचायत सिमरोल सरपंच
बाइट प्रकाश चंद पूरे पंडित
कार्यक्रम में सम्मिलित लोगों से हुई ETV भारत की बातचीत

एक्ससीलुसिव स्टोरी
Last Updated : Apr 17, 2019, 7:50 PM IST
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