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बलिदान दिवस पर खुद को ठगा महसूस कर रहे टंट्या मामा के वंशज! आज भी टूटे घर में रहने को मजबूर, सरकारी योजनाओं का नहीं मिला लाभ

टंट्या मामा बलिदान दिवस 2021: जननायक शहीद टंट्या भील के बलिदान दिवस पर शिवराज सरकार ने भव्य आयोजन कर एकबार फिर प्रदेश की राजनीति को आदिवासियों के इर्द-गिर्द घुमा दिया है. एक ओर सीएम शिवराज आदिवासी जननायक की प्रतिमा का अनावरण कर, उनके कर्मस्थली पर कार्यक्रम कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर टंट्या मामा के वंशज आज भी मुफलिसी में जी रहे हैं (descendants of tantya mama feeling cheated). ना तो उचित आवास मिला है, ना ही दूसरी सरकारी सुविधाएं.

descendants of tantya mama feeling cheated
खुद को ठगा महसूस कर रहे टंट्या मामा के वंशज
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Published : Dec 4, 2021, 5:59 PM IST

Updated : Dec 4, 2021, 7:26 PM IST

इंदौर। टंट्या मामा बलिदान दिवस 2021: एकबार फिर आदिवासी मध्य प्रदेश की राजनीति की घुरी बन गए हैं. आदिवासियों के रॉबिन हुड और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले टंट्या भील के बलिदान दिवस (Tantya Mama Balidaan Diwas 2021) पर शिवराज सरकार ने भव्य आयोजन किया, इस दौरान कई योजनाओं की भी घोषणा की गई, लेकिन जिनके नाम पर इतने कार्यक्रम हो रहे हैं, उनके वंशज खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं (descendants of tantya mama feeling cheated). उनकी मानें तो आज भी वो टूटे मकान में रहने को मजबूर हैं.

खुद को ठगा महसूस कर रहे टंट्या मामा के वंशज

वंशजों की 3 मांगें अधूरी

टंट्या मामा की सातवीं पीढ़ी के वंशज सुनील का कहना है कि टंट्या मामा के नाम पर सरकार विभिन्न तरह की योजना की घोषणा कर रही है लेकिन उनकी तीन प्रमुख मांगें आज भी लंबित है, जिसमें टंट्या मामा की कर्मस्थली खरगोन जिले के तहसील झिरनिया के ग्राम कोटड़ा में विकास कार्य किया जाए. वंशजों का कहना है कि उसको लेकर सरकार को लगातार ज्ञापन भी सौंपे जा रहे हैं. इसी के साथ टंट्या मामा की कर्म स्थली कोठड़ा जो फिलहाल भीकनगांव विधानसभा में आता है, उस विधानसभा का नाम बदलकर उसे टंट्या भील के नाम पर घोषित किया जाए. इसी के साथ मामा जिस कोठड़ा में रहते थे वहां पर एक संग्रहालय का निर्माण किया जाए. इसी के साथ मुख्यमंत्री (CM Shivraj on Tantya Mama) ने जितनी भी घोषणाएं की है, उन घोषणाओं का लाभ मामा के वंशजों को भी मिले.


Tantya Mama Balidaan Diwas 2021: तीर्थ स्थल के तौर पर विकसित होगा पातालपानी, एमपी में आज से पेसा कानून लागू

टूटे घर में रहते हैं टंट्या मामा के वंशज (Descendants of Tantya Mama live in broken house)
टंट्या मामा की सातवीं पीढ़ी के परिजन सुनील ने बताया कि मामा के परिजन आज भी टूटे मकान में रहते हैं. उनलोगों ने अधिकारियों से मकान को ठीक करने की गुहार भी लगाई, लेकिन सरकार बलिदान दिवस के मौके पर ही उनके पास आती है और मामा के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर देती है. टंट्या मामा के परिजनों का ये भी कहना है कि मामा के नाम पर सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर विभिन्न तरह के आयोजन किए जा रही है, उससे बेहतर होगा कि यह राशि आदिवासी समाज के कल्याण में खर्च किए जाएं.


सरकार ने परिजनों को किया सम्मानित
फिलहाल टंट्या मामा के बलिदान दिवस के मौके पर प्रदेश सरकार ने इंदौर में भव्य कार्यक्रम किया, जिसमें टंट्या मामा के विभिन्न परिजनों को भी बुलाया गया और उन्हें भी सम्मानित किया गया. लेकिन टंट्या मामा के परिजनों की मांगें काफी समय से लंबित है, जिसके कारण परिजन आज भी ना खुश नजर आ रहे हैं.

इंदौर। टंट्या मामा बलिदान दिवस 2021: एकबार फिर आदिवासी मध्य प्रदेश की राजनीति की घुरी बन गए हैं. आदिवासियों के रॉबिन हुड और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले टंट्या भील के बलिदान दिवस (Tantya Mama Balidaan Diwas 2021) पर शिवराज सरकार ने भव्य आयोजन किया, इस दौरान कई योजनाओं की भी घोषणा की गई, लेकिन जिनके नाम पर इतने कार्यक्रम हो रहे हैं, उनके वंशज खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं (descendants of tantya mama feeling cheated). उनकी मानें तो आज भी वो टूटे मकान में रहने को मजबूर हैं.

खुद को ठगा महसूस कर रहे टंट्या मामा के वंशज

वंशजों की 3 मांगें अधूरी

टंट्या मामा की सातवीं पीढ़ी के वंशज सुनील का कहना है कि टंट्या मामा के नाम पर सरकार विभिन्न तरह की योजना की घोषणा कर रही है लेकिन उनकी तीन प्रमुख मांगें आज भी लंबित है, जिसमें टंट्या मामा की कर्मस्थली खरगोन जिले के तहसील झिरनिया के ग्राम कोटड़ा में विकास कार्य किया जाए. वंशजों का कहना है कि उसको लेकर सरकार को लगातार ज्ञापन भी सौंपे जा रहे हैं. इसी के साथ टंट्या मामा की कर्म स्थली कोठड़ा जो फिलहाल भीकनगांव विधानसभा में आता है, उस विधानसभा का नाम बदलकर उसे टंट्या भील के नाम पर घोषित किया जाए. इसी के साथ मामा जिस कोठड़ा में रहते थे वहां पर एक संग्रहालय का निर्माण किया जाए. इसी के साथ मुख्यमंत्री (CM Shivraj on Tantya Mama) ने जितनी भी घोषणाएं की है, उन घोषणाओं का लाभ मामा के वंशजों को भी मिले.


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टूटे घर में रहते हैं टंट्या मामा के वंशज (Descendants of Tantya Mama live in broken house)
टंट्या मामा की सातवीं पीढ़ी के परिजन सुनील ने बताया कि मामा के परिजन आज भी टूटे मकान में रहते हैं. उनलोगों ने अधिकारियों से मकान को ठीक करने की गुहार भी लगाई, लेकिन सरकार बलिदान दिवस के मौके पर ही उनके पास आती है और मामा के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर देती है. टंट्या मामा के परिजनों का ये भी कहना है कि मामा के नाम पर सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर विभिन्न तरह के आयोजन किए जा रही है, उससे बेहतर होगा कि यह राशि आदिवासी समाज के कल्याण में खर्च किए जाएं.


सरकार ने परिजनों को किया सम्मानित
फिलहाल टंट्या मामा के बलिदान दिवस के मौके पर प्रदेश सरकार ने इंदौर में भव्य कार्यक्रम किया, जिसमें टंट्या मामा के विभिन्न परिजनों को भी बुलाया गया और उन्हें भी सम्मानित किया गया. लेकिन टंट्या मामा के परिजनों की मांगें काफी समय से लंबित है, जिसके कारण परिजन आज भी ना खुश नजर आ रहे हैं.

Last Updated : Dec 4, 2021, 7:26 PM IST
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