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MP में गोरखा समुदाय की 11 जातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की उठी मांग

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Published : Jun 3, 2023, 11:02 PM IST

प्रचंड के दौरे के बीच गोरखा समुदाय की 11 जातियों को MP में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग उठी है. नेपाली संस्कृति परिषद की भारतीय शाखा के सचिव शैलेश गुरुंग ने मांग की कि नेपाल में इन जातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा हासिल है इसलिए एमपी में भी इन आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए.

Gorkha community in MP
एमपी गोरखा समुदाय

इंदौर। नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल प्रचंड के मध्यप्रदेश दौरे के बीच नेपाली मूल के लोगों के एक संगठन ने राज्य सरकार से 11 गोरखा जातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देकर आरक्षण का लाभ प्रदान किए जाने की मांग की है. प्रचंड मध्यप्रदेश के दो दिवसीय दौरे के बाद शनिवार को इंदौर से दिल्ली रवाना हो गए. नेपाली संस्कृति परिषद (अंतरराष्ट्रीय) की भारतीय शाखा के सचिव शैलेश गुरुंग ने (पीटीआई-भाषा) से कहा,"राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को नेपाली समुदाय अपने शुभचिंतक के रूप में देखता है. हमारी उनसे मांग है कि गोरखा समुदाय की 11 जातियों को सूबे में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देकर सरकारी शैक्षणिक संस्थानों और नौकरियों में आरक्षण प्रदान किया जाए.

भारतीय गोरखाओं के लिए मांग: उन्होंने कहा कि इन जातियों को नेपाल में भी अनुसूचित जनजाति का दर्जा हासिल है. नेपाली समुदाय के वरिष्ठ नेता ने बताया कि मध्यप्रदेश में सभी जातियों के भारतीय गोरखाओं की आबादी ढाई लाख से तीन लाख के बीच है और इनमें उन 11 जातियों के एक लाख से डेढ़ लाख लोग शामिल हैं जिनके लिए आरक्षण की मांग की जा रही है. गुरुंग ने कहा गोरखा समुदाय के चिकित्सकों और आईएएस व आईपीएस अधिकारियों की तादाद बहुत कम है. राज्य में आरक्षण के लाभ मिलने पर यह समुदाय समाज की मुख्यधारा से जुड़ जाएगा.

उन्होंने राज्य सरकार से यह मांग भी की कि नेपाली साहित्य, बोलियों और संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन के लिए इंदौर या भोपाल में नेपाली अकादमी की स्थापना की जाए. गुरुंग ने कहा कि भारत और नेपाल के बीच "रोटी-बेटी का संबंध" है और नेपाल के प्रधानमंत्री ‘प्रचंड’ के भारत दौरे से इस रिश्ते को बल मिला है.

प्रचंड का भारत दौरा: गौरतलब है कि प्रचंड बुधवार को भारत की चार दिन की यात्रा पर आए थे. उन्होंने बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ दोनों देशों के आपसी संबंधों को लेकर राजधानी दिल्ली में वार्ता की थी. ‘प्रचंड’ ने शुक्रवार रात इंदौर में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि इस भेंट के दौरान दोनों देशों के बीच संपर्क, जल संसाधन और ऊर्जा के क्षेत्रों में आपसी संबंध मजबूत करने को लेकर "बहुत दूर तक जाने वाली सहमति" बनी है.

(INPUT-PTI)

इंदौर। नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल प्रचंड के मध्यप्रदेश दौरे के बीच नेपाली मूल के लोगों के एक संगठन ने राज्य सरकार से 11 गोरखा जातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देकर आरक्षण का लाभ प्रदान किए जाने की मांग की है. प्रचंड मध्यप्रदेश के दो दिवसीय दौरे के बाद शनिवार को इंदौर से दिल्ली रवाना हो गए. नेपाली संस्कृति परिषद (अंतरराष्ट्रीय) की भारतीय शाखा के सचिव शैलेश गुरुंग ने (पीटीआई-भाषा) से कहा,"राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को नेपाली समुदाय अपने शुभचिंतक के रूप में देखता है. हमारी उनसे मांग है कि गोरखा समुदाय की 11 जातियों को सूबे में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देकर सरकारी शैक्षणिक संस्थानों और नौकरियों में आरक्षण प्रदान किया जाए.

भारतीय गोरखाओं के लिए मांग: उन्होंने कहा कि इन जातियों को नेपाल में भी अनुसूचित जनजाति का दर्जा हासिल है. नेपाली समुदाय के वरिष्ठ नेता ने बताया कि मध्यप्रदेश में सभी जातियों के भारतीय गोरखाओं की आबादी ढाई लाख से तीन लाख के बीच है और इनमें उन 11 जातियों के एक लाख से डेढ़ लाख लोग शामिल हैं जिनके लिए आरक्षण की मांग की जा रही है. गुरुंग ने कहा गोरखा समुदाय के चिकित्सकों और आईएएस व आईपीएस अधिकारियों की तादाद बहुत कम है. राज्य में आरक्षण के लाभ मिलने पर यह समुदाय समाज की मुख्यधारा से जुड़ जाएगा.

उन्होंने राज्य सरकार से यह मांग भी की कि नेपाली साहित्य, बोलियों और संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन के लिए इंदौर या भोपाल में नेपाली अकादमी की स्थापना की जाए. गुरुंग ने कहा कि भारत और नेपाल के बीच "रोटी-बेटी का संबंध" है और नेपाल के प्रधानमंत्री ‘प्रचंड’ के भारत दौरे से इस रिश्ते को बल मिला है.

प्रचंड का भारत दौरा: गौरतलब है कि प्रचंड बुधवार को भारत की चार दिन की यात्रा पर आए थे. उन्होंने बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ दोनों देशों के आपसी संबंधों को लेकर राजधानी दिल्ली में वार्ता की थी. ‘प्रचंड’ ने शुक्रवार रात इंदौर में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि इस भेंट के दौरान दोनों देशों के बीच संपर्क, जल संसाधन और ऊर्जा के क्षेत्रों में आपसी संबंध मजबूत करने को लेकर "बहुत दूर तक जाने वाली सहमति" बनी है.

(INPUT-PTI)

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