इंदौर। कार या अन्य गाड़ी पर L या लर्निंग का साइन देखने पर अलर्ट हो जाने के साथ अब आपको किसी अन्य कार या गाड़ी पर D शब्द या साइन को देखकर अतिरिक्त सावधानी बरतनी होगी. दरअसल लर्निंग की तरह ही डी शब्द का प्रयोग अब सड़कों से गुजरने वाले मूकबधिर दिव्यांग करने जा रहे हैं. इंदौर में मूकबधिर दिव्यांगों को लगातार होती दुर्घटनाओं से बचाने के लिए इस तरह की सामाजिक पहल हो रही है. इसके लिए पुलिस ने भी अपील के बाद पहल को आगे बढ़ाने का फैसला लिया है.
मासूम मूकबधिर हादसों का शिकार: देश में कुल 78 लाख मूकबधिरों की संख्या है. हर साल 3 से 4 लाख दिव्यांग सड़क, रेलवे ट्रैक एवं अन्य सार्वजनिक स्थानों पर लगातार दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं. जब यह मूक बधिर दुपहिया वाहन या कार लेकर सड़कों से गुजरते हैं तो गाड़ी का हॉर्न बजाने पर भी यह कुछ सुन नहीं पाते जबकि वाहन चलाने वाला सामान्य नागरिक यह समझ नहीं पाता कि संबंधित वाहन चालक सुन नहीं सकता ऐसी स्थिति में अक्सर दुर्घटना हो जाती है. दुर्घटना होने के बाद मूक बधिर बोल भी नहीं पाता इसलिए समय पर मदद नहीं मिल पाने के कारण अक्सर ऐसे मामलों में दिव्यांग की मौत भी हो जाती है.
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L की तरह अब D साइन का रखें ध्यान: इंदौर में भी ऐसे तमाम मामले अब सामने आ रहे हैं जिसमें मूकबधिर सामान्य लोगों द्वारा टक्कर मारने के बाद गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं. हाल ही में ऐसे ही मूक बधिर दिव्यांग युवक की मौत भी हो चुकी है. इन हालातों में अब जरूरत महसूस की जा रही है कि जिस तरह सड़क पर लर्निंग लाइसेंस वाले वाहन चालक L का साइन बना कर यह दर्शाते हैं कि वह प्रशिक्षु हैं यही व्यवस्था अब मूकबधिर दिव्यांगों के लिए बनाई जा रही है.
मूकबधिरों के लिए संस्था की पहल: आनंद सर्विस सोसायटी ने इसकी पहल करते हुए डी (D) शब्द मूक बधिर दिव्यांगों के सार्वजनिक उपयोग के लिए निर्धारित किया है. इसके अलावा दिव्यांगों को यह समझाइश दी जा रही है कि वह सड़क पर गुजरते समय या तो अपने वाहनों पर डी (D) लिखें या फिर डी शब्द अंकित वाली टीशर्ट पहनकर ही वाहन चलाएं जिससे कि सामान्य लोग समझ सके कि उनकी कार के सामने से गुजर रहा वाहन चालक मूकबधिर है जिसे सुनाई नहीं देता.
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इंदौर पुलिस ने भी पहल में दिया साथ: सामाजिक संस्था की ओर से इंदौर पुलिस को भी इस शब्द को लागू करने की मांग की गई है. जिसके बाद यातायात पुलिस ने भी इस पहल को आगे बढ़ाने का फैसला किया है. इतना ही नहीं अब मूक बधिर दिव्यांगों की ओर से जिले के परिवहन कार्यालय में भी डी (D) शब्द का उपयोग दिव्यांगों अथवा मूकबधिर दिव्यांगों के लिए निर्धारित करने की अपील की है. जिससे कि ज्यादा से ज्यादा लोग डी शब्द को देखकर सड़कों पर दिव्यांगों को दुर्घटना से बचाने को लेकर जागरूक रह सकें.