इंदौर। इंदौर में सायबर ठगी की मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है. साइबर ठग हर बार अलग-अलग तरह से घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. अब साइबर ठगों की निगाह में सरकारी अधिकारी और कर्मचारी भी आ गए हैं. उनके साथ भी इंदौर में अभी तक कई वारदातें सामने आ चुकी हैं. राज्य साइबर सेल और क्राइम ब्रांच कुछ ही मामलों में कार्रवाई कर सफल हो पाती है.अभी तक इंदौर में आधा दर्जन से अधिक अधिकारी और कर्मचारियों इनका शिकार हो चुके हैं.
ये सावधानी बरतें : साइबर एक्सपर्ट गौरव रावल का कहना है कि जिस तरह से इंदौर व आसपास के क्षेत्रों में साइबर ठगी की वारदातों में इजाफा हो रहा है, उससे बचने का एकमात्र तरीका है कि व्यक्ति को टेक्निकल रूप से काफी स्ट्रांग होना पड़ेगा. वहीं कोई भी व्यक्ति आपको व्हाट्सएप पर कोई सी भी लिंक देकर उसे क्लिक करने को कहे तो पहले उस क्लिक करने से बचें. उसे और संबंधित व्यक्ति जिस भी कंपनी का नाम लेकर आपसे ठगी करने की कोशिश कर रहा है, उसकी ऑफिशल वेबसाइट पर जाकर जानकारी निकालें. उसके बाद ही उसमें आगे प्रोसेस करें.
वेब पोर्टल में क्या देखें : इसी के साथ हर किसी वेब पोर्टल की या संबंधित विभाग की एक ऑफिसियल वेबसाइट होती है, जैसे ही किसी वेबसाइट को खोलते हैं तो उस वेबसाइट का एक नाम होता उसका नाम आईपी एड्रेस में लिखा होता है, जैसे कि http के बाद 's' लिखा होता वह सही लिंक होती है. यदि आईपी एड्रेस के बाद http के बाद 's' नहीं है तो वह गलत लिंक है. उसी से आदमी समझ सकता है कि उसके साथ फ्रॉड हो रहा है.
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पर्सनल जानकारी शेयर न करें : साइबर एक्सपर्ट का यह भी कहना है कि फोन पर कभी भी अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा ना करें. अपना ओटीपी गोपनीय रखें. समय-समय पर अपने पासवर्ड बदलते रहें. इसी से ऑनलाइन ठगी से बचा जा सकता है. यदि किसी के साथ ठगी हो जाती है तो हर जिले में राज्य साइबर सेल के थाने मौजूद हैं. वहां जाकर लोग शिकायत कर सकते हैं. साथी टोल फ्री नंबर 1930 पर भी ऑनलाइन ठगी की शिकायत की जा सकती है.