इंदौर। प्रदेश के मेडिकल हब इंदौर के अस्पतालों में बेड इंजेक्शन और ऑक्सीजन नहीं होने से हो रही लगातार मौतें ना सिर्फ सिस्टम का मजाज उड़ा रही हैं, बल्कि तड़पती जिंदगी सरकार से भी सवाल पूछ रही है कि संकट के इस समय में आखिर कहां हो सरकार. अस्पताल की सीढ़ियों पर ही टूट रही इन सासों के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है. ताजा मामला इंदौर का है जहां इलाज में देरी के चलते एक पिता ने अपने बेटे की आंखों के सामने ही दम तोड दिया और सरकार की तमाम कोशिशों पर सवालिया निशान लगाते हुए इस दुनिया से विदा हो गए.
- बेटा कहता रहा पापा उठो...
एंबुलेंस में ही एक पिता अपने बेटे के सामने दम तोड़ रहा था. उनका बेटा बदहवास होकर अपने पिता को बचाने के लिए सिस्टम से जंग लड़ रहा था. कभी इस डॉक्टर से तो कभी उस डॉक्टर से अपने पापा को बचा लेने की गुहार लगा रहा था.लेकिन धरती के भगवान कहे जाने डॉक्टर इलाज करने के नाम पर कागजात मांग रहे थे. कह रहे थे यहां जगह नहीं है. फिर भी एक बेटे ने वो तमाम कोशिशें की जो उस समय वह कर सकता था, लेकिन डॉक्टरों का दिल नहीं पसीजा. युवक के पिता को भर्ती नहीं किया जा सका और वे उसकी आंखों के सामने ही एंबुलेंस में ही इस दुनिया को अलविदा कह गए.
- वो दिलासा देती रही और जिंदगी की डोर टूट गई
दूसरी घटना भी प्रदेश के मेडिकल हब कहलाने वाले इंदौर के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के सामने की है. जहां कोरोना से संक्रमित 2 मरीजों की अस्पताल के गेट पर ही ऑक्सीजन न मिलने, इलाज और भर्ती में देरी के कारण मौत हो गई दूसरी घटना में एक महिला अपने पति से बात कर उसे इलाज मिल जाने का दिलासा देती रही. डॉक्टरों के आगे रोती रही गिड़गिड़ाती रही लेकिन धरती पर जिंदगी देने वाले भगवान तो कागज मांग रहे थे. महिला और उसके पति को लग रहा था कि अब सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल में आने के बाद तो उन्हें इलाज मिल जाएगा, लेकिन उनकी यह उम्मीद भी अस्पताल की सीढ़ियों पर दम तोड़ गई और कुछ ही पल में जिंदगी की डोर टूट गई.
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- माननीयों के पास नहीं था कोई जवाब
कोरोना संक्रमित मरीजों को इलाज में देरी की वजह से मौत मिली, लेकिन इन हालातों के लिए जिम्मेदार कौन है. इसे लेकर जब हमारे संवाददाता ने जिले के प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट से बात की तो उनके पास कोई जवाब नहीं था वे कहते हुए निकल गए कि क्या मामला है अभी दिखवाता हूं.
- इंदौर में बदतर हुए हालात मोर्चुरी में भी जगह नहीं
अस्पताल के कर्मचारी कागजात और दूसरी फॉर्मिलिटीज ही पूरी करने में लगे हैं और जिंदगी अस्पताल के दरवाजे पर ही दम तोड़ रही है. ऐसे में इंदौर में हालात बदतर हो चुके हैं इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. यहां शहर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमवाई हॉस्पिटल की मोर्चुरी में लाशें रखने के लिए जगह ही नहीं बची है और हॉस्पिटल के गेट पर कई एंबुलेंस लाशों से भरी पड़ी हैं.