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कोरोना मरीजों को नहीं मिल रहा मेडिक्लेम का पूरा लाभ, पॉलिसी के बाद भी जेब से लग रहा पैसा

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Published : Aug 13, 2020, 5:22 PM IST

देश में कोरोना महामारी के संक्रमण को देखते हुए कई निजी बीमा कंपनियों ने हेल्थ इंश्योरेंस लांच किया है, लेकिन मेडिक्लेम भी मरीजों का पैसा नहीं बचा पा रहा है. कई लोगों को हेल्थ इंश्योरेंस का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है. पढ़िए पूरी खबर...

Corona patient
कोरोना मरीज

इंदौर। पूरे देश में कोरोना ने अपना पैर पसार लिया है, जहां हर दिन कोरोना मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. वहीं देश में कोरोना के इलाज के लिए कई हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों ने अपने प्लान लॉन्च किए है, लेकिन कोरोना के लिए निजी अस्पतालों में चल रहे इलाज में भारी-भरकम बिल के कारण एक ओर जहां क्लेम को मंजूरी मिलने में दिक्कतें आ रही है, तो वहीं दूसरी ओर मेडिक्लेम पॉलिसी भी मरीजों का पैसा नहीं बचा पा रही है.

मेडिक्लेम में मरीजों को आ रही दिक्कतें

बता दें कि, शुरुआती दौर में इलाज कराने वाले लोगों को वैश्विक महामारी घोषित होने के कारण मेडिक्लेम का लाभ नहीं मिला था, लेकिन भारत सरकार के द्वारा सर्कुलर जारी होने के बाद कोरोना बीमारी को हेल्थ इंश्योरेंस में कवर किया जाने लगा है.

मरीजों से वसूली जा रही मनमानी शुल्क

पूरे देश में कोरोना का इलाज सरकार के चयनित अस्पतालों में निशुल्क किया जा रहा है, लेकिन कई निजी अस्पतालों में कोरोना के नाम पर मरीजों से अलग-अलग प्रकार के चार्ज वसूले जा रहे हैं. कई अस्पताल पीपीई किट और अन्य उपचार साधनों के खर्च भी बिल में जोड़ रहे हैं. निजी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों में दिक्कतें आ रही हैं, जिसके कारण मरीजों के इलाज में आ रहे खर्च के कारण उनके जेब से पैसे जा रहे हैं, जिसमें मेडिकल इंश्योरेंस पॉलिसी ज्यादा कुछ मदद नहीं कर पा रही है.

कई निजी बीमा कंपनियों ने लांच किया प्लान

कोविड-19 के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए कई बीमा कंपनियों ने कोरोना कवच और कोरोना रक्षक नाम के प्लान ग्राहकों को दिए हैं, लेकिन इलाज का खर्च ज्यादा होने के कारण क्लेम और सेटलमेंट के बीच का अंतर मरीजों को अपनी जेब से देना पड़ रहा है. इसका सीधा असर ग्राहकों की जेब पर पड़ रहा है.

सरकार के सर्कुलर के बाद मिल रहा इंश्योरेंस का लाभ

हेल्थ इंश्योरेंस होने के कारण अस्पताल भी कई प्रकार के चार्च मरीजों से वसूल कर रहे हैं. शुरुआती दौर में मेडिकल हेल्थ इंश्योरेंस करने वाली कंपनियों ने कोरोना वायरस को महामारी घोषित होने के बाद क्लेम देना पूरी तरह से बंद कर दिया था, सरकार के हस्तक्षेप करने के बाद लोगों को इसका लाभ मिलना शुरू हुआ है. हालांकि निजी अस्पतालों में अधिक भीड़ को देखते हुए सरकार मरीजों के इलाज पर होने वाले खर्च की एक सीमा तय करना चाहती है, जिससे कि अस्पताल और मरीज दोनों को सुविधा मिले.

नहीं मिला मेडिक्लेम का लाभ

इंदौर में एक ऐसा मामला सामने आया था, जिसमें महिला का मेडिक्लेम होने के बावजूद उसे इलाज के लिए एक लाख से अधिक का बिल थमा दिया गया. दरअसल महिला की तबीयत खराब होने पर उसे इंदौर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां पर कोरोना का सैंपल लेने के बाद उसकी रिपोर्ट आने में दो दिन लगे. जब महिला की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई तो उसे कोविड-19 अस्पताल में शिफ्ट किया जाने लगा. इस दौरान महिला के परिजन को अस्पताल प्रबंधन ने एक लाख से अधिक का बिल थमा दिया.

पॉजिटिव आने के बाद होता है सरकारी इलाज

इस पूरे मामले में प्रशासनिक अधिकारियों का कहना था कि मरीज के कोरोना पॉजिटिव आने पर ही सरकार के द्वारा इलाज कराया जाता है, उसके पहले के इलाज का खर्च लोगों को अपनी जेब से भरना पड़ता है. कोरोना के संक्रमण के चलते सभी लोग अपना हेल्थ इंश्योरेंस करा रहे हैं, जिसके लिए कई कंपनी मरीजों को कई सुविधाएं बता रही है, लेकिन समय आने पर उन सुविधाओं का मरीजों को लाभ नहीं मिलता है. जिससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, ऐसे में आम नागरिक किस पर विश्वास करें, जिससे कि उन्हें लाभ मिल सकें?

क्या है मेडिक्लेम पॉलिसी?

ये एक बीमा कवरेज है, जो आपात स्वास्थ्य स्थिति के मामले में चिकित्सा खर्चों को वहन करती है. इसे अपने और अपने परिवार के लिए प्राप्त कर सकते हैं. मेडिकल कवर के लिए न्यूनतम आयु 5 से अधिकतम 65 वर्ष के बीच होती है. ऐसे स्वास्थ्य बीमा कवर के तहत या कैशलेस सुविधा या प्रतिपूर्ति का विकल्प चुन सकते हैं. अपनी मेहनत की कमाई को बचाने और अपने परिवार को सुरक्षित करने लिए ये एक आदर्श निवेश माना जाता है.

मेडिक्लेम पॉलिसी की विशेषताएं

बढ़ती बीमारियों, महंगाई और जीवन के बढ़ते जोखिम को देखते हुए हर समूह के लोग ऐसी पॉलिसी खरीद रहे हैं. जानते हैं इसकी क्या-क्या विशेषताएं हैं?

  • ये अस्पताल के पहले और बाद में भर्ती खर्चों को कवर करती है.
  • अस्पताल के बिलों का क्लेम आप कैशलेस या बीमा राशि की प्रतिपूर्ति द्वारा ले सकते हैं.
  • मेडिक्लेम का लाभ लेने के लिए न्यूनतम 24 घंटे अस्पताल में भर्ती होना आवश्यक है.
  • इसकी इक्स्क्यूशन लिस्ट भी होती है, जिसमें वे परिस्थितियां होती हैं, जिन्हें बीमा कंपनी नहीं मानती है, इन परिस्थितियों में आप क्लेम का लाभ नहीं ले सकते.
  • इनरोलमेंट के लिए कोई ऊपरी आयु नहीं है.
  • कीमोथेरेपी और रेडियो थेरेपी के लिए अतिरिक्त कवर होता है.
  • मेडिक्लेम के लिए भुगतान किया गया प्रीमियम टैक्स छूट के अंतर्गत आता है.

मेडिक्लेम पॉलिसी के लाभ

जब भी अगर आप या आपका परिवार किसी मेडिकल इमरजेंसी का सामना करते है, तो ये पॉलिसी सुरक्षा प्रदान करती है.

  • मेडिकल इमरजेंसी के मामले में अस्पताल में कैशलेस भर्ती की सुविधा मिलती है.
  • सभी मेडिकल खर्च जैसे पहले और बाद के अस्पताल में भर्ती खर्च, ओपीडी का खर्च, निदान खर्च, डॉक्टर की फीस, उपचार और दवा आदि का खर्च वहन कराती है.
  • क्रिटिकल इल्निस कवर, ऐन्यूअल नो क्लेम बोनस, ऐन्यूअल हेल्थ चेकअप भी मेडिक्लेम पॉलिसी के लाभ के अंतर्गत आता है.
  • लाइफ लॉंग रीनूएबिलिटी, वैकल्पिक उपचारों के लिए कवरेज, एंबुलेंस कवर, डे-केयर प्रक्रियाओं, स्वास्थ्य जांच आदि लाभ मिलते हैं.
  • आस-पास के जगहों में नेटवर्क अस्पतालों के भीतर पहले उपचार की सुविधा भी मिलती है.
  • 25 हजार रुपए तक की कटौती के साथ आयकर अधिनियम की धारा 80(डी) के तहत टैक्स का लाभ भी मिलता है.

इंदौर। पूरे देश में कोरोना ने अपना पैर पसार लिया है, जहां हर दिन कोरोना मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. वहीं देश में कोरोना के इलाज के लिए कई हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों ने अपने प्लान लॉन्च किए है, लेकिन कोरोना के लिए निजी अस्पतालों में चल रहे इलाज में भारी-भरकम बिल के कारण एक ओर जहां क्लेम को मंजूरी मिलने में दिक्कतें आ रही है, तो वहीं दूसरी ओर मेडिक्लेम पॉलिसी भी मरीजों का पैसा नहीं बचा पा रही है.

मेडिक्लेम में मरीजों को आ रही दिक्कतें

बता दें कि, शुरुआती दौर में इलाज कराने वाले लोगों को वैश्विक महामारी घोषित होने के कारण मेडिक्लेम का लाभ नहीं मिला था, लेकिन भारत सरकार के द्वारा सर्कुलर जारी होने के बाद कोरोना बीमारी को हेल्थ इंश्योरेंस में कवर किया जाने लगा है.

मरीजों से वसूली जा रही मनमानी शुल्क

पूरे देश में कोरोना का इलाज सरकार के चयनित अस्पतालों में निशुल्क किया जा रहा है, लेकिन कई निजी अस्पतालों में कोरोना के नाम पर मरीजों से अलग-अलग प्रकार के चार्ज वसूले जा रहे हैं. कई अस्पताल पीपीई किट और अन्य उपचार साधनों के खर्च भी बिल में जोड़ रहे हैं. निजी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों में दिक्कतें आ रही हैं, जिसके कारण मरीजों के इलाज में आ रहे खर्च के कारण उनके जेब से पैसे जा रहे हैं, जिसमें मेडिकल इंश्योरेंस पॉलिसी ज्यादा कुछ मदद नहीं कर पा रही है.

कई निजी बीमा कंपनियों ने लांच किया प्लान

कोविड-19 के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए कई बीमा कंपनियों ने कोरोना कवच और कोरोना रक्षक नाम के प्लान ग्राहकों को दिए हैं, लेकिन इलाज का खर्च ज्यादा होने के कारण क्लेम और सेटलमेंट के बीच का अंतर मरीजों को अपनी जेब से देना पड़ रहा है. इसका सीधा असर ग्राहकों की जेब पर पड़ रहा है.

सरकार के सर्कुलर के बाद मिल रहा इंश्योरेंस का लाभ

हेल्थ इंश्योरेंस होने के कारण अस्पताल भी कई प्रकार के चार्च मरीजों से वसूल कर रहे हैं. शुरुआती दौर में मेडिकल हेल्थ इंश्योरेंस करने वाली कंपनियों ने कोरोना वायरस को महामारी घोषित होने के बाद क्लेम देना पूरी तरह से बंद कर दिया था, सरकार के हस्तक्षेप करने के बाद लोगों को इसका लाभ मिलना शुरू हुआ है. हालांकि निजी अस्पतालों में अधिक भीड़ को देखते हुए सरकार मरीजों के इलाज पर होने वाले खर्च की एक सीमा तय करना चाहती है, जिससे कि अस्पताल और मरीज दोनों को सुविधा मिले.

नहीं मिला मेडिक्लेम का लाभ

इंदौर में एक ऐसा मामला सामने आया था, जिसमें महिला का मेडिक्लेम होने के बावजूद उसे इलाज के लिए एक लाख से अधिक का बिल थमा दिया गया. दरअसल महिला की तबीयत खराब होने पर उसे इंदौर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां पर कोरोना का सैंपल लेने के बाद उसकी रिपोर्ट आने में दो दिन लगे. जब महिला की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई तो उसे कोविड-19 अस्पताल में शिफ्ट किया जाने लगा. इस दौरान महिला के परिजन को अस्पताल प्रबंधन ने एक लाख से अधिक का बिल थमा दिया.

पॉजिटिव आने के बाद होता है सरकारी इलाज

इस पूरे मामले में प्रशासनिक अधिकारियों का कहना था कि मरीज के कोरोना पॉजिटिव आने पर ही सरकार के द्वारा इलाज कराया जाता है, उसके पहले के इलाज का खर्च लोगों को अपनी जेब से भरना पड़ता है. कोरोना के संक्रमण के चलते सभी लोग अपना हेल्थ इंश्योरेंस करा रहे हैं, जिसके लिए कई कंपनी मरीजों को कई सुविधाएं बता रही है, लेकिन समय आने पर उन सुविधाओं का मरीजों को लाभ नहीं मिलता है. जिससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, ऐसे में आम नागरिक किस पर विश्वास करें, जिससे कि उन्हें लाभ मिल सकें?

क्या है मेडिक्लेम पॉलिसी?

ये एक बीमा कवरेज है, जो आपात स्वास्थ्य स्थिति के मामले में चिकित्सा खर्चों को वहन करती है. इसे अपने और अपने परिवार के लिए प्राप्त कर सकते हैं. मेडिकल कवर के लिए न्यूनतम आयु 5 से अधिकतम 65 वर्ष के बीच होती है. ऐसे स्वास्थ्य बीमा कवर के तहत या कैशलेस सुविधा या प्रतिपूर्ति का विकल्प चुन सकते हैं. अपनी मेहनत की कमाई को बचाने और अपने परिवार को सुरक्षित करने लिए ये एक आदर्श निवेश माना जाता है.

मेडिक्लेम पॉलिसी की विशेषताएं

बढ़ती बीमारियों, महंगाई और जीवन के बढ़ते जोखिम को देखते हुए हर समूह के लोग ऐसी पॉलिसी खरीद रहे हैं. जानते हैं इसकी क्या-क्या विशेषताएं हैं?

  • ये अस्पताल के पहले और बाद में भर्ती खर्चों को कवर करती है.
  • अस्पताल के बिलों का क्लेम आप कैशलेस या बीमा राशि की प्रतिपूर्ति द्वारा ले सकते हैं.
  • मेडिक्लेम का लाभ लेने के लिए न्यूनतम 24 घंटे अस्पताल में भर्ती होना आवश्यक है.
  • इसकी इक्स्क्यूशन लिस्ट भी होती है, जिसमें वे परिस्थितियां होती हैं, जिन्हें बीमा कंपनी नहीं मानती है, इन परिस्थितियों में आप क्लेम का लाभ नहीं ले सकते.
  • इनरोलमेंट के लिए कोई ऊपरी आयु नहीं है.
  • कीमोथेरेपी और रेडियो थेरेपी के लिए अतिरिक्त कवर होता है.
  • मेडिक्लेम के लिए भुगतान किया गया प्रीमियम टैक्स छूट के अंतर्गत आता है.

मेडिक्लेम पॉलिसी के लाभ

जब भी अगर आप या आपका परिवार किसी मेडिकल इमरजेंसी का सामना करते है, तो ये पॉलिसी सुरक्षा प्रदान करती है.

  • मेडिकल इमरजेंसी के मामले में अस्पताल में कैशलेस भर्ती की सुविधा मिलती है.
  • सभी मेडिकल खर्च जैसे पहले और बाद के अस्पताल में भर्ती खर्च, ओपीडी का खर्च, निदान खर्च, डॉक्टर की फीस, उपचार और दवा आदि का खर्च वहन कराती है.
  • क्रिटिकल इल्निस कवर, ऐन्यूअल नो क्लेम बोनस, ऐन्यूअल हेल्थ चेकअप भी मेडिक्लेम पॉलिसी के लाभ के अंतर्गत आता है.
  • लाइफ लॉंग रीनूएबिलिटी, वैकल्पिक उपचारों के लिए कवरेज, एंबुलेंस कवर, डे-केयर प्रक्रियाओं, स्वास्थ्य जांच आदि लाभ मिलते हैं.
  • आस-पास के जगहों में नेटवर्क अस्पतालों के भीतर पहले उपचार की सुविधा भी मिलती है.
  • 25 हजार रुपए तक की कटौती के साथ आयकर अधिनियम की धारा 80(डी) के तहत टैक्स का लाभ भी मिलता है.
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