ETV Bharat / state

आंखों के इलाज पर भी कोरोना का असर, लॉकडाउन में आधे से भी कम हुई हर दिन सर्जरी की संख्या

लॉकडाउन के दौरान कई चिकित्सा सेवाओं में बाधाएं पैदा हुई हैं. जो कि अभी तक ठीक नहीं हो पा रही हैं. कोरोना महामारी के चलते एक ओर जहां प्रशासन कोविड-19 से लड़ने में व्यस्त है तो वहीं दूसरी बीमारियों को लेकर तैयारियां आधी अधूरी हैं. ऐसे में सबसे अधिक असर आंखों से संबंधित बीमारियों पर पड़ रहा है. कोरोना के चलते एक ओर जहां आम जनता अस्पतालों में जाने से डर रही हैं, तो वहीं इलाज में देरी के कारण कई लोगों के ऊपर इसका गहरा असर पड़ रहा है.

Difficult to get eye treatment between corona in Indore
इंदौर में कोरोना के बीच आंखों का इलाज कराना हुआ मुश्किल
author img

By

Published : Sep 23, 2020, 10:06 PM IST

इंदौर। कोरोना काल में सबसे ज्यादा असर आंखों से संबंधित सर्जरी पर हुआ है. वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन देशभर में लगाया गया था. जिसके कारण कार्निया के उत्तकों का संग्रह और कार्निया ट्रांसप्लांट सर्जरी भी पूरी तरह से बंद हो गई. देश में लगाए गए लॉकडाउन में सिर्फ कार्निया की आपात सर्जरी ही की गईं. इस सर्जरी में पहले से नेत्र बैंक में संग्रहित कार्निया के ऊतकों का उपयोग किया जाता है.

इंदौर में कोरोना के बीच आंखों का इलाज कराना हुआ मुश्किल

कोरोना वायरस का होता है आंखों पर अधिक असर

कोविड-19 में विभिन्न चिकित्सा सेवाओं में बाधाएं उत्पन्न हुईं इसमें आंखों से संबंधित सर्जरी भी शामिल है. कोरोना संक्रमण काल में यह बात भी सामने आई कि यदि आपके पास किसी को आंखों में दर्द जलन और आंसू आने जैसी दिक्कतें हो रही हैं, तो उसे दूर रहने की जरूरत है. क्योंकि कोरोनावायरस के संक्रमण के मुख्य लक्षणों के अलावा यह लक्षण भी पॉजिटिव मरीजों में दिखाई दे रहे हैं.

यही कारण रहा कि संक्रमण से बचने के लिए चश्मे का उपयोग किया जाने लगा, लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर आंखों से संबंधित स्वास्थ्य सेवाओं पर दिखाई दिया. लॉकडाउन में मरीज आई हॉस्पिटल से भी दूर हो गए और इलाज कराने के लिए समय से अस्पताल नहीं पहुंच पाए.

लॉकडाउन में आधे से कम हुई हर दिन सर्जरी की संख्या

इंदौर शहर के प्रमुख अस्पताल के नेत्र रोग के विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना संक्रमण आने से पहले अस्पताल में रोजाना 150 से अधिक सर्जरी की जाती थीं. लेकिन लॉकडाउन के बाद से अस्पताल में अब रोजाना 50 से 60 की सर्जरी की जा रही हैं. यह संख्या पहले की तुलना में आधी से भी कम है.

इसका सबसे ज्यादा कारण आई हॉस्पिटल की नेत्र बैंकों का बंद होना था. आई अस्पतालों के नेत्र बैंकों में संग्रहित होने वाले कार्निया के उत्तकों का उपयोग नहीं किया जा सका. जिसके कारण नेत्र बैंक भी पूरी तरह से खाली थे.

1 जुलाई से शहर के कई अस्पतालों में कार्निया के उत्तकों का संग्रह हॉस्पिटल कार्निया रिट्रीवर प्रोग्राम के जरिए शुरू किया गया है. लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण अभी भी कई लोग अस्पतालों तक नहीं पहुंच रहे हैं.

इंदौर। कोरोना काल में सबसे ज्यादा असर आंखों से संबंधित सर्जरी पर हुआ है. वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन देशभर में लगाया गया था. जिसके कारण कार्निया के उत्तकों का संग्रह और कार्निया ट्रांसप्लांट सर्जरी भी पूरी तरह से बंद हो गई. देश में लगाए गए लॉकडाउन में सिर्फ कार्निया की आपात सर्जरी ही की गईं. इस सर्जरी में पहले से नेत्र बैंक में संग्रहित कार्निया के ऊतकों का उपयोग किया जाता है.

इंदौर में कोरोना के बीच आंखों का इलाज कराना हुआ मुश्किल

कोरोना वायरस का होता है आंखों पर अधिक असर

कोविड-19 में विभिन्न चिकित्सा सेवाओं में बाधाएं उत्पन्न हुईं इसमें आंखों से संबंधित सर्जरी भी शामिल है. कोरोना संक्रमण काल में यह बात भी सामने आई कि यदि आपके पास किसी को आंखों में दर्द जलन और आंसू आने जैसी दिक्कतें हो रही हैं, तो उसे दूर रहने की जरूरत है. क्योंकि कोरोनावायरस के संक्रमण के मुख्य लक्षणों के अलावा यह लक्षण भी पॉजिटिव मरीजों में दिखाई दे रहे हैं.

यही कारण रहा कि संक्रमण से बचने के लिए चश्मे का उपयोग किया जाने लगा, लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर आंखों से संबंधित स्वास्थ्य सेवाओं पर दिखाई दिया. लॉकडाउन में मरीज आई हॉस्पिटल से भी दूर हो गए और इलाज कराने के लिए समय से अस्पताल नहीं पहुंच पाए.

लॉकडाउन में आधे से कम हुई हर दिन सर्जरी की संख्या

इंदौर शहर के प्रमुख अस्पताल के नेत्र रोग के विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना संक्रमण आने से पहले अस्पताल में रोजाना 150 से अधिक सर्जरी की जाती थीं. लेकिन लॉकडाउन के बाद से अस्पताल में अब रोजाना 50 से 60 की सर्जरी की जा रही हैं. यह संख्या पहले की तुलना में आधी से भी कम है.

इसका सबसे ज्यादा कारण आई हॉस्पिटल की नेत्र बैंकों का बंद होना था. आई अस्पतालों के नेत्र बैंकों में संग्रहित होने वाले कार्निया के उत्तकों का उपयोग नहीं किया जा सका. जिसके कारण नेत्र बैंक भी पूरी तरह से खाली थे.

1 जुलाई से शहर के कई अस्पतालों में कार्निया के उत्तकों का संग्रह हॉस्पिटल कार्निया रिट्रीवर प्रोग्राम के जरिए शुरू किया गया है. लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण अभी भी कई लोग अस्पतालों तक नहीं पहुंच रहे हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.