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चार दशक से बीजेपी के कब्जे में इंदौर लोकसभा सीट, कांग्रेस कर रही बूथ स्तर पर चुनावी तैयारियां - बीजेपी

लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान होते ही दोनों प्रमुख पार्टी तैयारियों में जुट गई है. इंदौर इंदौर संसदीय क्षेत्र ऐसा है, जहां चार दशकों से बीजेपी का कब्जा है. यहां सुमित्रा महाजन (ताई) 1989 से सांसद हैं.वे लगातार आठ बार लोकसभा का चुनाव जीत चुकी हैं. वहीं कांग्रेस इस सीट को जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. जिसके लिए कांग्रेस बूथ और वार्ड स्तर पर चुनावी में जुटी हुई है.

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Published : Mar 16, 2019, 11:56 PM IST

इंदौर। लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान होते ही दोनों प्रमुख पार्टी तैयारियों में जुट गई है. इंदौर इंदौर संसदीय क्षेत्र ऐसा है, जहां चार दशकों से बीजेपी का कब्जा है. यहां सुमित्रा महाजन (ताई) 1989 से सांसद हैं.वे लगातार आठ बार लोकसभा का चुनाव जीत चुकी हैं. वहीं कांग्रेस इस सीट को जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. जिसके लिए कांग्रेस बूथ और वार्ड स्तर पर चुनावी में जुटी हुई है.

मध्यप्रदेश से ज्यादा से ज्यादा लोकसभा सीटें पाने की कोशिशों में जुटी कांग्रेश की प्राथमिकता में इस बार इंदौर लोकसभा सीट भी है. जहां इस बार स्थानीय सांसद सुमित्रा महाजन का भाजपा खेमे में ही विरोध हो रहा है. ऐसे में कांग्रेस की कोशिश है कि विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस में जिस तरह का प्रदर्शन यहां किया है उसी आधार पर प्रदर्शन करते हुए इस बार सुमित्रा महाजन को चुनाव हराया जाए. कांग्रेस संगठन में इस बात को भापकर काफी पहले ही लोकसभा पर्यवेक्षक फूल सिंह बिष्ट को यहां भेजा गया है जो शहर और ग्रामीण कांग्रेस इकाइयों के साथ तालमेल बनाकर वार्ड और बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं की बैठक में ले रहे हैं.

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इस बार पार्टी के स्थानीय नेता मानकर चल रहे हैं कि उनकी चुनावी तैयारी पहले से बेहतर है. इधर कमलनाथ सरकार के लिए भी इंदौर से इसलिए महत्वपूर्ण है, कि वर्तमान मंत्रिमंडल में यहां से तीन मंत्री हैं और 8 विधानसभा में से 4 पर कांग्रेस का कब्जा है. इस हिसाब से पार्टी मानकर चल रही है कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने यहां विधानसभा चुनाव के हिसाब से ही मेहनत की तो इस बार सुमित्रा महाजन को पटखनी दी जा सकती है.

इंदौर। लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान होते ही दोनों प्रमुख पार्टी तैयारियों में जुट गई है. इंदौर इंदौर संसदीय क्षेत्र ऐसा है, जहां चार दशकों से बीजेपी का कब्जा है. यहां सुमित्रा महाजन (ताई) 1989 से सांसद हैं.वे लगातार आठ बार लोकसभा का चुनाव जीत चुकी हैं. वहीं कांग्रेस इस सीट को जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. जिसके लिए कांग्रेस बूथ और वार्ड स्तर पर चुनावी में जुटी हुई है.

मध्यप्रदेश से ज्यादा से ज्यादा लोकसभा सीटें पाने की कोशिशों में जुटी कांग्रेश की प्राथमिकता में इस बार इंदौर लोकसभा सीट भी है. जहां इस बार स्थानीय सांसद सुमित्रा महाजन का भाजपा खेमे में ही विरोध हो रहा है. ऐसे में कांग्रेस की कोशिश है कि विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस में जिस तरह का प्रदर्शन यहां किया है उसी आधार पर प्रदर्शन करते हुए इस बार सुमित्रा महाजन को चुनाव हराया जाए. कांग्रेस संगठन में इस बात को भापकर काफी पहले ही लोकसभा पर्यवेक्षक फूल सिंह बिष्ट को यहां भेजा गया है जो शहर और ग्रामीण कांग्रेस इकाइयों के साथ तालमेल बनाकर वार्ड और बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं की बैठक में ले रहे हैं.

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इस बार पार्टी के स्थानीय नेता मानकर चल रहे हैं कि उनकी चुनावी तैयारी पहले से बेहतर है. इधर कमलनाथ सरकार के लिए भी इंदौर से इसलिए महत्वपूर्ण है, कि वर्तमान मंत्रिमंडल में यहां से तीन मंत्री हैं और 8 विधानसभा में से 4 पर कांग्रेस का कब्जा है. इस हिसाब से पार्टी मानकर चल रही है कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने यहां विधानसभा चुनाव के हिसाब से ही मेहनत की तो इस बार सुमित्रा महाजन को पटखनी दी जा सकती है.

Intro:मध्यप्रदेश में इंदौर एसी एकमात्र लोकसभा सीट है जहां चार दशकों से सुमित्रा महाजन सांसद बनी हुई है खास बात यह है कि बीते 40 सालों के दौरान यहां भाजपा और कांग्रेस की लगातार सरकारें रही लेकिन बीते 40 सालों से सुमित्रा महाजन को कोई नहीं हरा सका हालांकि इस बार यहां कांग्रेश इस सीट को हथियाने के लिए बूथ और वार्ड स्तर पर चुनावी जोर लगा रही है


Body:मध्य प्रदेश से ज्यादा से ज्यादा लोकसभा सीटें पाने की कोशिशों में जुटी कांग्रेश की प्राथमिकता में इस बार इंदौर लोकसभा सीट भी है जहां इस बार स्थानीय सांसद सुमित्रा महाजन का भाजपा खेमे में ही विरोध हो रहा है ऐसे में कांग्रेस की कोशिश है कि विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेसमें जिस तरह का प्रदर्शन यहां किया उसी आधार पर प्रदर्शन करते हुए इस बार सुमित्रा महाजन को चुनाव हराया जाए कांग्रे संगठन में इस बात को भापकर काफी पहले ही लोकसभा पर्यवेक्षक फूल सिंह बिष्ट को यहां भेज रखा है जो शहर और ग्रामीण कांग्रेश इकाइयों के साथ तालमेल बनाकर वार्ड और बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं की बैठक में ले रहे हैं यही वजह है कि इस बार पार्टी के स्थानीय नेता मानकर चल रहे हैं कि उनकी चुनावी तैयारी पहले से बेहतर है इधर कमलनाथ सरकार के लिए भी इंदौर से इसलिए महत्वपूर्ण है कि वर्तमान मंत्रिमंडल में यहां से तीन मंत्री हैं और 8 विधानसभा में से 4 पर कांग्रेसका कब्जा है इस हिसाब से पार्टी मानकर चल रही है कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने यहां विधानसभा चुनाव के हिसाब से ही मेहनत की तो इस बार सुमित्रा महाजन को पटखनी दी जा सकती है


Conclusion:बाइट विनय बाकलीवाल अध्यक्ष इंदौर शहर कांग्रेस
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