इंदौर। कोरोना महामारी के दौरान कॉलेजों द्वारा फीस वसूली के कई मामले सामने आए हैं. मनमानी वसूली को लेकर परिजन कई बार प्रदर्शन कर चुके हैं. इधर एक निजी कॉलेज से फीस वसूली को लेकर चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें छात्रों को ब्याज पर रुपए लेने का दबाव बनाया जा रहा है.
ब्याज पर पैसे लेने के लिए प्रबंधन फाइनेंसर का नाम और नंबर उपलब्ध करा रहा
निजी कॉलेज को लेकर एनएसयूआई कार्यकर्ताओं द्वारा उच्च शिक्षा विभाग(Higher Education Department) के अतिरिक्त संचालक से शिकायत की गई. इस दौरान शिकायत में कहा गया कि कॉलेज प्रबंधन छात्रों पर 30 जून तक फीस जमा करने का दबाव बना रहा है. वहीं यह भी कहा गया कि कॉलेज उन छात्रों को निशाना बना रहा है, जो स्कॉलरशिप लेकर एमबीए की पढ़ाई कर रहे हैं. जब छात्र अपनी परेशानियों को लेकर कॉलेज प्रबंधन से बात करने के लिए पहुंच रहे हैं, तो उन्हें ब्याज पर रुपए लेने का दबाव बनाया जा रहा है. कॉलेज द्वारा ब्याज पर पैसे लेने के लिए फाइनेंसर का नाम और मोबाइल नंबर छात्रों को दिया जा रहा है. इस पूरे मामले में एनएसयूआई नेता विकास नंदवाना और पदाधिकारी अमित पटेल ने ऑडियो रिकॉर्डिंग के साथ शिकायत की है.
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छात्रवृत्ति नहीं मिलने से छात्रों को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा
एनएसयूआई (NSUI) नेता विकास नंदवाना के मुताबिक, कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं, क्योंकि सरकार ने अभी तक छात्रवृत्ति की राशि नहीं दी है, जबकि कॉलेज इस स्थिति का फायदा उठाकर छात्रों को ब्याज पर पैसे लेने के लिए दबाव बना रहा है. इसकी शिकायत अतिरिक्त संचालक डॉ. सुरेश सिलावट से की गई है. वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी अपील की गई कि छात्रों को जल्द से जल्द छात्रवृत्ति प्रदान करें, ताकि उन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना न करना पड़े.
सभी साक्ष्यों की जांच करने के बाद कार्रवाई
कॉलेज प्रबंधन द्वारा ब्याज पर पैसा दिलाने के मामले में उच्च शिक्षा विभाग के अतिरिक्त संचालक डॉ. सुरेश सिलावट का कहना है कि एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने शिकायत की है. उनके द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे परमाणु की जांच कराकर कार्रवाई की जायेगी. डॉक्टर सुरेश सिलावट का कहना है कि मामले में जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी, लेकिन फिलहाल संबंधित कॉलेज को नोटिस दिया जा रहा हैं.
दिसंबर में मिली थी कॉलेजों के संचालन की अनुमति
वर्ष 2020-21 में लंबे समय तक कॉलेज बंद रहे हैं. कोरोना महामारी की पहली लहर के दौरान मार्च 2020 में कॉलेजों का संचालन बंद किया गया था. वहीं संक्रमण में कमी आने के बाद दिसंबर माह में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कॉलेजों के संचालन की अनुमति जारी की गई थी, जिसमें 50 फीसदी क्षमता के साथ छात्रों को कॉलेज में आने की अनुमति दी गई थी.
18 दिसंबर से कॉलेजों में पढ़ाई की शुरुआत की गई थी. इसके पूर्व ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन किया जा रहा था. दूसरी लहर के दौरान लगाए गए कर्फ्यू के कारण कॉलेजों का संचालन अप्रैल माह से बंद है. सभी कक्षाएं ऑनलाइन माध्यम से संचालित की जा रही हैं, जबकि परीक्षाएं ओपन बुक के माध्यम से ली गई हैं.