इंदौर। एक महिला के लिए मां बनना इस दुनिया का सबसे खूबसूरत ऐहसास होता है, लेकिन किसी कारणवश कई महिलाओं को मातृत्व सुख नहीं मिल पाता है, ऐसे में वे सरकार द्वारा चलाई जा रही दतक ग्रहण योजना के तहत बच्चों को गोद लेकर अपनी सूनी गोद भर सकती हैं. इंदौर शहर में गोद लेने की प्रक्रिया के तहत पिछले 3 सालों से देश के अन्य राज्यों के अलावा विदेशों तक बच्चे अपने नए माता-पिता के पास पहुंच रहे हैं. दतक ग्रहण योजना के तहत दंपति के बच्चों को गोद लेने की इच्छा जाहिर करने के बाद सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी द्वारा तय की गई प्रक्रिया को पूरा किया जाता है और उसके बाद ये बच्चे किसी के सूने आंगन को रोशन करते हैं. कोरोना काल में इस योजना में कई तरह के बदलाव किए गए हैं.
0 से 6 साल तक के बच्चों को दिया जाता है गोद
दतक ग्रहण योजना के अंतर्गत 0 से 6 साल तक के बच्चों को गोद दिया जाता है. इस योजना के अंतर्गत इंदौर से कई अन्य राज्यों के अलावा विदेशी दंपति भी बच्चों को गोद ले चुके हैं. इस समय शहर के तीन बाल आश्रमों से बच्चों को गोद ले सकते हैं. शहर की तीन संस्थाओं में फिलहाल 57 शिशु हैं, ये शिशु संजीवनी सेवा संगम, सेवा भारती मातृछाया और राजकीय बल संरक्षण आश्रम में हैं. 2018 में बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया में कई अड़चनें आ रही थी, जिसके बाद इसमें सुधार किया गया था. अभी इन बाल आश्रमों से 2018 की वेटिंग लिस्ट के अनुसार बच्चों को उनके नए माता-पिता को सौंपा जा रहा है.
कारा की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन के बाद शुरू होती है गोद लेने की प्रक्रिया
गोद लेने की प्रक्रिया सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन से शुरू होती है. इस वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कराने के बाद आवश्यक दस्तावेजों को जमा कराना पड़ता है. आवश्यक दस्तावेजों में पैन कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र सहित मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट जैसे दस्तावेज होते हैं. इसके बाद स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी का एक कार्यकर्ता आवेदन करने वाले माता-पिता के घर जाकर पूरा सर्वे करता है और इसकी जानकारी साइट पर अपलोड करता है. जिसके बाद कारा (केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण) के कार्यालय में इस रिपोर्ट के सत्यापित होने के बाद देश के 3 राज्यों की वेटिंग लिस्ट में माता-पिता का नाम डाल दिया जाता है. जिसके बाद बच्चों को गोद लेने वाले माता-पिता को उनकी फोटो दिखाई जाती है. फोटो देखने के बाद दंपति को जो बच्चा पसंद आता है, उस बच्चे को रिजर्व करते हैं.
अब तक इतने बच्चे लिए जा चुके हैं गोद
दतक ग्रहण योजना के तहत बच्चों को गोद लेने वालों में हर साल इजाफा हो रहा है, शहर के तीन आश्रमों से अब तक कई बच्चों को उनके नए माता-पिता तक पहुंचाया जा चुका है. दतक ग्रहण योजना का डाटा वित्तीय वर्ष के अनुसार रखा जाता है, एक अप्रैल से लेकर 30 मार्च तक एक साल पूरा होता है. साल 2017-18 में 19 बच्चों को उनके नए माता-पिता तक पहुंचाया गया है, जिसमें से एक बच्चे को विदेशी दंपति ने भी गोद लिया था. साल 2018-19 में 34 बच्चों को दंपतियों ने गोद लिया था. जिसमें से 2 विदेश गए थे, जबकि साल 2019-20 में 32 शिशुओं को गोद लिया गया है, जिसमें से 2 बच्चों को विदेशी दंपति ने गोद लिया है.
कोरोना काल में दंपति कैसे ले रहे बच्चों को गोद
कोरोना महामारी के दौरान बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया भी प्रभावित हुई है. बाल संरक्षण अधिकारी अविनाश यादव का कहना है कि लॉकडाउन से पहले यानि कि 20 मार्च से ही एडॉप्शन के प्रोसेस को रोक दिया गया था. अब जब अनलॉक हो गया है तो गोद लेने की प्रक्रिया में कुछ बदलाव कर दोबारा शुरू किया गया है. उनका कहना है कि अब बच्चों को गोद लेने की एप्लिकेशन आने के बाद माता-पिता को डायरेक्ट यहां नहीं बुलाया जाता है, पहले ऑनलाइन उनका इंटरव्यू होता है, उसके बाद उनके दस्तावेजों का सत्यापन होता है, फिर उनको एक डेट दी जाती है. उसके बाद वे यहां आकर बच्चों को गोद ले सकते हैं. उन्होंने बताया कि सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी के तहत गोद लेने वाले अनाथ बच्चों में 7 से 18 साल की उम्र के बच्चे भी हैं. इंदौर शहर की विभिन्न संस्थाओं में ऐसे बच्चे भी कई माता पिता और परिवार द्वारा गोद लिए जाते हैं, आने वाले समय में शहर में यहां के दो भाई अमेरिकी दंपति के पास पहुंचने वाले हैं. जिसकी प्रक्रिया चल रही है.