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इंदौर में स्वच्छता का साइड इफेक्ट, भूखे कुत्तों का रोज ही निशाना बनते हैं शहर के 200 लोग

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Published : Jul 6, 2021, 6:17 PM IST

इंदौर(Indore)स्वच्छता में नंबर वन आने वाला इंदौर डॉग बाइट की समस्या से जुझ रहा है. जहां खाना न मिलने से परेशान कुत्ते रोजाना 100 से 200 लोगों को काट रहे हैं. नतीजतन अब शहर के सभी सरकारी अस्पतालों में रेबीज के इंजेक्शन लगाने की तैयारी की गई है.देखिए ईटीवी भारत की ये स्पेशल रिपोर्ट

terror of dogs in indore
इंदौर में कुत्तों का आतंक

इंदौर(Indore)। इंसान की रक्षा करने वाले रक्षक ही अगर इंसान के दुश्मन बन जाए तो इसे भक्षक कहना गलत नहीं होगा. लेकिन जब इन रक्षकों का ख्याल नहीं रखा जाएगा तो मजबूरन ये इंसानों पर हमला करेंगे. बात हो रही है देश की सबस स्वच्छ शहर इंदौर की .देशभर में स्वच्छता के लिए पहचाने जाने वाले इंदौर शहर में रोज ही सैकड़ों लोग स्वच्छता के साइड इफेक्ट भी झेलने को मजबूर है. स्वच्छता तो ठीक है लेकिन इस वजह से शहर के कुत्तों को खानपान और भोजन नहीं मिल पाता. कुत्ते भूख से तिलमिला कर रोज 100 से 200 लोगों को काट रहे हैं. नतीजतन अब शहर के सभी सरकारी अस्पतालों में रेबीज के इंजेक्शन लगाने की तैयारी की गई है.

इंदौर डॉग बाइट की समस्या

खाना न मिलने से परेशान कुत्ते लोगों पर कर रहे हमला

इंदौर की तमाम पॉश कालोनियों के अलावा शहर के सभी गली मोहल्लों में मौजूद कुत्तों को स्वच्छता के कारण जरूरत के मुताबिक खाना नहीं मिल पा रहा है. नतीजतन शहर के आवारा कुत्ते उग्र होकर लोगों पर हमला बोल रहे है. शहर के तमाम प्रमुख क्षेत्र अनूप नगर, द्वारकापुरी खजराना ,चंदननगर जैसे इलाकों में स्थिति यह है कि कुत्ते रोज ही 100 से 200 लोगों पर हमला कर रहे हैं. जिसके फल स्वरुप लोगों को रेबीज से अपनी जान बचाने के लिए अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं.

हर साल बढ़ रही रेबीज के इंजेक्शन की मांग

शहर में डॉग बाइट के कारण रेबीज के इंजेक्शन को लेकर गौर किया जाए तो हर साल इंजेक्शन की मांग 10,000 की दर से बढ़ रही है. 2020 में यहां 27694 मरीजों को रेबीज के इंजेक्शन लगाने पड़े .2021 में अब तक यह संख्या 33331 हो चुकी है. यही स्थिति डॉग बाइट को लेकर है शहर में फिलहाल रेबीज के इंजेक्शन के लिए भी सिर्फ एक ही हुकुमचंद अस्पताल में केंद्रीय व्यवस्था है. जहां रोज ही बड़ी संख्या में कुत्तों के हमलों का शिकार हुए लोग पहुंचते हैं. जिन्हें रेबीज का इंजेक्शन लगाया जाता है. इनमें भी तीन से चार मरीज ऐसे होते हैं जो गंभीर रूप से घायल अवस्था में होते हैं. जिन्हें शहर के एम वाय अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है डॉक्टरों के अनुसार रेबीज का इंजेक्शन पहले 7 दिन ,14 दिन और 28 दिन लगाने की बाध्यता के कारण अस्पतालों में भी ऐसे मरीजों की भीड़ होती है. इंदौर में हर साल दो से तीन ऐसे केस भी सामने आ रहे हैं जिनकी रेबीज के कारण मौत हो रही है. हालांकि इंजेक्शन को लेकर लोगों की जागरूकता के कारण रेबीज के कारण होने वाली मौतों की दर सामान्य बनी हुई है. अब शासन स्तर पर और स्वास्थ्य विभाग की कोशिश है कि शहर के एक अस्पताल के स्थान पर सभी शासकीय अस्पतालों में रेबीज के इंजेक्शन उपलब्ध कराए जाएं. जिससे कि सभी स्थानों पर रेबीज के इंजेक्शन के जरिए मरीजों का बचाव किया जा सके.नगर निगम हर साल कुत्तों की नसबंदी पर 21 करोड़ खर्च करता है.नगर निगम का यह भी दावा है की हर साल 20 हजार कुत्तों की नसबंदी की जाती है.

कुत्तों के शेल्टर होम की मांग


इंदौर में फिलहाल हजारों की संख्या में मौजूद कुत्ते सार्वजनिक रूप से खुले में घूमते हैं .पहले शहर में रहवासी इनके लिए भोजन पानी की व्यवस्था करते थे. तब डॉग बाइट के केस भी कम थे. लेकिन अब शहर के तमाम पशुओं के अलावा हर क्षेत्र में स्वच्छता के चलते कुत्तों को उनका आहार नहीं मिल पाता .फिलहाल जिन क्षेत्रों में जिन घरों से इन्हें भोजन दिया जाता है उन्हीं पर यह आश्रित हैं. ऐसी स्थिति में जब भी जहां से डॉग बाइट की शिकायत मिलती है तो नगर निगम की टीम कुत्तों को पकड़कर उनका बंध्याकरण कर देती है लेकिन नसबंदी करने के बाद कुत्तों को फिर उसी क्षेत्र में छोड़ना होता है ऐसी स्थिति में कुत्तों की संख्या भले सीमित हो लेकिन डॉग बाइट की स्थिति वैसी ही बनी हुई है. हालांकि अब जब हर रोज ही डॉग बाइट के शिकार लोगों की संख्या बढ़ रही है तो शहर में डॉग बाइट रोकने के लिए शहर के पशुओं की गौशाला की तरह ही कुत्तों के शेल्टर होम बनाने की भी मांग की जा रही है .हालांकि इंदौर नगर निगम के लिए यह भी एक बड़ी चुनौती है.

मेडिकल फील्ड में बंपर भर्ती: ANM के 8853 पद हैं रिक्त, ऑनलाइन भरे जा रहे आवेदन

जल्दी शहर के सभी सरकारी अस्पतालों में मिलेंगे इंजेक्शन

फिलहाल इंदौर में हुकुमचंद अस्पताल में ही शासकीय व्यवस्था के तहत रेबीज के इंजेक्शन लगते हैं. लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए थे कि रेबीज के इंजेक्शन शहर के सभी अस्पतालों में हो जिससे कि स्थानीय स्तर पर ही मरीजों को उपचार मिल सके. इसके बाद शहर के स्वास्थ्य अमले ने अब सभी सरकारी अस्पतालों में इंजेक्शन उपलब्ध कराने की तैयारी की है. जिससे कि मरीजों को यह सुविधा एक स्थान पर मिलने की वजह है अपने क्षेत्र के सभी सरकारी अस्पतालों में मिल सके.

कुत्ते के काटने पर क्या इलाज है

एक कुत्ते के काटने में बैक्टीरिया के कारण होने वाले संक्रमण होते हैं. काटने पर यह बैक्टीरिया इंसान के शरीर में प्रवेश कर जाता है.बैक्टीरिया इंसान के टिशु में घूस जाता है, कुत्ते के काटने से स्टेफिलोकोकस , स्ट्रेप्टोकोकस और पाश्चरला जैसे बैक्टीरिया शामिल होते है. कुत्तों के काटने के मामले ज्यादातर आवारा कुत्तों में देखे जा सकते है.लेकिन पालतू कुत्तों में यह मामले कम देखने को मिलते है.कुत्ते के काटने पर रबीज इंजेक्शन लगाया जा सकता है .लेकिन अगर कुत्ता काटता है तो डॉक्टर की सलाह लेना न भूले .

रेबीज टीके के साइड इफेक्ट

रेबीज टीका के दुष्प्रभावों भी होंते है. जिनमें सिरदर्द चक्कर आना, पेट दर्द, मांसपेशियों में दर्द शामिल है. रेबीज टीका लगने पर आपके शरीर का तापमान 104 तक बढ़ सकता है.

इंदौर(Indore)। इंसान की रक्षा करने वाले रक्षक ही अगर इंसान के दुश्मन बन जाए तो इसे भक्षक कहना गलत नहीं होगा. लेकिन जब इन रक्षकों का ख्याल नहीं रखा जाएगा तो मजबूरन ये इंसानों पर हमला करेंगे. बात हो रही है देश की सबस स्वच्छ शहर इंदौर की .देशभर में स्वच्छता के लिए पहचाने जाने वाले इंदौर शहर में रोज ही सैकड़ों लोग स्वच्छता के साइड इफेक्ट भी झेलने को मजबूर है. स्वच्छता तो ठीक है लेकिन इस वजह से शहर के कुत्तों को खानपान और भोजन नहीं मिल पाता. कुत्ते भूख से तिलमिला कर रोज 100 से 200 लोगों को काट रहे हैं. नतीजतन अब शहर के सभी सरकारी अस्पतालों में रेबीज के इंजेक्शन लगाने की तैयारी की गई है.

इंदौर डॉग बाइट की समस्या

खाना न मिलने से परेशान कुत्ते लोगों पर कर रहे हमला

इंदौर की तमाम पॉश कालोनियों के अलावा शहर के सभी गली मोहल्लों में मौजूद कुत्तों को स्वच्छता के कारण जरूरत के मुताबिक खाना नहीं मिल पा रहा है. नतीजतन शहर के आवारा कुत्ते उग्र होकर लोगों पर हमला बोल रहे है. शहर के तमाम प्रमुख क्षेत्र अनूप नगर, द्वारकापुरी खजराना ,चंदननगर जैसे इलाकों में स्थिति यह है कि कुत्ते रोज ही 100 से 200 लोगों पर हमला कर रहे हैं. जिसके फल स्वरुप लोगों को रेबीज से अपनी जान बचाने के लिए अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं.

हर साल बढ़ रही रेबीज के इंजेक्शन की मांग

शहर में डॉग बाइट के कारण रेबीज के इंजेक्शन को लेकर गौर किया जाए तो हर साल इंजेक्शन की मांग 10,000 की दर से बढ़ रही है. 2020 में यहां 27694 मरीजों को रेबीज के इंजेक्शन लगाने पड़े .2021 में अब तक यह संख्या 33331 हो चुकी है. यही स्थिति डॉग बाइट को लेकर है शहर में फिलहाल रेबीज के इंजेक्शन के लिए भी सिर्फ एक ही हुकुमचंद अस्पताल में केंद्रीय व्यवस्था है. जहां रोज ही बड़ी संख्या में कुत्तों के हमलों का शिकार हुए लोग पहुंचते हैं. जिन्हें रेबीज का इंजेक्शन लगाया जाता है. इनमें भी तीन से चार मरीज ऐसे होते हैं जो गंभीर रूप से घायल अवस्था में होते हैं. जिन्हें शहर के एम वाय अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है डॉक्टरों के अनुसार रेबीज का इंजेक्शन पहले 7 दिन ,14 दिन और 28 दिन लगाने की बाध्यता के कारण अस्पतालों में भी ऐसे मरीजों की भीड़ होती है. इंदौर में हर साल दो से तीन ऐसे केस भी सामने आ रहे हैं जिनकी रेबीज के कारण मौत हो रही है. हालांकि इंजेक्शन को लेकर लोगों की जागरूकता के कारण रेबीज के कारण होने वाली मौतों की दर सामान्य बनी हुई है. अब शासन स्तर पर और स्वास्थ्य विभाग की कोशिश है कि शहर के एक अस्पताल के स्थान पर सभी शासकीय अस्पतालों में रेबीज के इंजेक्शन उपलब्ध कराए जाएं. जिससे कि सभी स्थानों पर रेबीज के इंजेक्शन के जरिए मरीजों का बचाव किया जा सके.नगर निगम हर साल कुत्तों की नसबंदी पर 21 करोड़ खर्च करता है.नगर निगम का यह भी दावा है की हर साल 20 हजार कुत्तों की नसबंदी की जाती है.

कुत्तों के शेल्टर होम की मांग


इंदौर में फिलहाल हजारों की संख्या में मौजूद कुत्ते सार्वजनिक रूप से खुले में घूमते हैं .पहले शहर में रहवासी इनके लिए भोजन पानी की व्यवस्था करते थे. तब डॉग बाइट के केस भी कम थे. लेकिन अब शहर के तमाम पशुओं के अलावा हर क्षेत्र में स्वच्छता के चलते कुत्तों को उनका आहार नहीं मिल पाता .फिलहाल जिन क्षेत्रों में जिन घरों से इन्हें भोजन दिया जाता है उन्हीं पर यह आश्रित हैं. ऐसी स्थिति में जब भी जहां से डॉग बाइट की शिकायत मिलती है तो नगर निगम की टीम कुत्तों को पकड़कर उनका बंध्याकरण कर देती है लेकिन नसबंदी करने के बाद कुत्तों को फिर उसी क्षेत्र में छोड़ना होता है ऐसी स्थिति में कुत्तों की संख्या भले सीमित हो लेकिन डॉग बाइट की स्थिति वैसी ही बनी हुई है. हालांकि अब जब हर रोज ही डॉग बाइट के शिकार लोगों की संख्या बढ़ रही है तो शहर में डॉग बाइट रोकने के लिए शहर के पशुओं की गौशाला की तरह ही कुत्तों के शेल्टर होम बनाने की भी मांग की जा रही है .हालांकि इंदौर नगर निगम के लिए यह भी एक बड़ी चुनौती है.

मेडिकल फील्ड में बंपर भर्ती: ANM के 8853 पद हैं रिक्त, ऑनलाइन भरे जा रहे आवेदन

जल्दी शहर के सभी सरकारी अस्पतालों में मिलेंगे इंजेक्शन

फिलहाल इंदौर में हुकुमचंद अस्पताल में ही शासकीय व्यवस्था के तहत रेबीज के इंजेक्शन लगते हैं. लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए थे कि रेबीज के इंजेक्शन शहर के सभी अस्पतालों में हो जिससे कि स्थानीय स्तर पर ही मरीजों को उपचार मिल सके. इसके बाद शहर के स्वास्थ्य अमले ने अब सभी सरकारी अस्पतालों में इंजेक्शन उपलब्ध कराने की तैयारी की है. जिससे कि मरीजों को यह सुविधा एक स्थान पर मिलने की वजह है अपने क्षेत्र के सभी सरकारी अस्पतालों में मिल सके.

कुत्ते के काटने पर क्या इलाज है

एक कुत्ते के काटने में बैक्टीरिया के कारण होने वाले संक्रमण होते हैं. काटने पर यह बैक्टीरिया इंसान के शरीर में प्रवेश कर जाता है.बैक्टीरिया इंसान के टिशु में घूस जाता है, कुत्ते के काटने से स्टेफिलोकोकस , स्ट्रेप्टोकोकस और पाश्चरला जैसे बैक्टीरिया शामिल होते है. कुत्तों के काटने के मामले ज्यादातर आवारा कुत्तों में देखे जा सकते है.लेकिन पालतू कुत्तों में यह मामले कम देखने को मिलते है.कुत्ते के काटने पर रबीज इंजेक्शन लगाया जा सकता है .लेकिन अगर कुत्ता काटता है तो डॉक्टर की सलाह लेना न भूले .

रेबीज टीके के साइड इफेक्ट

रेबीज टीका के दुष्प्रभावों भी होंते है. जिनमें सिरदर्द चक्कर आना, पेट दर्द, मांसपेशियों में दर्द शामिल है. रेबीज टीका लगने पर आपके शरीर का तापमान 104 तक बढ़ सकता है.

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