इंदौर। कचरे के निस्तारण को लेकर लगातार जारी प्रयासों के चलते अब ट्रेंचिंग ग्राउंड पर 20 करोड़ की लागत से ड्राय वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित किया गया है. प्लांट का लोकार्पण 13 नवंबर को नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह किया था. सोमवार से इसमें काम चालू हो गया है. इस अत्याधुनिक प्लांट से प्रतिदिन 150 टन सूखे कचरे का सेग्रिगेशन हो रहा है. यह देश का पहला ऐसा प्रोजेक्ट है, जिसमें निगम को हर साल 1.41 करोड़ की आय भी होगी.
पूरा प्रोजेक्ट पीपीपी मोड पर
अहमदाबाद की नेप्रा कंपनी से यह मशीन पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के आधार पर लगवाई गई है. निगम ने मशीन और प्लांट के लिए करीब चार एकड़ जमीन कंपनी को उपलब्ध कराई है. इसके बदले 10 साल तक कंपनी निगम को हर साल 1.41 करोड़ रुपए देगी. मशीन लगने के बाद वहां काम करने वाले रैगपिकर्स ने रोजगार छिने जाने को लेकर विरोध किया था, जिसके बाद निगमायुक्त ने ट्रेनिंग देकर उन्हें नियमित करने की बात कही थी.
20 तरह के सूखे कचरे की छंटनी
निगमायुक्त ने बताया मशीन 20 से ज्यादा तरह के सूखे कचरे को अलग-अलग छंटनी कर रही है. इसमें पानी और कोल्ड ड्रिंक्स की बॉटल, 10 तरह के प्लास्टिक की वैरायटी, कपड़ा, चमड़ा, रबर और कागज की छंटनी की जा रही है.
मशीन अपनी पूरी क्षमता से काम करेगी. इसमें विदेश से आयातित तकनीक के सेंसर लगे हैं, जो अलग-अलग ब्रांड के प्लास्टिक को पहचान लेते हैं. इससे पता चल जाता है कि किस कंपनी का कितना प्लास्टिक ट्रेंचिंग ग्राउंड आ रहा है.