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ऑटोमैटिक ड्राय वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट शुरू, 150 टन सूखे कचरे का रोज होगा निस्तारण

इंदौर में कचरे के निस्तारण को लेकर लगातार जारी प्रयासों के चलते अब ट्रेंचिंग ग्राउंड पर 20 करोड़ की लागत से ड्राय वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित किया गया है, इस अत्याधुनिक प्लांट से प्रतिदिन 150 टन सूखे कचरे का सेग्रिगेशन हो रहा है.

ऑटोमैटिक ड्राय वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट शुरू
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Published : Nov 18, 2019, 7:39 PM IST

इंदौर। कचरे के निस्तारण को लेकर लगातार जारी प्रयासों के चलते अब ट्रेंचिंग ग्राउंड पर 20 करोड़ की लागत से ड्राय वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित किया गया है. प्लांट का लोकार्पण 13 नवंबर को नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह किया था. सोमवार से इसमें काम चालू हो गया है. इस अत्याधुनिक प्लांट से प्रतिदिन 150 टन सूखे कचरे का सेग्रिगेशन हो रहा है. यह देश का पहला ऐसा प्रोजेक्ट है, जिसमें निगम को हर साल 1.41 करोड़ की आय भी होगी.

ऑटोमैटिक ड्राय वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट शुरू

पूरा प्रोजेक्ट पीपीपी मोड पर
अहमदाबाद की नेप्रा कंपनी से यह मशीन पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के आधार पर लगवाई गई है. निगम ने मशीन और प्लांट के लिए करीब चार एकड़ जमीन कंपनी को उपलब्ध कराई है. इसके बदले 10 साल तक कंपनी निगम को हर साल 1.41 करोड़ रुपए देगी. मशीन लगने के बाद वहां काम करने वाले रैगपिकर्स ने रोजगार छिने जाने को लेकर विरोध किया था, जिसके बाद निगमायुक्त ने ट्रेनिंग देकर उन्हें नियमित करने की बात कही थी.

20 तरह के सूखे कचरे की छंटनी
निगमायुक्त ने बताया मशीन 20 से ज्यादा तरह के सूखे कचरे को अलग-अलग छंटनी कर रही है. इसमें पानी और कोल्ड ड्रिंक्स की बॉटल, 10 तरह के प्लास्टिक की वैरायटी, कपड़ा, चमड़ा, रबर और कागज की छंटनी की जा रही है.

मशीन अपनी पूरी क्षमता से काम करेगी. इसमें विदेश से आयातित तकनीक के सेंसर लगे हैं, जो अलग-अलग ब्रांड के प्लास्टिक को पहचान लेते हैं. इससे पता चल जाता है कि किस कंपनी का कितना प्लास्टिक ट्रेंचिंग ग्राउंड आ रहा है.

इंदौर। कचरे के निस्तारण को लेकर लगातार जारी प्रयासों के चलते अब ट्रेंचिंग ग्राउंड पर 20 करोड़ की लागत से ड्राय वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित किया गया है. प्लांट का लोकार्पण 13 नवंबर को नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह किया था. सोमवार से इसमें काम चालू हो गया है. इस अत्याधुनिक प्लांट से प्रतिदिन 150 टन सूखे कचरे का सेग्रिगेशन हो रहा है. यह देश का पहला ऐसा प्रोजेक्ट है, जिसमें निगम को हर साल 1.41 करोड़ की आय भी होगी.

ऑटोमैटिक ड्राय वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट शुरू

पूरा प्रोजेक्ट पीपीपी मोड पर
अहमदाबाद की नेप्रा कंपनी से यह मशीन पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के आधार पर लगवाई गई है. निगम ने मशीन और प्लांट के लिए करीब चार एकड़ जमीन कंपनी को उपलब्ध कराई है. इसके बदले 10 साल तक कंपनी निगम को हर साल 1.41 करोड़ रुपए देगी. मशीन लगने के बाद वहां काम करने वाले रैगपिकर्स ने रोजगार छिने जाने को लेकर विरोध किया था, जिसके बाद निगमायुक्त ने ट्रेनिंग देकर उन्हें नियमित करने की बात कही थी.

20 तरह के सूखे कचरे की छंटनी
निगमायुक्त ने बताया मशीन 20 से ज्यादा तरह के सूखे कचरे को अलग-अलग छंटनी कर रही है. इसमें पानी और कोल्ड ड्रिंक्स की बॉटल, 10 तरह के प्लास्टिक की वैरायटी, कपड़ा, चमड़ा, रबर और कागज की छंटनी की जा रही है.

मशीन अपनी पूरी क्षमता से काम करेगी. इसमें विदेश से आयातित तकनीक के सेंसर लगे हैं, जो अलग-अलग ब्रांड के प्लास्टिक को पहचान लेते हैं. इससे पता चल जाता है कि किस कंपनी का कितना प्लास्टिक ट्रेंचिंग ग्राउंड आ रहा है.

Intro:इंदौर, देश के सबसे स्वच्छ शहर में कचरे के निस्तारण को लेकर लगातार जारी प्रयासों के चलते अब ट्रेंचिंग ग्राउंड पर 20 करोड़ की लागत से ड्राय वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित किया गया है इस अत्याधुनिक प्लांट से प्रतिदिन
150 टन सूखे कचरे के सेग्रिगेशन सफलतापूर्वक किया जा रहा है। यह देश का पहला ऐसा प्रोजेक्ट है जिसमें निगम को हर साल 1.41 करोड़ की आय भी होगी।

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दरअसल 13 नवंबर को नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह द्वारा इस प्लांट का लोकार्पण के बाद गुरुवार से इसे ड्राय वेस्ट के साथ शुरू किया गया। इस मशीन की क्षमता 300 टन है जबकि अभी यह मशीन 150 टन की क्षमता से काम कर रही है। नगर निगम प्रशासन के मुताबिक जल्द ही यह मशीन अपनी पूरी क्षमता से काम करेगी। दरअसल इस अत्याधुनिक मशीन को पीपीपी मोड पर लगाने का मुख्य मकसद सूखा कचरा अलग-अलग करने वाले रैगपिकर्स को धूल से बचाना है। अभी वे मिट्टी और धूल के ढेर में से सूखा कचरा बीनते हैं। 20 करोड़ की इस मशीन में विदेश से आयातित तकनीक के सेंसर लगे हैं जो अलग-अलग ब्रांड के प्लास्टिक को पहचान लेते हैं। इससे पता चल जाता है कि किस कंपनी का कितना प्लास्टिक ट्रेंचिंग ग्राउंड आ रहा है।


पूरा प्रोजेक्ट पीपीपी मोड पर
अहमदाबाद की नेप्रा कंपनी से यह मशीन पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के आधार पर लगवाई गई है। निगम ने मशीन और प्लांट के लिए करीब चार एकड़ जमीन कंपनी को उपलब्ध कराई है। 10 साल तक कंपनी निगम को हर साल 1.41 करोड़ रुपए देगी। मशीन लगने के बाद वहां काम करने वाले रैगपिकर्स ने रोजगार छीने जाने को लेकर विरोध किया था। निगमायुक्त ने स्पष्ट किया कि अभी की स्थिति में 50 से 60 रैगपिकर्स वहां काम कर रहे हैं। उन्हें ट्रेनिंग भी दी जा रही है और बाद में उन्हें नियमित कर दिया जाएगा।
20 तरह के सूखे कचरे की छंटनी
निगमायुक्त ने बताया मशीन 20 से ज्यादा तरह के सूखे कचरे को अलग-अलग छंटनी कर रही है। इसमें पानी और कोल्ड ड्रिंक्स की बॉटल, 10 तरह के प्लास्टिक की वैरायटी, कपड़ा, चमड़ा, रबर और कागज की छंटनी की जा रही है।Conclusion:वाइट आशीष सिंह आयुक्त नगर निगम इंदौर
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