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राम मंदिर आंदोलन में इस शख्स की रही अहम भूमिका, अशोक सिंघल ने पहचानी थी प्रतिभा

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Published : Aug 2, 2020, 5:52 PM IST

Updated : Aug 2, 2020, 7:21 PM IST

जैसे-जैसे अयोध्या राम मंदिर के भूमि पूजन का समय नजदीक आ रहा है आंदोलन से जुड़ी यादें भी ताजा होने लगी हैं, अयोध्या आंदोलन में भाग लेने वाले कारसेवकों की यादें एक बार फिर मंदिर निर्माण के साथ ताजा हो रही हैं.

Painter ashok singhal
चित्रकार अशोक सिंघल

इंदौर। देश में आस्था का केंद्र अयोध्या राम मंदिर के लिए पिछले कई सालों से संघर्ष चल रहा था, बीजेपी हो या कार सेवक या हिंदू हर कोई राम मंदिर निर्माण के लिए प्रयासरत था, लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार सुप्रीम कोर्ट से होते हुए इसका फैसला हुआ, जिसमें कोर्ट ने कहा कि अयोध्या में राम जन्म भूमि पर भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बनाया जाएगा, जिसके बाद देश के हर हिंदू नागरिक के चेहरे पर खुशी तो, साथ ही इस पूरी लड़ाई में जिन लोगों ने हिस्सा लिया था आज वो बेहद खुश हैं, पांच तारीख को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस भव्य राम मंदिर की आधारशिला रखेंगे, जिसको पूरी दुनिया देखेगी और इस क्षण का साक्षी हर कोई बनना चाहता है, लेकिन कोरोना के चलते वहां पर हर किसी को एंट्री नहीं दी गई है.

चित्रकार अशोक सिंघल

आंदोलन की यादें हुई ताजा

जैसे-जैसे अयोध्या राम मंदिर के भूमि पूजन का समय नजदीक आ रहा है आंदोलन से जुड़ी यादें भी ताजा होने लगी हैं, अयोध्या आंदोलन में भाग लेने वाले कारसेवकों की यादें एक बार फिर मंदिर निर्माण के साथ ताजा हो रही हैं, जिस समय अयोध्या में कारसेवा आंदोलन में विवादित ढांचा गिराया गया था और वहां मौजूद स्थाई मंदिर बनाया गया था उसमें इंदौर के एक चित्रकार की महत्वपूर्ण भूमिका थी, इस चित्रकार ने अपने पास मौजूद बैनर के कपड़े की सहायता से ही रामलला के आसपास अस्थाई मंदिर बनाया था, इस चित्रकार का ही नारा था कि राम लला हम आएंगे और मंदिर वहीं बनाएंगे, साथ ही अयोध्या में उस समय हुए आंदोलन पर भी मंच का संचालन इन्हीं चित्रकार के द्वारा किया गया थ.

राम मंदिर का इंदौर से जुड़ाव

राम मंदिर निर्माण में इंदौर का सीधा जुड़ाव है राम मंदिर आंदोलन के समय अयोध्या की गली-गली में जो नारे लिखे गए थे वह इंदौर के ही एक चित्रकार की देन थी, साथ ही मंच पर संचालन की भूमिका में भी यही चित्रकार पूरे समय मौजूद थे यह शख्सियत है बाबा सत्यनारायण मौर्य, राजगढ़ जिले के रहने वाले बाबा सत्यनारायण मौर्य इंदौर में ही आकर बस गए हैं, यूं तो राम मंदिर में लाखों कारसेवकों का खासा योगदान है लेकिन बाबा सत्यनारायण मौर्य का अहम किरदार है, अयोध्या आंदोलन के समय बाबा सत्यनारायण मौर्य ने वहां जाकर गली-गली और मोहल्ले की दीवारों पर जोश से ओतप्रोत नारों को लिखा था.

संसाधनों की थी कमी

संसाधनों की कमी हुई तो बाबा ने गैरू की मदद ली और उससे ही आकृति, प्रतिमा और नारों से दीवारों को रंग दिया, इनकी प्रतिभा को अशोक सिंघल ने पहचाना था और दिल्ली भेजा था. सत्यनारायण मौर्य के द्वारा दीवारों पर उस समय नारे लिखे जाते थे, साथ ही सत्यनारायण मौर्य कविता भी लिखने लगे थे और इस कला के बारे में जब विश्व हिंदू परिषद के अशोक सिंघल को जानकारी लगी तो उन्होंने सत्यनारायण मौर्य को दिल्ली भेजकर गाने और नारे की एक कैसेट रिकॉर्ड करवाई, इन नारों और गानों को अयोध्या आंदोलन में अक्सर मंच से इस्तेमाल किया जाने लगा, साथ ही अयोध्या आंदोलन में मंच संचालन की प्रमुख व्यवस्था भी सत्यनारायण मौर्य के ही हाथों में थी जिस मंच पर लालकृष्ण आडवाणी, अशोक सिंघल और उमा भारती जैसे दिग्गज बैठे थे, जिस वक्त ढांचा गिराया गया उस वक्त सत्यनारायण मौर्य मंच पर मौजूद थे और मंच का संचालन कर रहे थे, साथ ही मंच से जोर-जोर से नारे भी इन्हीं के द्वारा लगवाए जा रहे थे

दीवार पर आकृति बनाते समय और नारे लिखते समय यह ध्यान रखना होता था कि कहीं से भी पुलिस ना आ जाए इसी का असर हुआ कि बाबा किसी भी आकृति को आज भी तुरंत बना देते हैं, फिलहाल सत्यनारायण मौर्य को उत्तर प्रदेश सरकार से राम मंदिर स्थल पर पुरानी तस्वीरों के साथ प्रदर्शनी लगाने का न्योता भी मिला है, यह प्रदर्शनी स्थाई रूप से राम मंदिर के समीप तैयार की जाएगी. आखिरकार पांच तारीख को इस भव्य मंदिर का भूमिपूजन होगा, जिसके बाद इन तमाम लोगों की मेहनत सफल होगी जिन्होंने इस आंदोलन में अपना योगदान दिया.

इंदौर। देश में आस्था का केंद्र अयोध्या राम मंदिर के लिए पिछले कई सालों से संघर्ष चल रहा था, बीजेपी हो या कार सेवक या हिंदू हर कोई राम मंदिर निर्माण के लिए प्रयासरत था, लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार सुप्रीम कोर्ट से होते हुए इसका फैसला हुआ, जिसमें कोर्ट ने कहा कि अयोध्या में राम जन्म भूमि पर भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बनाया जाएगा, जिसके बाद देश के हर हिंदू नागरिक के चेहरे पर खुशी तो, साथ ही इस पूरी लड़ाई में जिन लोगों ने हिस्सा लिया था आज वो बेहद खुश हैं, पांच तारीख को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस भव्य राम मंदिर की आधारशिला रखेंगे, जिसको पूरी दुनिया देखेगी और इस क्षण का साक्षी हर कोई बनना चाहता है, लेकिन कोरोना के चलते वहां पर हर किसी को एंट्री नहीं दी गई है.

चित्रकार अशोक सिंघल

आंदोलन की यादें हुई ताजा

जैसे-जैसे अयोध्या राम मंदिर के भूमि पूजन का समय नजदीक आ रहा है आंदोलन से जुड़ी यादें भी ताजा होने लगी हैं, अयोध्या आंदोलन में भाग लेने वाले कारसेवकों की यादें एक बार फिर मंदिर निर्माण के साथ ताजा हो रही हैं, जिस समय अयोध्या में कारसेवा आंदोलन में विवादित ढांचा गिराया गया था और वहां मौजूद स्थाई मंदिर बनाया गया था उसमें इंदौर के एक चित्रकार की महत्वपूर्ण भूमिका थी, इस चित्रकार ने अपने पास मौजूद बैनर के कपड़े की सहायता से ही रामलला के आसपास अस्थाई मंदिर बनाया था, इस चित्रकार का ही नारा था कि राम लला हम आएंगे और मंदिर वहीं बनाएंगे, साथ ही अयोध्या में उस समय हुए आंदोलन पर भी मंच का संचालन इन्हीं चित्रकार के द्वारा किया गया थ.

राम मंदिर का इंदौर से जुड़ाव

राम मंदिर निर्माण में इंदौर का सीधा जुड़ाव है राम मंदिर आंदोलन के समय अयोध्या की गली-गली में जो नारे लिखे गए थे वह इंदौर के ही एक चित्रकार की देन थी, साथ ही मंच पर संचालन की भूमिका में भी यही चित्रकार पूरे समय मौजूद थे यह शख्सियत है बाबा सत्यनारायण मौर्य, राजगढ़ जिले के रहने वाले बाबा सत्यनारायण मौर्य इंदौर में ही आकर बस गए हैं, यूं तो राम मंदिर में लाखों कारसेवकों का खासा योगदान है लेकिन बाबा सत्यनारायण मौर्य का अहम किरदार है, अयोध्या आंदोलन के समय बाबा सत्यनारायण मौर्य ने वहां जाकर गली-गली और मोहल्ले की दीवारों पर जोश से ओतप्रोत नारों को लिखा था.

संसाधनों की थी कमी

संसाधनों की कमी हुई तो बाबा ने गैरू की मदद ली और उससे ही आकृति, प्रतिमा और नारों से दीवारों को रंग दिया, इनकी प्रतिभा को अशोक सिंघल ने पहचाना था और दिल्ली भेजा था. सत्यनारायण मौर्य के द्वारा दीवारों पर उस समय नारे लिखे जाते थे, साथ ही सत्यनारायण मौर्य कविता भी लिखने लगे थे और इस कला के बारे में जब विश्व हिंदू परिषद के अशोक सिंघल को जानकारी लगी तो उन्होंने सत्यनारायण मौर्य को दिल्ली भेजकर गाने और नारे की एक कैसेट रिकॉर्ड करवाई, इन नारों और गानों को अयोध्या आंदोलन में अक्सर मंच से इस्तेमाल किया जाने लगा, साथ ही अयोध्या आंदोलन में मंच संचालन की प्रमुख व्यवस्था भी सत्यनारायण मौर्य के ही हाथों में थी जिस मंच पर लालकृष्ण आडवाणी, अशोक सिंघल और उमा भारती जैसे दिग्गज बैठे थे, जिस वक्त ढांचा गिराया गया उस वक्त सत्यनारायण मौर्य मंच पर मौजूद थे और मंच का संचालन कर रहे थे, साथ ही मंच से जोर-जोर से नारे भी इन्हीं के द्वारा लगवाए जा रहे थे

दीवार पर आकृति बनाते समय और नारे लिखते समय यह ध्यान रखना होता था कि कहीं से भी पुलिस ना आ जाए इसी का असर हुआ कि बाबा किसी भी आकृति को आज भी तुरंत बना देते हैं, फिलहाल सत्यनारायण मौर्य को उत्तर प्रदेश सरकार से राम मंदिर स्थल पर पुरानी तस्वीरों के साथ प्रदर्शनी लगाने का न्योता भी मिला है, यह प्रदर्शनी स्थाई रूप से राम मंदिर के समीप तैयार की जाएगी. आखिरकार पांच तारीख को इस भव्य मंदिर का भूमिपूजन होगा, जिसके बाद इन तमाम लोगों की मेहनत सफल होगी जिन्होंने इस आंदोलन में अपना योगदान दिया.

Last Updated : Aug 2, 2020, 7:21 PM IST
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