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आई हॉस्पिटल का एक और कारनामा, ऑपरेशन के बाद जान बचाने के लिए निकाली आंख

इंदौर के आंखफोड़वा कांड को लेकर एक और मामला सामने आया है. आंखफोड़वा कांड से पीड़ित के परिजनों ने अस्पताल पर आरोप लगाया है कि ऑपरेशन के दौरान मरीज की हालत इतनी बिगड़ गई कि जान बचाने के लिए उसकी आंखें ही निकालनी पड़ गईं.

जान बचाने के लिए निकाली आंख
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Published : Aug 18, 2019, 10:01 PM IST

इंदौर। आई केयर हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद मरीजों की आंखों की रोशनी ही नहीं गई, बल्कि कुछ मरीजों की आंखें तक निकाल दी गईं. आंखफोड़वा कांड में पीड़ित के परिजनों ने आरोप लगाया है कि अस्पताल में ऑपरेशन इतना बिगड़ गया कि मरीज की जान बचाने के लिए उसकी आंख तक निकालनी पड़ी.

जान बचाने के लिए निकाली आंख

इंदौर के स्कीम नंबर-51 में रहने वाली मुन्नी बाई रघुवंशी का 5 अगस्त को इंदौर आई केयर अस्पताल में निजी तौर पर मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराया गया था. ऑपरेशन के बाद से ही मुन्नीबाई को कम दिखाई देने लगा, दो दिन बाद उन्हें पूरी तरह से दिखना बंद हो गया. जिसके चलते 10 अगस्त को मुन्नी बाई का दूसरा ऑपरेशन किया गया. जो पूरी तरह से असफल रहा और उनकी आंखे निकालनी पड़ी. परिजनों ने कहा कि 15 हजार रुपए देकर उन्होंने ऑपरेशन कराया गया था. आंखफोड़वा कांड में लगातार सामने आ रहे मरीजों से हो रहे खुलासे के बाद अस्पताल प्रबंधन सवालों के घेरे में है.

स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने माना है कि 5 अगस्त से अब तक हुए सभी ऑपरेशनों में भारी लापरवाही बरती गई है, स्वास्थ्य मंत्री के अनुसार सिर्फ कैंप के दौरान हुए पीड़ित मरीजों के लिए नहीं बल्कि सभी मरीजों का ध्यान सरकार के द्वारा रखा जाएगा.

इंदौर। आई केयर हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद मरीजों की आंखों की रोशनी ही नहीं गई, बल्कि कुछ मरीजों की आंखें तक निकाल दी गईं. आंखफोड़वा कांड में पीड़ित के परिजनों ने आरोप लगाया है कि अस्पताल में ऑपरेशन इतना बिगड़ गया कि मरीज की जान बचाने के लिए उसकी आंख तक निकालनी पड़ी.

जान बचाने के लिए निकाली आंख

इंदौर के स्कीम नंबर-51 में रहने वाली मुन्नी बाई रघुवंशी का 5 अगस्त को इंदौर आई केयर अस्पताल में निजी तौर पर मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराया गया था. ऑपरेशन के बाद से ही मुन्नीबाई को कम दिखाई देने लगा, दो दिन बाद उन्हें पूरी तरह से दिखना बंद हो गया. जिसके चलते 10 अगस्त को मुन्नी बाई का दूसरा ऑपरेशन किया गया. जो पूरी तरह से असफल रहा और उनकी आंखे निकालनी पड़ी. परिजनों ने कहा कि 15 हजार रुपए देकर उन्होंने ऑपरेशन कराया गया था. आंखफोड़वा कांड में लगातार सामने आ रहे मरीजों से हो रहे खुलासे के बाद अस्पताल प्रबंधन सवालों के घेरे में है.

स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने माना है कि 5 अगस्त से अब तक हुए सभी ऑपरेशनों में भारी लापरवाही बरती गई है, स्वास्थ्य मंत्री के अनुसार सिर्फ कैंप के दौरान हुए पीड़ित मरीजों के लिए नहीं बल्कि सभी मरीजों का ध्यान सरकार के द्वारा रखा जाएगा.

Intro:इंदौर के आई केयर हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद मरीजों की केवल आंखों की रोशनी ही नहीं गई बल्कि कुछ मरीजों की तो आंखें तक निकाली गई आंख फोड़वा कांड के खुलासे के बाद कई और मरीज लगातार सामने आ रहे हैं इनमें से ही एक मरीज के परिजनों का आरोप है कि इनका अस्पताल में ऑपरेशन किया गया था लेकिन ऑपरेशन इतना बिगड़ गया कि मरीज की जान बचाने के लिए उसकी आंख तक निकाली गई स्वास्थ्य मंत्री ने इन मरीजों का भी इलाज कराने का और पूरे मामले की जांच कराने का आश्वासन दिया है


Body:आंख फोड़वा कांड उजागर होने के बाद कई और मरीज सामने आ रहे हैं जिन्होंने इंदौर आई केयर हॉस्पिटल में मोतियाबिंद का इलाज करवाया था कुछ मरीज के परिजनों का आरोप है कि उनकी तो आंखें तक निकाली गई है, इंदौर के स्कीम नंबर 51 में रहने वाली मुन्नी बाई रघुवंशी का 5 अगस्त को इंदौर आई केयर हॉस्पिटल में निजी तौर पर मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराया गया था ऑपरेशन के बाद से ही मुन्नीबाई को कम दिखाई देने लगा साथ ही उनकी आंखों में इतना ज्यादा इंफेक्शन हो गया था कि 2 दिन बाद उन्हें पूरी तरह से दिखना बंद हो गया नौबत यहां तक आ गई कि 10 अगस्त को मुन्नी बाई का दूसरा ऑपरेशन किया गया और आंख निकालनी पड़ गई, परिजनों का आरोप है कि उनके द्वारा 15 हज़ार रुपए देकर इंदौर आई केयर हॉस्पिटल में ऑपरेशन कराया गया था लेकिन आंखों में इंफेक्शन इतना हुआ की आंख निकालनी पड़ी मरीज के परिजनों का कहना है कि उन्हें मजबूरी में आंख निकालने की अनुमति देनी पड़ी क्योंकि उन्हें जानकारी नहीं थी कि अस्पताल में इस तरह से लापरवाही से इलाज किया जाता है

इधर स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने भी पूरे मामले में संज्ञान लिया है और माना है कि 5 अगस्त से अब तक हुई सभी ऑपरेशन में भारी लापरवाही बरती गई है स्वास्थ्य मंत्री के अनुसार सिर्फ कैंप के दौरान हुए पीड़ित मरीजों के लिए नहीं बल्कि सभी मरीजों का ध्यान सरकार के द्वारा रखा जाएगा

बाईट - मुन्नीबाई रघुवंशी, पीड़ित
बाईट - शुभम, परिजन
बाईट - तुलसी सिलावट, स्वास्थ मंत्री


Conclusion:फिलहाल स्वास्थ्य मंत्री की तत्परता के बाद अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ और भी सख्त कार्रवाई की जा रही है लेकिन लगातार सामने आ रहे मरीजो से हो रहे खुलासे के बाद अस्पताल प्रबंधन सवालों के घेरे में हैं
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