इंदौर। देशभर में आज 31 मई को अहिल्याबाई होलकर की जयंती मनाई जा रही है. इतिहास में अहिल्याबाई को एक निडर और बहादुर महिला के रूप में याद किया जाता है. हर साल 31 मई को निडर महिला अहिल्याबाई की जयंती मनाई जाती है. इस खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह से लेकर सीएम शिवराज, एमपी गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने ट्वीट कर अहिल्यबाई जयंती की बधाई दी है. अहिल्याबाई ने अपने शासकाल में हिंदू धर्म के कई मंदिर बनवाए थे. सनातन धर्म में उनका खास योगदान माना जाता है.
कम उम्र में हो गई थी शादी: अहिल्याबाई अपनी प्रजा की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहती थीं, ये अपने समय की सबसे श्रेष्ट रानी और योद्धाओं में एक थीं. आपको बता दें अहिल्याबाई होल्कर की शादी महज 10 साल की छोटी सी उम्र में मालवा में होल्कर वंशीय राज्य के संस्थापक मल्हारराव होल्कर के बेटे खण्डेराव के साथ हुई थी. 29 साल की कम उम्र में ही उनके पति का निधन हो गया था. उनके दो बच्चे थे, जिनकी भी कुछ समय बाद मृत्यु हो गई थी. बता दें अहिल्याबाई के शासन काल में ही मराठा मालवा ने सबसे ज्यादा लोकप्रियता हासिल की थी. अहिल्यबाई होल्कर यू हीं निडर और बहादुर नहीं कहलातीं, उन्होंने कई युद्धों में अपनी सेना का नेतृत्व किया था. अहिल्याबाई समाज के कल्याण के लिए हमेशा खड़ी रहती थीं.
इंदौर को विकसित करने में अहिल्याबाई का योगदान: आपको बता दें इंदौर अहिल्याबाई होल्कर के नाम से विश्वविद्यालय और एयरपोर्ट है. इसकी वजह यह है कि इंदौर को विकसित शहर बनाने में अगर किसी कभी सबसे महत्वपूर्व भूमिका थी तो वह अहिल्याबाई होल्कर ही थीं. उन्होंने यहां गरीबों, शिक्षा और समाज को सुधारने में जोर दिया. साथ ही शहर की सड़कों का भी निर्माण कराया था. इसलिए इंदौर में अहिल्याबाई होल्कर की एक अलग ही जगह है. उन्हें पूरे देश के साथ इंदौर में बड़े ही सम्मान के साथ देखा जाता है
कुशल राजनीतिज्ञ थीं अहिल्याबाई: अहिल्याबाई बहादुर होने के साथ तेज बुद्धि भी थी. राजनीति से जुड़ी हर बात का हल वे यूं ही निकाल लेती थीं और कोई बात उनसे छिपती नहीं थी. लिहाजा वे एक कुशल राजनीतिज्ञ थीं. इसी के चलते उन्हें ब्रिटिश इतिहासकार जॉन कीस ने द फिलॉसोफर क्वीन की उपाधि से नवाजा था. इसके अलावा महारानी अहिल्याबाई ने समाज में विधवा महिलाओं की स्थिति पर भी बहुत काम किया था. उन्होंने उनके लिए उस वक्त बनाए गए कानून में बदलाव भी किया था.