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आचार संहिता खत्म होते ही फिर शुरु हुई जनसुनवाई, शिकायतकर्ताओं की लगी भीड़ - पीडब्ल्यूडी कर्मचारी

आचार संहिता खत्म होने के बाद इंदौर में मंगलवार से प्रशासनिक जनसुनवाई एक बार फिर शुरू हो गई है. जहां पहली जन सुनवाई में आम लोगों के अलावा सरकारी कर्मचारी भी अपनी शिकायत लेकर पहुंचे.

फिर शुरु हुई जनसुनवाई
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Published : May 28, 2019, 6:10 PM IST

इंदौर| आचार संहिता लगने के बाद इंदौर में बंद हुई प्रशासनिक जनसुनवाई एक बार फिर शुरू हो गई है. मंगलवार को शुरु हुई जनसुनवाई में सरकारी विभागों के कर्मचारियों और आमजनों ने कलेक्टर के समक्ष अपनी समस्याओं को लेकर शिकायत दर्ज कराई है. काफी समय से बंद रहने की वजह से मंगलवार को जनसुनवाई में काफी भीड़ नजर आई.

फिर शुरु हुई जनसुनवाई

जनसुनवाई में आम लोगों के साथ-साथ सरकारी कर्मचारियों ने भी कलेक्टर को अपनी समस्याएं गिनाईं. जिनमें पीडब्ल्यूडी में कोर्ट के आदेश पर नियमित किए गए दो दर्जन से ज्यादा कर्मचारी शामिल रहे. वर्षों से सेवा देने और निचली अदालत से लेकर देश की सर्वोच्च अदालत तक अपने हक की लड़ाई लड़ने और जीतने वाले कर्मचारी अब भी प्रशासन के बी ग्रेड के शिकार हैं और सुप्रीम कोर्ट से लड़ाई जीतने के बावजूद कलेक्टर जनसुनवाई जैसे छोटे फोरम पर अपने हक की मांग रखने के लिए मजबूर हैं.

पीडब्ल्यूडी में अपने हक की लड़ाई लड़ रहे 28 कर्मचारी जनसुनवाई के दौरान कलेक्टर के पास पहुंचे और अपनी शिकायत दर्ज कराई. 28 कर्मचारियों में से चार कर्मचारी रिटायर भी हो चुके हैं और कुछ कर्मचारी रिटायर होने की कगार पर हैं. इन कर्मचारियों का आरोप है कि विभाग द्वारा उनका एरियर मंजूर कर लिया गया, लेकिन अगस्त माह से उन्हें वेतन नहीं दिया जा रहा है.

इंदौर| आचार संहिता लगने के बाद इंदौर में बंद हुई प्रशासनिक जनसुनवाई एक बार फिर शुरू हो गई है. मंगलवार को शुरु हुई जनसुनवाई में सरकारी विभागों के कर्मचारियों और आमजनों ने कलेक्टर के समक्ष अपनी समस्याओं को लेकर शिकायत दर्ज कराई है. काफी समय से बंद रहने की वजह से मंगलवार को जनसुनवाई में काफी भीड़ नजर आई.

फिर शुरु हुई जनसुनवाई

जनसुनवाई में आम लोगों के साथ-साथ सरकारी कर्मचारियों ने भी कलेक्टर को अपनी समस्याएं गिनाईं. जिनमें पीडब्ल्यूडी में कोर्ट के आदेश पर नियमित किए गए दो दर्जन से ज्यादा कर्मचारी शामिल रहे. वर्षों से सेवा देने और निचली अदालत से लेकर देश की सर्वोच्च अदालत तक अपने हक की लड़ाई लड़ने और जीतने वाले कर्मचारी अब भी प्रशासन के बी ग्रेड के शिकार हैं और सुप्रीम कोर्ट से लड़ाई जीतने के बावजूद कलेक्टर जनसुनवाई जैसे छोटे फोरम पर अपने हक की मांग रखने के लिए मजबूर हैं.

पीडब्ल्यूडी में अपने हक की लड़ाई लड़ रहे 28 कर्मचारी जनसुनवाई के दौरान कलेक्टर के पास पहुंचे और अपनी शिकायत दर्ज कराई. 28 कर्मचारियों में से चार कर्मचारी रिटायर भी हो चुके हैं और कुछ कर्मचारी रिटायर होने की कगार पर हैं. इन कर्मचारियों का आरोप है कि विभाग द्वारा उनका एरियर मंजूर कर लिया गया, लेकिन अगस्त माह से उन्हें वेतन नहीं दिया जा रहा है.

Intro:एंकर आचार संहिता लगने के बाद इंदौर जिले में बंद ही प्रशासनिक जनसुनवाई एक बार फिर शुरू हो गई मंगलवार को इस मौके पर सरकारी विभागों के कर्मचारियों और आमजन में कलेक्टर के समक्ष अपनी समस्याओं को लेकर शिकायत दर्ज कराई काफी समय से बंद रहने की वजह से मंगलवार को जनसुनवाई में काफी भीड़ नजर आई आचार संहिता लगने के बाद बंद ही प्रशासनिक जनसुनवाई आचार संहिता समाप्त होने के बाद फिर से शुरू हुई


Body:जनसुनवाई में आम लोगों के साथ-साथ सरकारी विभाग के कर्मचारियों ने भी कलेक्टर को अपनी समस्या को लेकर गुहार लगाई जन सुनवाई शुरू होने का इंतजार कर रही जनता को मंगलवार को राहत महसूस हुई दर्शन आचार संहिता की वजह से बंद हुई जनसुनवाई मंगलवार से एक बार फिर शुरू हुई इस मौके पर अधिकारियों के साथ कलेक्टर की जनसुनवाई में बैठे जनसुनवाई में मंगलवार को कई शिकायतें पहुंची जिनमें पीडब्ल्यूडी विभाग के कोर्ट के आदेश पर नियमित किए गए दो दर्जन से ज्यादा कर्मचारी शामिल रहे वर्षों से सेवा देने और निचली अदालत से लेकर देश की सर्वोच्च अदालत तक अपने हक की लड़ाई लड़ने और जीतने वाले कर्मचारी अब भी प्रशासन के बी ग्रेड के शिकार तो है ही साथ ही सुप्रीम कोर्ट से लड़ाई जीतने के बावजूद भी कलेक्टर जैसे छोटे फोरम पर अपने हक की मांग करने के लिए मजबूर हैं जबकि विभाग स्वीकृत कराने की बात कह कर समय काट रहा है


Conclusion:पीडब्ल्यूडी विभाग में अपने हक की लड़ाई लड़ रहे 28 कर्मचारी आज जनसुनवाई के दौरान कलेक्टर के पास पहुंचे और अपनी शिकायत दर्ज कराई 28 कर्मचारियों में से चार कर्मचारी हक की लड़ाई लड़ते-लड़ते रिटायर भी हो गए और कुछ कर्मचारी रिटायर होने की कगार पर है इन कर्मचारियों का आरोप भी है कि विभाग द्वारा उनका एरियर तो मंजूर कर लिया गया पर अगस्त माह से उन्हें वेतन नहीं दिया जा रहा है ऐसे में देश की सर्वोच्च अदालत सहित लड़ाई जीतने और उसके बाद भी लालफीताशाही का शिकार हो धक्का खाना बताता है कि सिस्टम से जीतने का तो दिखावा कह सकता है लेकिन असल में जीता नहीं जा सकता जब तक सिस्टम खुद ना चाहे

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