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MDMA ड्रग्स मामला: 30 दिन बाद भी पूरी नहीं जांच, आरोपियों के खाते खुले

इंदौर क्राइम ब्रांच लगातार MDMA ड्रग्स मामले में जांच पड़ताल कर रही है, लेकिन पकड़े गए आरोपियों के बैंक खाते अभी तक खुले हैं, जो एक बड़ी लापरवाही बयां कर रही हैं.

Indore Crime Branch
इंदौर क्राइम ब्रांच
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Published : Mar 10, 2021, 12:11 PM IST

इंदौर। 70 करोड़ की एमडीएमए (MDMA) ड्रग्स के साथ पुलिस ने हैदराबाद के वेद प्रकाश व्यास व अन्य लोगों को गिरफ्तार किया था. मामले में इंदौर क्राइम ब्रांच लगातार जांच पड़ताल कर रही है. मामले में एक के बाद एक कई आरोपी गिरफ्तारी में लिए जा रहे हैं, लेकिन पकड़े गए आरोपियों के बैंक खाते अभी तक खुले हैं, जो एक बड़ी लापरवाही बयां कर रही है.

दरअसल 70 करोड़ की ड्रग्स मामले के दो आरोपियों की दो कंपनियों के खाते सील किए गए थे. कोर्ट ने दो बार 15-15 दिन का समय देकर वित्तीय जांच करने को के आदेश दिए थे. जांच पूरी नहीं होने पर कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि दोनों कंपनियों के खाते खुलवाकर कर्मचारियों को वेतन देकर कोर्ट को जानकारी दें.

बता दें कि मुख्य आरोपी वेद प्रकाश व्यास हैदराबाद का रहने वाला है, जिसने 70 करोड़ रुपये की ड्रग्स की सप्लाई की थी. क्राइम ब्रांच ने अब तक व्यास के अलावा 25 से अधिक आरोपियों को ड्रग्स के साथ गिरफ्तार कर चुकी है.

व्यास की पत्नी ने लगाया है आवेदन

आरोपी वेद प्रकाश व्यास की पत्नी ज्योति ने विशेष न्यायाधीश एनडीपीएस एक्ट के तहत हाईकोर्ट एडवोकेट लालजी गौर के जरिए आवेदन लगाया था, जिसमें ज्योति ने कहा था कि 6 जनवरी से क्राइम ब्रांच ने व्यास को टोटस हेल्थ केयर इंडिया लिमिटेड और एरिस्टोन फार्मा नोवा ट्रैक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के खाते सील कर रखे हैं, जिन्हें खोला जाए. खाते सील होने से कर्मचारी और अफसरों को सैलेरी नहीं मिल रही है. इस आवेदन पर कोर्ट ने दो बार 30 जनवरी और 16 फरवरी को क्राइम ब्रांच को 15-15 दिन का समय देकर जांच पूरी करने के आदेश दिए थे. क्राइम ब्रांच ने जांच पूरी नहीं की, जिसके बाद एडवोकेट गौर ने कोर्ट के सामने दो चेक पेश किए हैं. एक चेक 18 जनवरी 2021 का एचडीएफसी बैंक का 696200 रुपयों का था. जिसकी 18 मार्च को इनकी समय सीमा समाप्त हो रही थी.

MDMA ड्रग्स केस: विदेशी महिलाएं करती थी ड्रग्स सप्लाई, बॉलीवुड सिंगर से कनेक्शन की जांच!

अधिकारियों की देख-रेख में बांटा जाए वेतन

गौर ने कोर्ट से आग्रह किया कि इस चेक को व्यास की कंपनी के खाते में पास करवाया जाए. साथ ही कंपनी के खाते भी खोले जाए, जिससे कर्मचारियों और अफसरों को वेतन मिले. क्राइम ब्रांच 30 दिन में जांच पूरी नहीं कर पाई, जिसके बाद कोर्ट ने क्राइम ब्रांच के अफसरों को आदेश दिए हैं कि निरीक्षक या सहायक उप निरीक्षक ऊपर के अधिकारी की देखरेख में दोनों कंपनियों के कर्मचारियों और अफसरों को वेतन बांटा जाए और मामले की जानकारी कोर्ट को दी जाए. इसी के साथ चेक का भुगतान करने के भी आदेश दिए हैं.

इंदौर। 70 करोड़ की एमडीएमए (MDMA) ड्रग्स के साथ पुलिस ने हैदराबाद के वेद प्रकाश व्यास व अन्य लोगों को गिरफ्तार किया था. मामले में इंदौर क्राइम ब्रांच लगातार जांच पड़ताल कर रही है. मामले में एक के बाद एक कई आरोपी गिरफ्तारी में लिए जा रहे हैं, लेकिन पकड़े गए आरोपियों के बैंक खाते अभी तक खुले हैं, जो एक बड़ी लापरवाही बयां कर रही है.

दरअसल 70 करोड़ की ड्रग्स मामले के दो आरोपियों की दो कंपनियों के खाते सील किए गए थे. कोर्ट ने दो बार 15-15 दिन का समय देकर वित्तीय जांच करने को के आदेश दिए थे. जांच पूरी नहीं होने पर कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि दोनों कंपनियों के खाते खुलवाकर कर्मचारियों को वेतन देकर कोर्ट को जानकारी दें.

बता दें कि मुख्य आरोपी वेद प्रकाश व्यास हैदराबाद का रहने वाला है, जिसने 70 करोड़ रुपये की ड्रग्स की सप्लाई की थी. क्राइम ब्रांच ने अब तक व्यास के अलावा 25 से अधिक आरोपियों को ड्रग्स के साथ गिरफ्तार कर चुकी है.

व्यास की पत्नी ने लगाया है आवेदन

आरोपी वेद प्रकाश व्यास की पत्नी ज्योति ने विशेष न्यायाधीश एनडीपीएस एक्ट के तहत हाईकोर्ट एडवोकेट लालजी गौर के जरिए आवेदन लगाया था, जिसमें ज्योति ने कहा था कि 6 जनवरी से क्राइम ब्रांच ने व्यास को टोटस हेल्थ केयर इंडिया लिमिटेड और एरिस्टोन फार्मा नोवा ट्रैक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के खाते सील कर रखे हैं, जिन्हें खोला जाए. खाते सील होने से कर्मचारी और अफसरों को सैलेरी नहीं मिल रही है. इस आवेदन पर कोर्ट ने दो बार 30 जनवरी और 16 फरवरी को क्राइम ब्रांच को 15-15 दिन का समय देकर जांच पूरी करने के आदेश दिए थे. क्राइम ब्रांच ने जांच पूरी नहीं की, जिसके बाद एडवोकेट गौर ने कोर्ट के सामने दो चेक पेश किए हैं. एक चेक 18 जनवरी 2021 का एचडीएफसी बैंक का 696200 रुपयों का था. जिसकी 18 मार्च को इनकी समय सीमा समाप्त हो रही थी.

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अधिकारियों की देख-रेख में बांटा जाए वेतन

गौर ने कोर्ट से आग्रह किया कि इस चेक को व्यास की कंपनी के खाते में पास करवाया जाए. साथ ही कंपनी के खाते भी खोले जाए, जिससे कर्मचारियों और अफसरों को वेतन मिले. क्राइम ब्रांच 30 दिन में जांच पूरी नहीं कर पाई, जिसके बाद कोर्ट ने क्राइम ब्रांच के अफसरों को आदेश दिए हैं कि निरीक्षक या सहायक उप निरीक्षक ऊपर के अधिकारी की देखरेख में दोनों कंपनियों के कर्मचारियों और अफसरों को वेतन बांटा जाए और मामले की जानकारी कोर्ट को दी जाए. इसी के साथ चेक का भुगतान करने के भी आदेश दिए हैं.

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