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इंदौर में रखी गई है संविधान की दुर्लभ प्रतिकृति, हाथ में लेकर पढ़ने का मिलेगा मौका - इंदौर

इंदौर की अहिल्या लाइब्रेरी में 282 संविधान मनीषियों के मूल हस्ताक्षर की एक दुर्लभ प्रति मौजूद है, जिसे हर साल गणतंत्र दिवस पर ही सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया जाता है. इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में पुस्तक प्रेमी और संविधान विशेषज्ञ आते हैं.

A copy of the constitution is kept in Indore Ahilya Library
अहिल्या लाइब्रेरी में रखी संविधान की प्रति
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Published : Jan 25, 2020, 11:26 PM IST

Updated : Jan 25, 2020, 11:46 PM IST

इंदौर। दुनियाभर के भारतीय संविधान जितना अनूठा है उतनी ही खासियत से इसे तैयार किया गया है. जो आज भी भारतीय गणतंत्र की धरोहर है. इन्हीं धरोहर में से एक है इंदौर की अहिल्या लाइब्रेरी में रखी संविधान की प्रति है, जिसमें एक-दो नहीं बल्कि देश के 282 संविधान निर्माताओं के मूल हस्ताक्षर मौजूद हैं. हर साल गणतंत्र दिवस पर संविधान की कृति को देखने कई साहित्यकार और पुस्तक प्रेमी यहां पहुंचते हैं.

संविधान की दुर्लभ प्रतिकृति

इंदौर की अहिल्या लाइब्रेरी में रखी संविधान की इस प्रति की खासियात ये है कि इसका मुख्य पृष्ठ इंदौर में ही तैयार हुआ था. इसमें जिसमें संविधान निर्माता डॉक्टर अंबेडकर, पंडित जवाहरलाल नेहरू, डॉ राजेंद्र प्रसाद समेत उस दौरान संविधान निर्माण में कोई ना कोई भूमिका निभाने वाले संविधान निर्माताओं, साहित्यकारों और जनप्रतिनिधियों के मूल हस्ताक्षर हैं.

संविधान सबसे पहले मूल रूप में तीन प्रतियों में तैयार हुआ था जिसकी मूल प्रति हीलियम के एक विशेष केस में सहेज कर संसद भवन की लाइब्रेरी में रखी गई है तो दूसरी प्रति इंदौर की देवी अहिल्या सेंट्रल लाइब्रेरी में सुरक्षित है और एक ग्वालियर में रखी गई है.

इंदौर। दुनियाभर के भारतीय संविधान जितना अनूठा है उतनी ही खासियत से इसे तैयार किया गया है. जो आज भी भारतीय गणतंत्र की धरोहर है. इन्हीं धरोहर में से एक है इंदौर की अहिल्या लाइब्रेरी में रखी संविधान की प्रति है, जिसमें एक-दो नहीं बल्कि देश के 282 संविधान निर्माताओं के मूल हस्ताक्षर मौजूद हैं. हर साल गणतंत्र दिवस पर संविधान की कृति को देखने कई साहित्यकार और पुस्तक प्रेमी यहां पहुंचते हैं.

संविधान की दुर्लभ प्रतिकृति

इंदौर की अहिल्या लाइब्रेरी में रखी संविधान की इस प्रति की खासियात ये है कि इसका मुख्य पृष्ठ इंदौर में ही तैयार हुआ था. इसमें जिसमें संविधान निर्माता डॉक्टर अंबेडकर, पंडित जवाहरलाल नेहरू, डॉ राजेंद्र प्रसाद समेत उस दौरान संविधान निर्माण में कोई ना कोई भूमिका निभाने वाले संविधान निर्माताओं, साहित्यकारों और जनप्रतिनिधियों के मूल हस्ताक्षर हैं.

संविधान सबसे पहले मूल रूप में तीन प्रतियों में तैयार हुआ था जिसकी मूल प्रति हीलियम के एक विशेष केस में सहेज कर संसद भवन की लाइब्रेरी में रखी गई है तो दूसरी प्रति इंदौर की देवी अहिल्या सेंट्रल लाइब्रेरी में सुरक्षित है और एक ग्वालियर में रखी गई है.

Intro:नोट यह खबर 26 जनवरी के असाइनमेंट के रूप में मांगी गई थी इंदौर, दुनिया भर के संविधान में श्रेष्ठ भारतीय संविधान जितना अनूठा है उतनी ही खासियत है संविधान के रूप में तैयार दुर्लभ कृतियों की जो आज भी भारतीय गणतंत्र की धरोहर है इन्हीं धरोहर में से एक है इंदौर की अहिल्या लाइब्रेरी में रखी संविधान की दुर्लभ प्रति, जिसमें एक-दो नहीं बल्कि देश के 282 संविधान मनीषियों के मूल हस्ताक्षर मौजूद हैं, हर साल गणतंत्र दिवस पर संविधान की कृति को देखने कई साहित्यकार और पुस्तक प्रेमी यहां पहुंचते हैं


Body:दरअसल भारतीय संविधान सबसे पहले मूल रूप में तीन प्रतियों में तैयार हुआ था जिसकी मूल प्रति हीलियम के एक विशेष केस में सहेज कर संसद भवन की लाइब्रेरी में रखी गई है तो दूसरी प्रति इंदौर की देवी अहिल्या सेंट्रल लाइब्रेरी में सुरक्षित है संविधान की यह वह मूल प्रति है जिसमें संविधान निर्माता डॉक्टर अंबेडकर, पंडित जवाहरलाल नेहरू, डॉ राजेंद्र प्रसाद समेत उस दौरान संविधान निर्माण में कोई ना कोई भूमिका निभाने वाले संविधान मनीषियों साहित्यकारों और जनप्रतिनिधियों के मूल हस्ताक्षर हैं संविधान किस प्रति की खासियत यह भी है कि इसका मुख्य पृष्ठ इंदौर में ही तैयार हुआ था, भारतीय गणतंत्र और संविधान विशेषज्ञों के बीच संविधान की विरासत माने जाने वाली यह प्रति प्रतिवर्ष अहिल्या सेंट्रल लाइब्रेरी द्वारा गणतंत्र दिवस पर ही सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित की जाती है जिसे देखने के लिए हर साल बड़ी संख्या में पुस्तक प्रेमी और संविधान विशेषज्ञ भी जुड़ते हैं


Conclusion:डॉक्टर जी डी अग्रवाल, क्षेत्रीय लाइब्रेरियन इंदौर
Last Updated : Jan 25, 2020, 11:46 PM IST
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