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8 साल में ही शिखर पर 'समृद्धि', भरतनाट्यम से किया नाम रोशन - mp

आठ साल की उम्र की समृद्धि जायसवाल देश-विदेशों में भरतनाट्यम की प्रस्तुति दे रही है. कई राष्ट्रीय पुरस्कारों को जीत चुकी समृद्धि जब भरतनाट्यम करना शुरु करती है तो सभी उसकी तारीफ करने से खुद को रोक नहीं पाते.

समृद्धि कर रही नाम रोशन
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Published : Jun 10, 2019, 7:14 PM IST

इंदौर। "होनहार बिरवान के होत चिकने पात", यह कहावत इंदौर की समृद्धि जायसवाल पर बिल्कुल सही बैठती है.महज आठ साल की उम्र की यह बच्ची जब भरतनाट्यम करना शुरु करती है, तो देखने वाले दांतो तले उंगली दबा लेते हैं. उम्र तो छोटी है, लेकिन अभी से समृद्धि जिस तरह से चेहरे पर भाव भंगिमाएं लाती है, उसे देखकर सभी उसकी तारीफ करने से खुद को रोक नहीं पाते.

समृद्धि कर रही नाम रोशन


भारतीय संस्कृति की सबसे प्राचीन नृत्य कलाओं में से एक भरतनाट्यम, अब विलुप्त होता जा रहा है. देश के आठ शास्त्रीय नृत्यों में से सबसे प्राचीन यह नृत्य़, अब अपना महत्व और मूल्य खो रहा है.लेकिन, जहां एक तरफ बच्चों में हिपहॉप और सालसा जैसे पाश्चात्य नृत्य सीखने की ललक बढ़ रही है. वहीं, दूसरी तरफ इंदौर में एक बालिका ऐसी भी है, जो देश की इस विरासत को संजो कर अपना नाम रोशन कर रही है.कई राष्ट्रीय पुरस्कारों को जीत चुकी समृद्धि जायसवाल सिंगापुर में भी भरतनाट्यम की प्रस्तुति दे चुकी है.

समृद्धि ने साढ़े तीन साल की उम्र में ही भरतनाट्यम सीखना शुरु कर दिया था. समृद्धि इसका श्रेय अपने माता-पिता और गुरु को देती है, जिन्होंने इतनी कठिन विधा में उसे महारत हासिल करवाई. समृद्धि के गुरु आशीष पिल्लई का कहना है कि भरतनाट्यम में लय और ताल का बहुत महत्व होता है. इसे सीखने में लगभग 7-8 साल लग जाते हैं.

समृद्धि ने 8 साल में जिस भरतनाट्यम को पूरी तरह से सीख लिया है, उसे पूरी तरह से समझने में ही काफी समय लग जाता है. पढ़ाई में भी अव्वल समृद्धि का ये हुनर आज भी भारतीय संस्कृति को जीवित रखे हुए

इंदौर। "होनहार बिरवान के होत चिकने पात", यह कहावत इंदौर की समृद्धि जायसवाल पर बिल्कुल सही बैठती है.महज आठ साल की उम्र की यह बच्ची जब भरतनाट्यम करना शुरु करती है, तो देखने वाले दांतो तले उंगली दबा लेते हैं. उम्र तो छोटी है, लेकिन अभी से समृद्धि जिस तरह से चेहरे पर भाव भंगिमाएं लाती है, उसे देखकर सभी उसकी तारीफ करने से खुद को रोक नहीं पाते.

समृद्धि कर रही नाम रोशन


भारतीय संस्कृति की सबसे प्राचीन नृत्य कलाओं में से एक भरतनाट्यम, अब विलुप्त होता जा रहा है. देश के आठ शास्त्रीय नृत्यों में से सबसे प्राचीन यह नृत्य़, अब अपना महत्व और मूल्य खो रहा है.लेकिन, जहां एक तरफ बच्चों में हिपहॉप और सालसा जैसे पाश्चात्य नृत्य सीखने की ललक बढ़ रही है. वहीं, दूसरी तरफ इंदौर में एक बालिका ऐसी भी है, जो देश की इस विरासत को संजो कर अपना नाम रोशन कर रही है.कई राष्ट्रीय पुरस्कारों को जीत चुकी समृद्धि जायसवाल सिंगापुर में भी भरतनाट्यम की प्रस्तुति दे चुकी है.

समृद्धि ने साढ़े तीन साल की उम्र में ही भरतनाट्यम सीखना शुरु कर दिया था. समृद्धि इसका श्रेय अपने माता-पिता और गुरु को देती है, जिन्होंने इतनी कठिन विधा में उसे महारत हासिल करवाई. समृद्धि के गुरु आशीष पिल्लई का कहना है कि भरतनाट्यम में लय और ताल का बहुत महत्व होता है. इसे सीखने में लगभग 7-8 साल लग जाते हैं.

समृद्धि ने 8 साल में जिस भरतनाट्यम को पूरी तरह से सीख लिया है, उसे पूरी तरह से समझने में ही काफी समय लग जाता है. पढ़ाई में भी अव्वल समृद्धि का ये हुनर आज भी भारतीय संस्कृति को जीवित रखे हुए

Intro:भारत में भरतनाट्यम और कथक नृत्य सबसे पुराने और प्राचीन माने जाते हैं लेकिन समय के साथ साथ यह दोनों कलाए विलुप्त होती जा रही है मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में एक बालिका ऐसी भी है जिसकी उम्र तो महज 8 साल है लेकिन लेकिन कई राष्ट्रीय पुरस्कारों को उसने अभी से जीत लिया है इतना ही नहीं इंदौर की बहने वाली समृद्धि जायसवाल सिंगापुर में भी भरतनाट्यम की प्रस्तुति दे चुकी है


Body:इंदौर की रहने वाली समृद्धि जायसवाल ने छोटी सी उम्र में भरतनाट्यम सिख कर सभी को चौंका दिया है समृद्धि जायसवाल मात्र 8 साल की हैं लेकिन उन्होंने भारतीय संस्कृति के हिस्से भरतनाट्यम में महारत हासिल कर ली है इतनी छोटी सी उम्र में भरतनाट्यम सीखने का श्रेय समृद्धी अपने माता पिता और गुरु को देती है जिन्होंने इतनी कठिन विधा में समृद्धि को महारत हासिल करवाई समृद्धि साडे 3 साल की थी तब से भरतनाट्यम सीख रही हैं और अभी तक कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर उन्हें जीत चुकी हैं समृद्धि जायसवाल के टीचर आशीष पिल्लई के द्वारा उन्हें भरतनाट्यम की शिक्षा दी जाती है कुछ दिनों पूर्व ही सिंगापुर में हुए फेस्टिवल में समृद्धि अपने पांच साथियों के साथ भरतनाट्यम की प्रस्तुति दे चुकी हैं जिसमें कई प्रवासी भारतीय बड़ी संख्या में मौजूद थे समृद्धि के गुरु आशीष पिल्लई के अनुसार भारतीय संस्कृति में 8 शास्त्र होते हैं जिसमें सीखिए एक भारत नाट्यम है और यह हमारी संस्कृति का हिस्सा है हालांकि धीरे धीरे यह विधा विलुप्त होती जा रही है लेकिन समृद्धि जायसवाल जैसे कई हुनरमंद ओं के कारण आज भी भारतीय संस्कृति जीवित है

बाईट - आशीष पिल्लई, डांस टीचर
बाईट - रीना जायसवाल, समृद्धि माँ


Conclusion:समृद्धि ने 8 साल में जिस भरतनाट्यम को पूरी तरह से सिख लिया है, उसे पूरी तरह से समझने में ही इतना समय लग जाता है हालांकि समृद्धि में कभी भी भरतनाट्यम के कारण अपनी पढ़ाई को प्रभावित नहीं होने दिया है जिस तरह से वे भरतनाट्यम में पारंगत हैं उसी तरह से पढ़ाई में भी सबसे आगे बनी हुई है
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