इंदौर। एक तरफ जहां शहर कोरोना से जूझ रहा है, तो वहीं दूसरी ओर अब ब्लैक फंगस की बेरहमी ने हर किसी को हैरत में डाल दिया हैं. यहीं कारण है कि सरकार और प्रशासन को कोविड के साथ ही पोस्ट कोविड बीमारी और ब्लैक फंगस की चुनौती का सामना करना पड़ रहा हैं. इसी को लेकर प्रशासन ने एहतियात के तौर पर कई कदम उठाए, पर वो अभी तक नकारा साबित हुए.
ब्लैक फंगस के 500 से 600 नए मरीज सामने आए
पोस्ट कोविड बीमारी यानी म्यूकरमायकोसिस का असर इन दिनों मध्य प्रदेश की कमर्शियल केपिटल पर देखा जा रहा हैं. यहां हर रोज कोरोना संक्रमण के मरीज सामने आ रहे है. दूसरी ओर कोरोना से जंग जीतने वालों को ब्लैक फंगस का शिकार होना पड़ रहा हैं. आंकड़ों की बात की जाए, तो मुंह के जरिए शुरू होने वाली इस बीमारी के अब तक 800 से 1000 तक से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. एमवाय अस्पताल में करीब 300 से ज्यादा मरीजों का इलाज जारी हैं. बॉम्बे हॉस्पिटल, चोइथराम और अरविंदो जैसे निजी अस्पतालों में भी ब्लैक फंगस के शिकार हुए मरीजों का इलाज चल रहा है. पिछले 20 दिनों की बात की जाए, तो करीब 23 मरीजों की मौत हो चुकी हैं. बीते 20 दिनों में ब्लैक फंगस के 500 से 600 नए मरीज सामने आए हैं, जो सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज करवा रहे हैं. करीब 80 मरीज ठीक होकर वापस अपने घर लौट चुके हैं.
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शहर में ब्लैक फंगस के इंजेक्शन की काफी कमी हैं. 500 से 600 इंजेक्शन ही मिल पा रहे है, लेकिन आवश्कता अधिक हैं. डॉक्टर्स की मानें, तो पहले कभी चार मरीज ही आते थे, पर अब संख्या काफी बढ़ गई हैं. इंजेक्शन उपलब्ध कही नहीं हैं.
अगर मई महीने के आंकड़ों की बात करें, तो पिछले साल भी ऐसे कुछ ही मामले थे, लेकिन अब यह संख्या बढ़ गए हैं. पहले साल में कभी चार-पांच केस आते थे. 11 मई को एमवाय हॉस्पिटल में 11 से ज्यादा मरीज भर्ती थे. 17 मई को मरीजों की संख्या 120 से लेकर 130 हो गई थी. तीन जून की बात करें, तो अभी जिले में 800 से 1000 मरीज है. वहीं मौत का आंकड़ा 23 तक पहुंच गया हैं.