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पैदल चलने को मजबूर मजदूर, 40 किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचे इटारसी - सुहागपुर से इटारसी पहुंचे मजदूर

होशंगाबाद जिल में इटारसी के रेलवे जंक्शन पर श्रमिक सोहागपुर से 40 किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचे. अनलॉक और मजदूरों को उनके आसपास ही काम दिलाने के दौर में भी इस तरह की तस्वीर सामने आ रही हैं.

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Published : Jul 8, 2020, 4:41 PM IST

होशंगाबाद। लॉकडाउन खुलने के बाद पैदल घर वापसी कर रहे प्रवासी श्रमिकों का घर वापसी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. बुधवार को इटारसी रेलवे स्टेशन के सामने कई मजदूर देखे गए तो वहीं इटारसी से सोहागपुर तक 40 किलोमीटर पैदल चलकर आए आधा दर्जन श्रमिक वाहन की तलाश में स्थानीय बस स्टैंड पर भटकते नजर आए.

पूछने पर श्रमिकों ने बताया कि वह शहडोल जिले के रहने वाले हैं और गोवा व बैंगलुरू में रहकर काम करते थे. लॉकडाउन के बाद काम छूट जाने से वह बेरोजगार हो गए हैं और दूसरा काम नहीं मिलने पर अपनी घर वापसी कर रहे हैं. श्रमिकों ने बताया कि रात भर चलने के बाद सुबह 6 बजे सोहागपुर बस स्टैंड पर पहुंचे और वाहन का इंतजार करते रहे, लेकिन दोपहर 2 बजे तक इंतजार के बाद कोई मदद नहीं मिलने पर सभी श्रमिक किराए का ऑटो करके पिपरिया के लिए रवाना हो गए.

तहसीलदार पुष्पेंद्र निगम ने बताया कि श्रमिकों के रुकने की जानकारी लगी थी, उनके लिए पिपरिया बॉर्डर तक छोड़ने के लिए वाहन भी उपलब्ध करा दिया गया था. लेकिन तब तक सभी श्रमिक पिपरिया की ओर निकल चुके थे.

होशंगाबाद। लॉकडाउन खुलने के बाद पैदल घर वापसी कर रहे प्रवासी श्रमिकों का घर वापसी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. बुधवार को इटारसी रेलवे स्टेशन के सामने कई मजदूर देखे गए तो वहीं इटारसी से सोहागपुर तक 40 किलोमीटर पैदल चलकर आए आधा दर्जन श्रमिक वाहन की तलाश में स्थानीय बस स्टैंड पर भटकते नजर आए.

पूछने पर श्रमिकों ने बताया कि वह शहडोल जिले के रहने वाले हैं और गोवा व बैंगलुरू में रहकर काम करते थे. लॉकडाउन के बाद काम छूट जाने से वह बेरोजगार हो गए हैं और दूसरा काम नहीं मिलने पर अपनी घर वापसी कर रहे हैं. श्रमिकों ने बताया कि रात भर चलने के बाद सुबह 6 बजे सोहागपुर बस स्टैंड पर पहुंचे और वाहन का इंतजार करते रहे, लेकिन दोपहर 2 बजे तक इंतजार के बाद कोई मदद नहीं मिलने पर सभी श्रमिक किराए का ऑटो करके पिपरिया के लिए रवाना हो गए.

तहसीलदार पुष्पेंद्र निगम ने बताया कि श्रमिकों के रुकने की जानकारी लगी थी, उनके लिए पिपरिया बॉर्डर तक छोड़ने के लिए वाहन भी उपलब्ध करा दिया गया था. लेकिन तब तक सभी श्रमिक पिपरिया की ओर निकल चुके थे.

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