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बाढ़ में उजड़ा आशियाना, सड़क पर तंबू बनाकर रह रहे ग्रामीण - Heavy rain in Hoshangabad district

होशंगाबाद जिले में भारी बारिश के बाद तवा डैम के 13 गेटों को 32 फीट तक खोला गया है. हालांकि अब बारिश बंद हो चुकी है. लेकिन तवा डैम से छोड़ा गया 1 हजार 754 एमसीएम पानी और नर्मदा में आयी भीषण बाढ़ ने सब बर्बाद कर दिया, जिसके बाद जिले के कई इलाकों में तबाही का मंजर हैं. आलम यह है जिन लोगों का घर टूट गया वे सड़क पर रहने को मजबूर हो गए हैं.

Hoshangabad after the flood
बाढ़ के बाद होशंगाबाद
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Published : Sep 3, 2020, 7:45 PM IST

होशंगाबाद। बीते दिनों से प्रदेश सहित जिले में भारी बारिश का दौर जारी है. प्रदेश के कई जिले जलमग्न हो गए हैं. खासकर नर्मदा नदी के रौद्र रूप से लोगों को काफी समस्या हो रही है. हालांकि अब बाढ़ का पानी कम हो गया है, जिसके बाद तबाही का असली मंजर दिखने लगा है. बाढ कम होने के बाद लोग अपने आशियाने सजाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन फिलहाल तो प्रशासनिक लापरवाही के कारण लोगों को तंबू में रहने को मजबूर होना पड़ रहा है.

बाढ़ में उजड़ा आशियाना

भीषण बाढ़ ने अपने पीछे तबाही का मंजर छोड़ दिया है दर्द ऐसा है कि जिससे उभरना मुश्किल है. पानी की तेज धार ने पक्के मकानों को धराशाई कर दिया तो फिर कच्चे मकानों का क्या हुआ होगा आप सोच सकते है. फसले चौपट हो गई. कई स्थानों पर अभी भी पानी भरा हुआ है. इसलिए क्षति का आकलन करना मुश्किल है, लेकिन मोटे तौर पर कहा जा सकता है कि करोड़ों का नुकसान हुआ है.

Hoshangabad after the flood
खेतो में भरी रेत

सड़कों पर रह रहे बाढ़ पीड़ित
नर्मदा और तवा नदी के बीचोबीच बसे गांव पूरी तरह डूब गए. इन गांव में नर्मदा और तवा दोनों नदियों का पानी भर गया और तेज बहाव में ग्रामीणों का सब कुछ बर्बाद हो गया. तकरीबन डेढ़ सौ से 200 परिवार सड़कों पर अस्थाई तंबू लगाकर रहने को मजबूर हैं. अनाज गीला हो चुका है तो अन्य समान बाढ़ में बह गया. लिहाजा इन लोगों को खाने तक की परेशानी हो रही है.

Hoshangabad after the flood
बर्बाद हो गया घर में रखा अनाज

अभी तक नहीं पहुचा प्रशासन
लगभग दो दिन तक 10 से 12 फीट पानी में फंसे लोग ग्रामीणों ने निर्माणाधीन नेशनल हाईवे सहित सरकारी बिल्डिंग में जाकर किसी तरह अपनी जान बचाई. बाढ़ का पानी अधिक होने के चलते प्रशासन भी तीन दिन तक इन ग्रामीणों तक नहीं पहुंच पाया था. ऐसे लोगों ने किसी तरह से भूखे प्यासे रहकर ही गुजारा किया. सड़कों पर रह रहे लोग सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन अभी तक सर्वे टीम ग्रामीणों तक नहीं पहुंच पाई हैं.

Hoshangabad after the flood
तबाह हुई सड़कें

नहीं बच सका एक भी मकान सभी घर टूटे
होशंगाबाद मुख्यालय से सटे तवा और नर्मदा नदी के संगम के नजदीक बसे बांद्राबांध, घानावड़, बरखेड़ी गांव में एक भी घर बच नहीं सका है. ग्रामीणों ने अचनाक से तवा नदी से पानी से मुश्किल से बचकर सरकारी बिल्डिंग और मंदिरों की छत पर छिकाना बनाया और दो दिन गुजारे और जब पानी उतर गया तो पूरा गांव सड़क पर तंबू लगाकर रहने को मजबूर है.

Hoshangabad after the flood
प्रशासन के मदद का इंतजार

प्रशासन जल्द कराएगा सर्वे
तबाही इतने बड़े पैमाने पर है कि प्रशासन के सर्वे आदि करने में समय लग रहा है, हालांकि राजस्व विभाग सहित अन्य विभाग की कई टीमें सर्वे के काम में लगी हैं, जिन्हें जल्द ही सर्वे की रिपोर्ट तैयार कर भेजे जाने के निर्देश दिए गए हैं.

Hoshangabad after the flood
तंबू बनाकर रह रहे ग्रामीण

1973 की बाढ़ के तरह था मंजर
ग्रामीणों ने बताया कि इससे पहले इस तरह की बाढ़ 1973 में आई थी. लगातार तेज बारिश और डैम खुलने से गांव मे तेजी से पानी भरता चला गया. वहीं फसलों में भी बाढ़ में आई से रेत जमा हो गई, जिससे खड़ी हुई फसल बर्बाद हो गई है. गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि 1973 में भी ऐसा ही मंजर था जब सब कुछ बर्बाद हो गया था. उस समय पक्के मकान नहीं होते थे तो तबाही और भी भयावह होती थी.

होशंगाबाद। बीते दिनों से प्रदेश सहित जिले में भारी बारिश का दौर जारी है. प्रदेश के कई जिले जलमग्न हो गए हैं. खासकर नर्मदा नदी के रौद्र रूप से लोगों को काफी समस्या हो रही है. हालांकि अब बाढ़ का पानी कम हो गया है, जिसके बाद तबाही का असली मंजर दिखने लगा है. बाढ कम होने के बाद लोग अपने आशियाने सजाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन फिलहाल तो प्रशासनिक लापरवाही के कारण लोगों को तंबू में रहने को मजबूर होना पड़ रहा है.

बाढ़ में उजड़ा आशियाना

भीषण बाढ़ ने अपने पीछे तबाही का मंजर छोड़ दिया है दर्द ऐसा है कि जिससे उभरना मुश्किल है. पानी की तेज धार ने पक्के मकानों को धराशाई कर दिया तो फिर कच्चे मकानों का क्या हुआ होगा आप सोच सकते है. फसले चौपट हो गई. कई स्थानों पर अभी भी पानी भरा हुआ है. इसलिए क्षति का आकलन करना मुश्किल है, लेकिन मोटे तौर पर कहा जा सकता है कि करोड़ों का नुकसान हुआ है.

Hoshangabad after the flood
खेतो में भरी रेत

सड़कों पर रह रहे बाढ़ पीड़ित
नर्मदा और तवा नदी के बीचोबीच बसे गांव पूरी तरह डूब गए. इन गांव में नर्मदा और तवा दोनों नदियों का पानी भर गया और तेज बहाव में ग्रामीणों का सब कुछ बर्बाद हो गया. तकरीबन डेढ़ सौ से 200 परिवार सड़कों पर अस्थाई तंबू लगाकर रहने को मजबूर हैं. अनाज गीला हो चुका है तो अन्य समान बाढ़ में बह गया. लिहाजा इन लोगों को खाने तक की परेशानी हो रही है.

Hoshangabad after the flood
बर्बाद हो गया घर में रखा अनाज

अभी तक नहीं पहुचा प्रशासन
लगभग दो दिन तक 10 से 12 फीट पानी में फंसे लोग ग्रामीणों ने निर्माणाधीन नेशनल हाईवे सहित सरकारी बिल्डिंग में जाकर किसी तरह अपनी जान बचाई. बाढ़ का पानी अधिक होने के चलते प्रशासन भी तीन दिन तक इन ग्रामीणों तक नहीं पहुंच पाया था. ऐसे लोगों ने किसी तरह से भूखे प्यासे रहकर ही गुजारा किया. सड़कों पर रह रहे लोग सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन अभी तक सर्वे टीम ग्रामीणों तक नहीं पहुंच पाई हैं.

Hoshangabad after the flood
तबाह हुई सड़कें

नहीं बच सका एक भी मकान सभी घर टूटे
होशंगाबाद मुख्यालय से सटे तवा और नर्मदा नदी के संगम के नजदीक बसे बांद्राबांध, घानावड़, बरखेड़ी गांव में एक भी घर बच नहीं सका है. ग्रामीणों ने अचनाक से तवा नदी से पानी से मुश्किल से बचकर सरकारी बिल्डिंग और मंदिरों की छत पर छिकाना बनाया और दो दिन गुजारे और जब पानी उतर गया तो पूरा गांव सड़क पर तंबू लगाकर रहने को मजबूर है.

Hoshangabad after the flood
प्रशासन के मदद का इंतजार

प्रशासन जल्द कराएगा सर्वे
तबाही इतने बड़े पैमाने पर है कि प्रशासन के सर्वे आदि करने में समय लग रहा है, हालांकि राजस्व विभाग सहित अन्य विभाग की कई टीमें सर्वे के काम में लगी हैं, जिन्हें जल्द ही सर्वे की रिपोर्ट तैयार कर भेजे जाने के निर्देश दिए गए हैं.

Hoshangabad after the flood
तंबू बनाकर रह रहे ग्रामीण

1973 की बाढ़ के तरह था मंजर
ग्रामीणों ने बताया कि इससे पहले इस तरह की बाढ़ 1973 में आई थी. लगातार तेज बारिश और डैम खुलने से गांव मे तेजी से पानी भरता चला गया. वहीं फसलों में भी बाढ़ में आई से रेत जमा हो गई, जिससे खड़ी हुई फसल बर्बाद हो गई है. गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि 1973 में भी ऐसा ही मंजर था जब सब कुछ बर्बाद हो गया था. उस समय पक्के मकान नहीं होते थे तो तबाही और भी भयावह होती थी.

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