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9 घंटों के संघर्ष के बाद माने आदिवासी, कलेक्टर ने दिया गांव पहुंचने का आश्वासन

होशंगाबाद में नर्मदा नदी की सहायक नदी गंजाल मोरंड नदी पर बन रहे संयुक्त बांध के खिलाफ आदिवासियों ने जिला मुख्यालय पर धरना दिया. जिसके बाद देर रात कलेक्टर धनंजय सिंह बघेल आदिवासियों से मिलने पहुंचे.

Adivasis considered after the conflict
Adivasis considered after the conflict
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Published : Dec 18, 2019, 3:06 AM IST

Updated : Dec 18, 2019, 7:38 AM IST

होशंगाबाद। नर्मदा नदी की सहायक नदी गंजाल मोरंड नदी पर बन रहे संयुक्त बांध के खिलाफ आदिवासियों ने जिला मुख्यालय पर धरना दिया. कलेक्टर कार्यालय के सामने आदिवासी करीब 9 घंटे से अधिक धरने पर बैठ बांध बनने का विरोध-प्रदर्शन करते रहे, जिसके बाद देर रात कलेक्टर धनंजय सिंह बघेल आदिवासियों से मिलने पहुंचे.

कलेक्ट्रेट में आदिवासियों का धरना

नर्मदापुरम संभाग के 3 जिले हरदा, बैतूल और होशंगाबाद की सीमा में नदी की सहायक नदी गंजाल मोरल सिंचाई परियोजना पर 1,860 करोड़ की लागत से बांध का निर्माण किया जाना है, जिसका नर्मदा विकास प्राधिकरण द्वारा टेंडर निकालकर स्वीकृति जारी कर दी गई है.

Adivasis meeting with collector
कलेक्टर से मिलकर माने आदिवासी

बांध बनने के चलते करीब 23 से अधिक आदिवासी गांव डूबने की आशंका है. इसी आशंका के चलते सैकड़ों की संख्या में आदिवासी ट्रैक्टर-ट्रॉली में भरकर जिला मुख्यालय पहुंचे और कलेक्टर से लिखित में आश्वासन की मांग कर रहे थे, लेकिन कलेक्टर आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में शामिल होने मुख्यालय से बाहर गए हुए थे, इसलिए धरना-प्रदर्शन के 9 घंटे बाद प्रदर्शनकारियों से मिलने पहुंचे.

होशंगाबाद। नर्मदा नदी की सहायक नदी गंजाल मोरंड नदी पर बन रहे संयुक्त बांध के खिलाफ आदिवासियों ने जिला मुख्यालय पर धरना दिया. कलेक्टर कार्यालय के सामने आदिवासी करीब 9 घंटे से अधिक धरने पर बैठ बांध बनने का विरोध-प्रदर्शन करते रहे, जिसके बाद देर रात कलेक्टर धनंजय सिंह बघेल आदिवासियों से मिलने पहुंचे.

कलेक्ट्रेट में आदिवासियों का धरना

नर्मदापुरम संभाग के 3 जिले हरदा, बैतूल और होशंगाबाद की सीमा में नदी की सहायक नदी गंजाल मोरल सिंचाई परियोजना पर 1,860 करोड़ की लागत से बांध का निर्माण किया जाना है, जिसका नर्मदा विकास प्राधिकरण द्वारा टेंडर निकालकर स्वीकृति जारी कर दी गई है.

Adivasis meeting with collector
कलेक्टर से मिलकर माने आदिवासी

बांध बनने के चलते करीब 23 से अधिक आदिवासी गांव डूबने की आशंका है. इसी आशंका के चलते सैकड़ों की संख्या में आदिवासी ट्रैक्टर-ट्रॉली में भरकर जिला मुख्यालय पहुंचे और कलेक्टर से लिखित में आश्वासन की मांग कर रहे थे, लेकिन कलेक्टर आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में शामिल होने मुख्यालय से बाहर गए हुए थे, इसलिए धरना-प्रदर्शन के 9 घंटे बाद प्रदर्शनकारियों से मिलने पहुंचे.

Intro:होशंगाबाद। नर्मदा नदी की सहायक नदी गंजाल मोरंड नदी पर बन रहे संयुक्त बांध के खिलाफ आदिवासियों ने जिला मुख्यालय पर कलेक्टर कार्यालय के सामने करीब 9 घंटे से अधिक धरने पर बैठ बाध बनने का विरोध प्रदर्शन करते रहे और देर रात कलेक्टर धनंजय सिंह बघेल आदिवासियों से मिलने पहुंचे


Body: नर्मदापुरम संभाग के 3 जिले हरदा बैतूल होशंगाबाद की सीमा में नदी की सहायक नदी गंजाल मोरल सिंचाई परियोजना पर 1860 करोड़ की लागत से बांध का निर्माण किया जाना है जिसका नर्मदा विकास प्राधिकरण द्वारा टेंडर निकाल कर स्वीकृति जारी कर दी गई है बांध बनने के चलते करीब 23 से अधिक आदिवासी गांव डूबने की संभावना है इसी आशंका के चलते सैकड़ों की संख्या में आदिवासी ट्रैक्टर ट्राली में भरकर जिला मुख्यालय पहुंचे और कलेक्टर लिखित में आश्वासन की मांग कर रहे थे लेकिन कलेक्टर आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में शामिल होने मुख्यालय से बाहर गए हुए थे लेकिन जो कि धरना प्रदर्शन के 9 घंटे बाद प्रदर्शनकारियों से मिलने पहुंचे

रात के दूसरे पहर में कलेक्टर कार्यालय में हुई आदिवासियों से बैठक

लगातार भूखे प्यासे बैठे आदिवासी कलेक्टर से ही मिलने की मांग कर रहे थे इसी बात की मांग को लेकरदोपहर 1:00 बजे से जारी प्रदर्शन रात 9:00 बजे तक जारी रहा इस दौरान प्रशासन के अधिकारी आदिवासियों को मनाने पहुंचे लेकिन आदिवासी कलेक्टर से मिलकर बांध निर्माण को रोकने की मांग कर रहे थे रात 9:00 बजे कलेक्टर कार्यालय पहुंच आदिवासियों से मुलाकात की और आदिवासियों ने मीटिंग हॉल पहुंचे कर समस्या जानी अपनी मांग पर कलेक्टर द्वारा निश्चित तारीख पर गांव में पहुंचकर इस मुद्दे पर बात करने की बात कही ।



Conclusion:प्रशासन को नहीं थी इतने बड़े प्रोजेक्ट की जानकारी

नर्मदा विकास नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण द्वारा बांध की स्वीकृति जारी कर दी गई थी लेकिन इसकी जानकारी जिला प्रशासन को नहीं थी और जिला प्रशासन द्वारा आदिवासियों से इस बारे में जानकारी नहीं होने की बात कहकर प्रदर्शन समाप्त करने की बात कह रहे थे लेकिन आदिवासी अपनी बात पर अडे रहकर प्रदर्शन करते रहे । दोपहर से जारी प्रदर्शन देर रात को समाप्त हुआ

बाइट शमारूख धारा , समाजिक कार्यकर्ता

बाइट
Last Updated : Dec 18, 2019, 7:38 AM IST
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