नर्मदापुरम। करीब 15 दिनों से भोपाल के मैनिट कॉलेज कैंपस में देखे जाने वाले बाघ का रेस्क्यू कर लिया गया है, मिली जानकारी के अनुसार आज 16 अक्टूबर की रात में भोपाल के मैनिट संस्था में जो टाइगर घूम रहा था. जिसे पकड़ने के बाद पिजरें में रखा गया, और डॉक्टर के परीक्षण के बाद सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के चूरना रेंज के जंगलों में छोड़ दिया गया. बाघ को लेने सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर संदीप फेलोज़ के विशेष दल के साथ टाइगर को नर्मदापुरम के एसटीआर क्षेत्र में लाया गया. आइए जानते हैं बाघों के लिए कितना महतपूर्ण है सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, जिस कारण से रेस्क्यू किए बाघ को इस रिजर्व क्षेत्र में छोड़ा गया.(Tiger rescued from MANIT)
आसानी से नहीं बढ़े बाघ: बाघों को लेकर लगातार रिजर्व में बाघों की सुरक्षा के लिए काम किया जा रहा है, इतनी आसानी से बाघों की संख्या नहीं बढ़ी है. इसके लिए पिछले लंबे समय से उनके रहवास भोजन आदि प्रबंधन पर काम हुआ है, जिसकी बदौलत अब बाघों की संख्या बढ़ रही है.(Satpura Tiger Reserve Narmadapuram)
बाघों का कुनबा बढ़ने की ऐसी है कहानी: सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के करीब 2150 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पिछले एक दशक के दौरान 50 से अधिक वन्य ग्रामों को खाली कराया गया। वहां रहने वाले लोगों को दूसरे स्थानों पर विस्थापित किया गया। इसके बाद यहां मैदान विकसित किए गए। 11 हजार हेक्टेयर भूमि को बाघों के रहवास के लिए बनाया गया। 85 प्रकार की घास लगाकर शाकाहारी वन्य प्राणियों के पोष्टिक भोजन की व्यवस्था की गई। पेंच टाइगर रिजर्व से 1600 चीतल सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में छोड़े गए। इसके अलावा सुरक्षा सहित अन्य व्यवस्थाएं की गई। जिसके कारण विस्थापित गांव के मैदानों में शाकाहारी के साथ मांसाहारी की संख्या बढ़ी है.
ड्रोन कैमरे से निगरानी: टाइगर रिजर्व क्षेत्र में 170 पेट्रोलिंग कैंप, वाहन गस्त, पानी में वोट से गस्त, की जाती है, वहीं ड्रोन केमरे के माध्यम से भी सुरक्षात्मक दृष्टि से नजर रखी जाती है. इन और टाइगर रिजर्व क्षेत्र में नजर रखी जाती है.
एसटीआर क्षेत्र की विशिष्टता: सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में बाघ, तेंदुआ के अतिरिक्त मालाबार, जायंट स्क्विरल, यूरेशियन ऑटर, स्मूथ कोटेड ऑटर, उड़नगिलहरी, पेंगोलिन एवं गद्धरीछ (रैटल) आदि स्तनधारी जीव भी पाये जाते है. इसके अतिरिक्त यहां जंगली मुर्गे की दोनों प्रजातियां रेड एवं ग्रे पाई जाती है, यहां वनस्पतियों की कुछ अत्यंत दुर्लभ प्रजातियां लायकोपोडियम, सायलोटम, सायथिया, असमुण्डा, बोट्रीकियम, ओफियोग्लोजम आदि पायी जाती है.
वनस्पतियों एवं वन्य जीव: यह संरक्षित क्षेत्र अनेक प्रकार की जीव प्रजातियाँ संजोये हुए हैं. यहां 1300 से अधिक वनस्पति प्रजातियां पाई जाती है, जिनमें 30 थैलोफाइटस्, 83 ब्रायोफाइटस् तथा 138 टेरिडोफाइटस् प्रजातियाँ महत्वपूर्ण हैं. प्राणियों में बाघ के अतिरिक्त अन्य महत्वपूर्ण प्रजातियां तेंदुआ, जंगली कुत्ता, पैगोलिन, भालू, गौर, अजगर, उड़न गिलहरी, मालाबारी बड़ी गिलहरी एवं मगरमच्छ है, यहां 300 से अधिक पक्षी प्रजातियां, 44 स्तनपायी, 31 सरीसृप एवं 500 से अधिक कीट प्रजातियाँ पाई जाती हैं.