ETV Bharat / state

प्रकृति की मार झेल रहे हैं तरबूज किसान, उपभोक्ताओं की जेब पर भी पड़ रहा है असर

होशंगाबाद की मंडी में सीजन में 100 से डेढ़ सौ गाड़ियां तरबूज की आती थीं, अब वो महज 80 गाड़ियों तक सीमित रह गई हैं. थोक मंडी में 1 से 3 रुपये प्रति किलो बिकने वाला तरबूज अब 5 से 10 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. जबकि फुटकर मंडी में लोगों को 15 से 20 रुपये प्रति किलो तरबूज खरीदना पड़ रहा है. जिसका उपभोक्ताओं की जेब पर सीधा असर पड़ रहा है.

किसानों को हुआ नुकसान
author img

By

Published : May 9, 2019, 3:48 PM IST

होशंगाबाद: तरबूज की फसल लगाने वाले किसान आजकल प्रकृति की मार झेल रहे हैं. नर्मदा के कैचमेंट में बारिश कम होने के चलते तवा डैम नहीं भरा पाया है. जिसका सीधा असर तरबूज की फसल पर पड़ रहा है. कम उत्पादन होने से तरबूज के दाम कई गुना बढ़ गए हैं.

किसानों को हुआ नुकसान

होशंगाबाद की मंडी में सीजन में 100 से डेढ़ सौ गाड़ियां तरबूज की आती थीं, अब वो महज 80 गाड़ियों तक सीमित रह गई हैं. थोक मंडी में 1 से 3 रुपये प्रति किलो बिकने वाला तरबूज अब 5 से 10 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. जबकि फुटकर मंडी में लोगों को 15 से 20 रुपये प्रति किलो तरबूज खरीदना पड़ रहा है. जिसका उपभोक्ताओं की जेब पर सीधा असर पड़ रहा है.

तरबूज का कम उत्पादन होने की मार किसानों को भी झेलना पड़ रहा है. कम उत्पादन होने से हर बार की तरह तरबूज की मंडी घाटे का सौदा बन गई है. तीसरी बार अत्यधिक सूखा पड़ने के कारण तरबूज की खेती बड़ी तादाद में प्रभावित हुई थी. जिसके चलते किसान तरबूज की खेती करने में रुचि नहीं लेते हुए कम ही क्षेत्र में उत्पादन किया है. किसानों का कहना है कि तरबूज की खेती में लागत अधिक लग रही है, लेकिन इतना मुनाफा नहीं हो पा रहा है.

होशंगाबाद: तरबूज की फसल लगाने वाले किसान आजकल प्रकृति की मार झेल रहे हैं. नर्मदा के कैचमेंट में बारिश कम होने के चलते तवा डैम नहीं भरा पाया है. जिसका सीधा असर तरबूज की फसल पर पड़ रहा है. कम उत्पादन होने से तरबूज के दाम कई गुना बढ़ गए हैं.

किसानों को हुआ नुकसान

होशंगाबाद की मंडी में सीजन में 100 से डेढ़ सौ गाड़ियां तरबूज की आती थीं, अब वो महज 80 गाड़ियों तक सीमित रह गई हैं. थोक मंडी में 1 से 3 रुपये प्रति किलो बिकने वाला तरबूज अब 5 से 10 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. जबकि फुटकर मंडी में लोगों को 15 से 20 रुपये प्रति किलो तरबूज खरीदना पड़ रहा है. जिसका उपभोक्ताओं की जेब पर सीधा असर पड़ रहा है.

तरबूज का कम उत्पादन होने की मार किसानों को भी झेलना पड़ रहा है. कम उत्पादन होने से हर बार की तरह तरबूज की मंडी घाटे का सौदा बन गई है. तीसरी बार अत्यधिक सूखा पड़ने के कारण तरबूज की खेती बड़ी तादाद में प्रभावित हुई थी. जिसके चलते किसान तरबूज की खेती करने में रुचि नहीं लेते हुए कम ही क्षेत्र में उत्पादन किया है. किसानों का कहना है कि तरबूज की खेती में लागत अधिक लग रही है, लेकिन इतना मुनाफा नहीं हो पा रहा है.

Intro:होशंगाबाद। तरबूज की फसल लगाने वाले किसान आजकल प्रकति की मार झेल रहे है । नर्मदा के केचमेंट मे बारिश कम होने के चलते तवा डेम नही भरा पाया है जिसका सीधा सा असर तरबूज की फसल पर पड़ रहा है । कम उत्पादन होने से तरबूज के दाम कई गुना बढ़ गए हैं


Body: होशंगाबाद की मंडी में सीजन में जो कि 100 से डेढ़ सौ गाड़ियां तरबूज की आती थी वह मात्र सत्ता से 80 गाड़ियां ही मंडी में आ रही है वही जो थोक मंडी में तरबूज 1 से 3 किलो बिकता था जो अब थोक मे 5 से ₹10 किलो बिक रहा है वहीं आम उपभोक्ता तक पहुंचते-पहुंचते 15 से ₹20 हो जा रहा है जिसका सीधा सा उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ रहा है वहीं किसानों की भी कम उत्पादन होने के चलते इस बार हर बार की तरह तरबूज की मंडी घाटे का सौदा बन गई है तीसरी बार अत्यधिक सूखा पड़ने के कारण तरबूज की खेती बड़ी तादात में प्रभावित हुई थी जिसके चलते किसानों ने तरबूज की खेती करने में रुचि नहीं लेते हुए कम ही क्षेत्र मे उत्पादन किया है किसानों का कहना है कि तरबूज की खेती में लागत अधिक लग रही है लेकिन इतना मुनाफा नहीं हो पा रहा है जिसके चलते वह इसे करने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। ।

बाइट - थोक तरबूज व्यापारी


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.