ETV Bharat / state

Teachers's Day: एक शिक्षक जिनके पास है बच्चों को पढ़ाने का अनोखा तरीका, NCERT छापता है इनके आइडिया पर किताबें - mukesh malviya hosangabad

होशंगाबाद के एक ऐसे शिक्षक हैं जो 26 सालों से विशेष, वंचित और ट्राइबल क्षेत्र के बच्चों को शिक्षत कर रहे हैं. इन्हें 20 साल पहले राज्य स्तरीय पुरस्कार मिल चुका है. ये शिक्षक NCERT के लिए किताबों के लिए सामग्री भी तैयार करते

एक शिक्षक जिनके पास है बच्चों को पढ़ाने का अनोखा तरीका
एक शिक्षक जिनके पास है बच्चों को पढ़ाने का अनोखा तरीका
author img

By

Published : Sep 4, 2021, 8:41 PM IST

होशंगाबाद। एक शिक्षक (Teacher) 26 सालों से विशेष, वंचित और ट्राइबल क्षेत्र के बच्चों को शिक्षा देने का काम कर रहे हैं, बच्चों को शिक्षा देने का उनके इस जुनून के कारण सन 2001 में ही उन्हें राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार (State Level Teacher Award) प्राप्त हो चुका है. उन्हे शिक्षा के क्षेत्र में सैकड़ों पुरस्कार मिले हैं और अब ये शिक्षक राष्ट्रपति पुरस्कार (President's Award) की दौड़ में शामिल है. ये हैं होशंगाबाद के शासकीय ज्ञानोदय विशेष आवाशिय विद्यालय में पदस्थ शिक्षक (Mukesh Malviya) मुकेश मालवीय.

20 साल पहले मिल चुका है राज्यस्तरीय शिक्षक सम्मान

बच्चों को शिक्षा देने के लिए इजाद की नई तकनीक

मुकेश मालवीय (Mukesh Malviya) ने बच्चों को शिक्षा देने के लिए नई तकनीक इजाद की है. बच्चों को सुनकर, समझकर इन्होंने बच्चों को पढ़ाने का नया तरीका निकाला है. इनपर साल 2006 में एक डॉक्यूमेंट्री (documentary) फिल्म भी बन चुकी है, जिसका नाम है 'ए टीचर जर्नी' (A Teacher's Journey) है. जिसे जापान के NHK अवॉर्ड में 140 देशों में से बेस्ट पुरस्कार प्राप्त हुआ था. 2019 में 'बड़ा कौन' पुस्तक के लिए देश के सबसे बड़े संस्थान फिक्की का अवॉर्ड भी इन्हें प्राप्त हुआ है. मुकेश मालवीय इस साल भी राज्य स्तरीय पुरस्कार के लिए चयनित किए गए थे, हालांकि उन्होंने विभाग को सूचित किया कि उन्हें पहले पुरस्कार प्राप्त हो चुका है, इसलिए उनका नाम लिस्ट से हटा लिया गया.

NCERT छापता है इनके आइडिया पर किताबें

26 सालों से शिक्षण कार्य कर रहे हैं मुकेश मालवीय

मुकेश बताते हैं कि पिछले 26 सालों से वो शिक्षण कार्य कर रहे हैं, इसमें से 21 सालों तक उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र में रहकर बच्चों को शिक्षा दी है. पिछले 5 सालों से वे संभा स्तरीय शालाओं में पढ़ाने का काम कर रहे हैं. मुकेश बताते हैं कि दुनिया में बच्चों को पढ़ाने के लिए नए नए तरीकों का इस्तेमाल होता है. उन्होंने अपने तरीके बनाए और उन तरीकों को लिखना शुरू किया. 1998 में NCERT ने उनके लेखों के आधार पर नेशनल इनोवेटिव अवॉर्ड से सम्मानित किया था. मनोज बताते हैं कि वे बच्चों से आइडिया लेते हैं कि वे कैसे पढ़ना चाहते हैं, फिर वे उसी हिसाब से बच्चों को पढ़ाते हैं.

Mahakaleshwar Temple: बाबा महाकाल के दर्शन के लिए VVIP भक्तों को देना होगा 100 रुपए का दान

NCERT की 40 किताबों में है भागीदारी

अपने पढ़ाने के तरीके के बारे में मुकेश मालवीय बताते हैं कि "बच्चों के पास बताने के लिए बहुत सारी चीजें होती है, बच्चों से संवाद की प्रक्रिया मेरे द्वारा बनाई गई, बच्चों के साथ संवाद प्रक्रिया में मेरी करीब 16 कहानियां है बुकों से प्रकाशित हुई है. साथ ही एनसीईआरटी की बरखा सीरीज (Barkha Series) में 40 किताबों में मेरी भागीदारी रही है. जिसमें बच्चों को बिना अल्फाबेट सिखाएं सीधे पढ़ने के लिए ले जाते है, बच्चे सीधे पढ़ना कैसे सीख सकते हैं, बिना अनार, आम जाने वह सीधे कैसे पढ़ सकते हैं, यदि बच्चों के पास किताब ना हो और वह चित्रों के माध्यम से संवाद कराते हैं, वह 'बरखा' सीरीज देश के लिए एक सबसे ज्यादा बिकने वाली किताब रही है, हर राज्य में यह बहुत बिकी"

एक शिक्षक जिनके पास है बच्चों को पढ़ाने का अनोखा तरीका

राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए किया नॉमिनेशन

शिक्षक मुकेश मालवीय ने बताया कि उन्होंने राष्ट्रपति अवॉर्ड के लिए नामिनेशन भेजा था, इसी पोर्टल पर राज्य स्तरीय अवॉर्ड के लिए भी रजिस्ट्रेशन होते हैं, इसलिए उनका नाम राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार की सूची में आ गया था. सूची में नाम आने पर उन्होंने शिक्षा विभाग को इसकी सूचना दे दी थी कि उन्हें 20 साल पहले राज्य स्तरीय अवॉर्ड मिल चुका है, इसके बाद उनका नाम हटा लिया गया.

होशंगाबाद। एक शिक्षक (Teacher) 26 सालों से विशेष, वंचित और ट्राइबल क्षेत्र के बच्चों को शिक्षा देने का काम कर रहे हैं, बच्चों को शिक्षा देने का उनके इस जुनून के कारण सन 2001 में ही उन्हें राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार (State Level Teacher Award) प्राप्त हो चुका है. उन्हे शिक्षा के क्षेत्र में सैकड़ों पुरस्कार मिले हैं और अब ये शिक्षक राष्ट्रपति पुरस्कार (President's Award) की दौड़ में शामिल है. ये हैं होशंगाबाद के शासकीय ज्ञानोदय विशेष आवाशिय विद्यालय में पदस्थ शिक्षक (Mukesh Malviya) मुकेश मालवीय.

20 साल पहले मिल चुका है राज्यस्तरीय शिक्षक सम्मान

बच्चों को शिक्षा देने के लिए इजाद की नई तकनीक

मुकेश मालवीय (Mukesh Malviya) ने बच्चों को शिक्षा देने के लिए नई तकनीक इजाद की है. बच्चों को सुनकर, समझकर इन्होंने बच्चों को पढ़ाने का नया तरीका निकाला है. इनपर साल 2006 में एक डॉक्यूमेंट्री (documentary) फिल्म भी बन चुकी है, जिसका नाम है 'ए टीचर जर्नी' (A Teacher's Journey) है. जिसे जापान के NHK अवॉर्ड में 140 देशों में से बेस्ट पुरस्कार प्राप्त हुआ था. 2019 में 'बड़ा कौन' पुस्तक के लिए देश के सबसे बड़े संस्थान फिक्की का अवॉर्ड भी इन्हें प्राप्त हुआ है. मुकेश मालवीय इस साल भी राज्य स्तरीय पुरस्कार के लिए चयनित किए गए थे, हालांकि उन्होंने विभाग को सूचित किया कि उन्हें पहले पुरस्कार प्राप्त हो चुका है, इसलिए उनका नाम लिस्ट से हटा लिया गया.

NCERT छापता है इनके आइडिया पर किताबें

26 सालों से शिक्षण कार्य कर रहे हैं मुकेश मालवीय

मुकेश बताते हैं कि पिछले 26 सालों से वो शिक्षण कार्य कर रहे हैं, इसमें से 21 सालों तक उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र में रहकर बच्चों को शिक्षा दी है. पिछले 5 सालों से वे संभा स्तरीय शालाओं में पढ़ाने का काम कर रहे हैं. मुकेश बताते हैं कि दुनिया में बच्चों को पढ़ाने के लिए नए नए तरीकों का इस्तेमाल होता है. उन्होंने अपने तरीके बनाए और उन तरीकों को लिखना शुरू किया. 1998 में NCERT ने उनके लेखों के आधार पर नेशनल इनोवेटिव अवॉर्ड से सम्मानित किया था. मनोज बताते हैं कि वे बच्चों से आइडिया लेते हैं कि वे कैसे पढ़ना चाहते हैं, फिर वे उसी हिसाब से बच्चों को पढ़ाते हैं.

Mahakaleshwar Temple: बाबा महाकाल के दर्शन के लिए VVIP भक्तों को देना होगा 100 रुपए का दान

NCERT की 40 किताबों में है भागीदारी

अपने पढ़ाने के तरीके के बारे में मुकेश मालवीय बताते हैं कि "बच्चों के पास बताने के लिए बहुत सारी चीजें होती है, बच्चों से संवाद की प्रक्रिया मेरे द्वारा बनाई गई, बच्चों के साथ संवाद प्रक्रिया में मेरी करीब 16 कहानियां है बुकों से प्रकाशित हुई है. साथ ही एनसीईआरटी की बरखा सीरीज (Barkha Series) में 40 किताबों में मेरी भागीदारी रही है. जिसमें बच्चों को बिना अल्फाबेट सिखाएं सीधे पढ़ने के लिए ले जाते है, बच्चे सीधे पढ़ना कैसे सीख सकते हैं, बिना अनार, आम जाने वह सीधे कैसे पढ़ सकते हैं, यदि बच्चों के पास किताब ना हो और वह चित्रों के माध्यम से संवाद कराते हैं, वह 'बरखा' सीरीज देश के लिए एक सबसे ज्यादा बिकने वाली किताब रही है, हर राज्य में यह बहुत बिकी"

एक शिक्षक जिनके पास है बच्चों को पढ़ाने का अनोखा तरीका

राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए किया नॉमिनेशन

शिक्षक मुकेश मालवीय ने बताया कि उन्होंने राष्ट्रपति अवॉर्ड के लिए नामिनेशन भेजा था, इसी पोर्टल पर राज्य स्तरीय अवॉर्ड के लिए भी रजिस्ट्रेशन होते हैं, इसलिए उनका नाम राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार की सूची में आ गया था. सूची में नाम आने पर उन्होंने शिक्षा विभाग को इसकी सूचना दे दी थी कि उन्हें 20 साल पहले राज्य स्तरीय अवॉर्ड मिल चुका है, इसके बाद उनका नाम हटा लिया गया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.