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बेटी संभालेगी शरद यादव की विरासत! जानिए कौन हैं सुभाषिनी यादव - कौन हैं सुभाषिनी यादव

जेडीयू एवं पूर्व केंद्रीय स्वर्गीय शरद यादव की बेटी सुभाषिनी एवं बेटा शांतनु नर्मदापुरम के माखन नगर के ग्राम आंख मऊ में उनकी अंत्येष्टि में शामिल हुईं. पंचतत्व में विलीन हुए शरद यादव को बेटी सुभाषिनी और शांतनु ने मुखाग्नि दी. वहीं कई मुद्दों को लेकर शरद यादव की बेटी सुभाषिनी ने मीडिया से चर्चा के दौरान कई बातें कहीं. बताया कि यह हमारे लिए बहुत दुखद समय है, वह सिर्फ हमारे पिता नहीं थे, वह ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने हजारों बेजुबानों को आवाज दी, उन्होंने पिछड़े और दलित वर्गों से संबंधित मुद्दों को उठाया.

Sharad Yadav daughter subhashini yadav
शरद यादव की बेटी सुभाषिनी
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Published : Jan 15, 2023, 6:55 AM IST

Updated : Jan 15, 2023, 7:48 AM IST

शरद यादव की बेटी सुभाषिनी यादव

नर्मदापुरम। शरद यादव की बेटी सुभाषिनी ने अपने पिता के बारे में बताया कि ''बहुत ही बड़ा शोक का दिन रहा है. देश ने एक ऐसा नेता खोया है, जो हमेशा दूसरों के बारे में सोचता था, उन्होंने लोगों के लिए काम किया, गरीब, दलित समाज जो अंतिम पायदान के लोग थे हमेशा उनके लिए खड़े रहे. अपने परिवार को भी उन्होंने कभी महत्व नहीं दिया, तभी आप देखेंगे जब तक वह सक्रिय राजनीति में थे तो परिवार का कोई भी सदस्य राजनीति में नहीं था, ना ही राजनीति करने की ऐसी अपेक्षा की. मैं यह देखती हूं कि सिर्फ राजनीतिक तौर पर नहीं एक इंसान की विरासत बढ़ाने की बात है, मैं सोचती हूं पिताजी की दी हुई विरासत को उनके बच्चे ही नहीं बल्कि उनके सारे चाहने वाले आगे बढ़ा कर चले, जिससे उनका नाम जिंदा रहे''.

देश के लिए समर्पित रहे पापा: सुभाषिनी ने आगे कहा ''उनका (शरद यादव) संघर्ष जो उन्होंने कमाया है, अच्छी नियत, सच्चाई, प्रेम सद्भाव वही हमारी कमाई है. उसी की प्रेरणा लेकर हम भी आगे बढ़ रहे हैं, उनकी शुरू से दो इच्छाएं थी कि मुझे अपने गांव ले जाएं. अपने 50 साल के राजनीतिक जीवन में जो उनका देश के लिए और लोगों के लिए समर्पण रहा, वह अपना घर भी नहीं बना पाए, उनका घर यहीं है, या मधेपुरा में है जहां उनकी कर्म भूमि है. वह हमेशा अपनी जन्मभूमि और कर्मभूमि बैलेंस करके चलें है. उनकी दूसरी इच्छा थी मेरे बेटा और बेटी दोनों मुझे मुखाग्नि दें, क्योंकि वह समाज में यह मैसेज देना चाहते थे कि लड़का और लड़की बराबर हैं तो हमने उनकी दोनों इच्छाएं पूरी की हैं. मैं यह देखती हूं कि आने वाले समय में जितने भी देश के चाहने वाले लोग हैं, जो उन्होंने काम किया है तो उन्हें सराहेंगे और उसे अच्छी तरह से याद करेंगे''.

राजकीय सम्मान के साथ पंच तत्व में विलीन हुए जननेता शरद यादव, बेटे-बेटी ने दी मुखाग्नि

हर एक चाहने वाला विरासत को बढ़ाएगा आगे: वहीं चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि ''मकान यहां पर है और मधेपुरा में भी है पर कभी उन्होंने अपना आशियाना नहीं बनाया, उन्होंने दूसरों के लिए सोचा जहां उनकी जगह थी वहां पर आए हैं, मधेपुरा में भी हम जाएंगे''. शरद यादव के किसी सपने को लेकर उन्होंने बताया कि मैं भारत जोड़ो यात्रा में थी, राहुल गांधी जब सुबह मिलने आए तो उन्होंने भी यह बात कही की कल तो तुम मेरे साथ थी, यह पीछे से ऐसा हुआ क्या, मैं जब घर में पहुंची और मुझे फोन आ गया, बताया गया की पिता की तबीयत ठीक नहीं है, अस्पताल जाना पड़ेगा और रास्ते में ही उनके निधन की खबर पता चली. आने वाले समय में उनकी विरासत संभालने को लेकर सुभाषिनी ने कहा कि मैं ही नहीं, वह एक-एक आदमी जो शरद यादव में विश्वास रखता है, उनकी विरासत संभालेगा. मैं हूं मेरा भाई है हम लोग उनके साथ खड़े हुए हैं, उनका एक-एक चाहने वाला उनकी विरासत संभालेगा.

आंखमऊ में लगाई विकास की झड़ी: शरद यादव के ग्रह ग्राम आंखमऊ में किए काम को लेकर उन्होंने बताया ''शरद यादव ने गांव में सैकड़ों विकास कार्य किए हैं. जैसे सड़क बनाना, बिजली कनेक्शन देना. गांव के लोग कहते थे, बिजली नहीं है, सड़क नहीं है. मेन रोड बाबई से काकड़ी तक रास्ता शरद यादव ने बनवाया था, ताकि यहां के लोगों को सुविधा रहे. वह जहां भी रहे हैं जबलपुर, बदायूं, होशंगाबाद आंखमऊ, और मधेपुरा के हर जिले में उन्होंने काम कराया है. जबलपुर के रुख के प्रश्न पर सुभाषिनी ने कहा कि पॉलिटिकल का ऐसा कोई इरादा नहीं है, हमारी कर्मभूमि जो रही है पिताजी की मधेपुरा में रही है. वहां से मेरा भाई तैयारी कर रहा है. हमारा रुख इस तरफ नहीं है, आज का दिन राजनीति की बात करने का नहीं है''.

पेंशन की राशि करेंगे दान: सुभाषिनी ने कहा कि ''यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शरद यादव के निधन पर शोक सभा की थी, जिसके सैंकड़ों लोग शामिल हुए. उनके चाहने वाले सभी जगह थे''. वहीं मीसा के आंदोलन के समय पेंशन लेने की बात को लेकर सुभाषिनी ने बताया कि उन्होंने कभी विचार नहीं किया, अब मैं सोचती हूं कि उनके जाने के बाद जो पेंशन की राशि मिली उस राशि को इकट्ठा करके दान ही कर देंगे.

शरद यादव की बेटी सुभाषिनी यादव

नर्मदापुरम। शरद यादव की बेटी सुभाषिनी ने अपने पिता के बारे में बताया कि ''बहुत ही बड़ा शोक का दिन रहा है. देश ने एक ऐसा नेता खोया है, जो हमेशा दूसरों के बारे में सोचता था, उन्होंने लोगों के लिए काम किया, गरीब, दलित समाज जो अंतिम पायदान के लोग थे हमेशा उनके लिए खड़े रहे. अपने परिवार को भी उन्होंने कभी महत्व नहीं दिया, तभी आप देखेंगे जब तक वह सक्रिय राजनीति में थे तो परिवार का कोई भी सदस्य राजनीति में नहीं था, ना ही राजनीति करने की ऐसी अपेक्षा की. मैं यह देखती हूं कि सिर्फ राजनीतिक तौर पर नहीं एक इंसान की विरासत बढ़ाने की बात है, मैं सोचती हूं पिताजी की दी हुई विरासत को उनके बच्चे ही नहीं बल्कि उनके सारे चाहने वाले आगे बढ़ा कर चले, जिससे उनका नाम जिंदा रहे''.

देश के लिए समर्पित रहे पापा: सुभाषिनी ने आगे कहा ''उनका (शरद यादव) संघर्ष जो उन्होंने कमाया है, अच्छी नियत, सच्चाई, प्रेम सद्भाव वही हमारी कमाई है. उसी की प्रेरणा लेकर हम भी आगे बढ़ रहे हैं, उनकी शुरू से दो इच्छाएं थी कि मुझे अपने गांव ले जाएं. अपने 50 साल के राजनीतिक जीवन में जो उनका देश के लिए और लोगों के लिए समर्पण रहा, वह अपना घर भी नहीं बना पाए, उनका घर यहीं है, या मधेपुरा में है जहां उनकी कर्म भूमि है. वह हमेशा अपनी जन्मभूमि और कर्मभूमि बैलेंस करके चलें है. उनकी दूसरी इच्छा थी मेरे बेटा और बेटी दोनों मुझे मुखाग्नि दें, क्योंकि वह समाज में यह मैसेज देना चाहते थे कि लड़का और लड़की बराबर हैं तो हमने उनकी दोनों इच्छाएं पूरी की हैं. मैं यह देखती हूं कि आने वाले समय में जितने भी देश के चाहने वाले लोग हैं, जो उन्होंने काम किया है तो उन्हें सराहेंगे और उसे अच्छी तरह से याद करेंगे''.

राजकीय सम्मान के साथ पंच तत्व में विलीन हुए जननेता शरद यादव, बेटे-बेटी ने दी मुखाग्नि

हर एक चाहने वाला विरासत को बढ़ाएगा आगे: वहीं चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि ''मकान यहां पर है और मधेपुरा में भी है पर कभी उन्होंने अपना आशियाना नहीं बनाया, उन्होंने दूसरों के लिए सोचा जहां उनकी जगह थी वहां पर आए हैं, मधेपुरा में भी हम जाएंगे''. शरद यादव के किसी सपने को लेकर उन्होंने बताया कि मैं भारत जोड़ो यात्रा में थी, राहुल गांधी जब सुबह मिलने आए तो उन्होंने भी यह बात कही की कल तो तुम मेरे साथ थी, यह पीछे से ऐसा हुआ क्या, मैं जब घर में पहुंची और मुझे फोन आ गया, बताया गया की पिता की तबीयत ठीक नहीं है, अस्पताल जाना पड़ेगा और रास्ते में ही उनके निधन की खबर पता चली. आने वाले समय में उनकी विरासत संभालने को लेकर सुभाषिनी ने कहा कि मैं ही नहीं, वह एक-एक आदमी जो शरद यादव में विश्वास रखता है, उनकी विरासत संभालेगा. मैं हूं मेरा भाई है हम लोग उनके साथ खड़े हुए हैं, उनका एक-एक चाहने वाला उनकी विरासत संभालेगा.

आंखमऊ में लगाई विकास की झड़ी: शरद यादव के ग्रह ग्राम आंखमऊ में किए काम को लेकर उन्होंने बताया ''शरद यादव ने गांव में सैकड़ों विकास कार्य किए हैं. जैसे सड़क बनाना, बिजली कनेक्शन देना. गांव के लोग कहते थे, बिजली नहीं है, सड़क नहीं है. मेन रोड बाबई से काकड़ी तक रास्ता शरद यादव ने बनवाया था, ताकि यहां के लोगों को सुविधा रहे. वह जहां भी रहे हैं जबलपुर, बदायूं, होशंगाबाद आंखमऊ, और मधेपुरा के हर जिले में उन्होंने काम कराया है. जबलपुर के रुख के प्रश्न पर सुभाषिनी ने कहा कि पॉलिटिकल का ऐसा कोई इरादा नहीं है, हमारी कर्मभूमि जो रही है पिताजी की मधेपुरा में रही है. वहां से मेरा भाई तैयारी कर रहा है. हमारा रुख इस तरफ नहीं है, आज का दिन राजनीति की बात करने का नहीं है''.

पेंशन की राशि करेंगे दान: सुभाषिनी ने कहा कि ''यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शरद यादव के निधन पर शोक सभा की थी, जिसके सैंकड़ों लोग शामिल हुए. उनके चाहने वाले सभी जगह थे''. वहीं मीसा के आंदोलन के समय पेंशन लेने की बात को लेकर सुभाषिनी ने बताया कि उन्होंने कभी विचार नहीं किया, अब मैं सोचती हूं कि उनके जाने के बाद जो पेंशन की राशि मिली उस राशि को इकट्ठा करके दान ही कर देंगे.

Last Updated : Jan 15, 2023, 7:48 AM IST
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