नर्मदापुरम। विज्ञान यात्रा के तहत 37 साल पर विज्ञान-37 के तहत विज्ञान शिक्षक राजेश पाराशर ने जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया. गुरु के साथ चंद्रमा को टेलिस्कोप की मदद से दर्शकों ने देखा तो वाह गुरु कहे बिना नहीं रहे. एक्सीलेंस स्कूल केसला के विज्ञान शिक्षक राजेश पाराशर अपनी विज्ञान यात्रा के 37 साल होने पर विज्ञान-37 के अंतर्गत रविवार शाम फ्रेंड्स स्कूल प्रांगण में उपस्थित हुए. यहां पर 5 विशाल टेलिस्कोप की मदद से खगोलीय पिंडों का आकाश दर्शन कराया गया.
शहरवासी भी दिखे उत्सुक : सैकड़ों विद्यार्थियों के साथ आम लोगों ने गुरु, शनि और चंद्रमा को टेलिस्कोप की मदद से देखा. राजेश पाराशर ने बताया कि आज तक की खोज के अनुसार बृहस्पति के चंद्रमा हैं. यह हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है. इसके अलावा सेटर्न के चंद्रमा है. रिंग के कारण इसकी अलग ही पहचान है. टेलिस्कोप की मदद से रिंग को आसानी से देखा. मुम्बई से टेक्नोवीजन से आमंत्रित खगोल विज्ञान के रिसोर्स पर्सन शैलेष संसारे, प्रशांत एवं मंगेश ने आम लोगों को खगोल विज्ञान की जानकारी दी.
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शिक्षक राजेश पाराशर ने दी जानकारी : शिक्षक राजेश पाराशर ने बताया कि आज जुपिटर पृथ्वी से लगभग 59 करोड़ 60 लाख किमी दूर है. पृथ्वी के पास होने से इसे इस समय बड़ा एवं चमकदार देखा जा सकता है. यह इसके अवलोकन का अच्छा समय है. शनि पृथ्वी से 138 करोड़ किमी दूर है तथा शाम के आकाश में लगभग सिर के ऊपर दिखाई दे रहा है. वर्तमान में सौरमंडल के 8 ग्रहों के 290 चंद्रमा की खोज की जा चुकी है. जिनमें शनि के 146 मून तथा जुपिटर के 95 मून खोजे जा चुके हैं.