नर्मदापुरम। नर्मदा नदी और तवा नदी के संगम स्थल पर स्नान करने का विशेष महत्व है. कार्तिक पूर्णिमा पर यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. बंद्राभान में इस वर्ष 25 से 28 नवंबर तक इस वर्ष मेले का आयोजन है. मेले में आज मुख्य स्नान करने का बहुत महत्व है. मेले में इस साल भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्नान करने और मोक्ष की कामना लिए संगम स्थल पर पहुंचे. वहीं जिला प्रशासन की और से भी चार दिन से व्यवस्थाएं पर्याप्त की गईं. देर रात से हुई बारिश के बाद भी श्रद्धालुओं में स्नान करने का उत्साह कम नहीं हुआ.
बांद्राभान मेले को लेकर कई मान्यताएं : बांद्राभान मेले को लेकर कई मान्यताएं हैं. मान्यता के अनुसार प्राचीन समय में एक राजा को श्राप मिला था कि वह बंदर की तरह दिखाई देगा. श्राप के बाद से ही राजा का रूप वानर जैसा हो गया था. इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए राजा नर्मदा और तवा नदी के संगम पर आया और उसने तपस्या की. मान्यता के अनुसार उसकी तपस्या के कारण उसे इस श्राप से मुक्ति मिली. तब जाकर उस राजा को मोक्ष की प्राप्ति हुई. तब से ही इस जगह को बांद्राभान कहा जाता है. मान्यतानुसार बांद्राभान का अर्थ है बंदर.
ये खबरें भी पढ़ें... |
यहां पांडवों ने किया निवास : प्राचीन समय में यहां पांडवों ने निवास किया था और उन्होंने यहां तपस्या की थी. ऐसे कई ऋषि-मुनि हुए, जिन्होंने इस संगम स्थल पर तपस्या करते हुए मोक्ष पाया. किंवदंती है कि संगम स्थल पर कई तपस्वियों ने मोक्ष के लिए तपस्या की थी. बांद्राभान मेले में तैनात होमगार्ड कमांडेंट अमृता दीक्षित ने बताया कि करीब 50 हजार श्रद्धालु यहां पर स्नान करने के लिए पहुंच चुके हैं. मौसम जैसे-जैसे साफ होता जा रहा है वैसे-वैसे श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ रही है. होमगार्ड के करीब 70 जवानों को यहां पर तैनात किया गया है.