नर्मदापुरम। बाघों की संख्या की बढ़ोतरी के साथ अब सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में इंडियन गौर (बायसन) की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. एसटीआर से पहली बार 16 इंडियन गौर (बायसन) को 4 दिनों में संजय गांधी टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किया है. वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया एवं सभी टाइगर रिजर्व से आए वेटनरी डॉक्टरों की विशेष टीम की निगरानी में इस प्रोजेक्ट को अंजाम दिया है. आम तौर पर अन्य वन्य जीवों को दूसरे रिजर्व एरिया में छोड़ना उतना कठिन नही है जितना बायसन को विस्थापित करना. क्योंकि एक बाघ को विस्थापित करने में 15 से 20 कर्मचारियों की टीम काम करती है. वहीं एक बायसन को शिफ्ट करने में 120 लोगों की टीम को काम करना पड़ा है.
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प्रोजेक्ट हुआ सफल: इस प्रोजेक्ट के लिए योजनाबद्ध तरीके से करीब 120 लोगों की टीम को पहले प्रशिक्षण दिया गया और बाद में शिफ्टिंग का काम किया गया. इतना ही नहीं हर टीम को अपना विशेष काम बांटा गया, जिसने एसटीआर से 16 बायसनों को संजय गांधी टाइगर रिजर्व में शिफ्ट कर दिया गया है. विशेष टीम ने ट्रेंकुलाइज किया, रेस्क्यू किया, तो वहीं समय रहते विशेष टीम ने घने जंगलों में अपने कंधों पर 500 किलो वजन के इन बायसनों को विशेष वाहन तक पहुंचाने का काम किया है. फिरविशेष निगरानी के तहत इन्हें दूसरे पार्क में शिफ्ट किया है.
रखना पड़ता है यह ध्यान: शिफ्टिंग के दौरान इस बात का ध्यान भी विशेष रूप से रखा जाता है कि सभी बायसन एक ही झुंड के हों. जंगल में इस झुंड को ढूंढना, निश्चित करना की किसे रखना है या नहीं. ट्रेंकुलाइज करना, निश्चित समय पर स्वास्थ्य परीक्षण करना, उसे समय रहते टीम द्वारा जंगली रास्तों से होकर विशेष वाहन तक पहुंचाना, जहां से इसे दूसरे रिजर्व पार्क में विशेष टीम द्वारा पहुंचाना सब शामिल होता है.
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पहली बार 16 इंडियन गौर को किया गया शिफ्ट: सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर एल कृष्णमूर्ति के अनुसार, "टाइगर रिजर्व में यह पहली बार हुआ है, कि यहां से वन्य प्राणियों को दूसरे पार्क के लिए शिफ्ट किया है. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से 16 इंडियन गौर (बायसन) को संजय टाइगर रिजर्व ट्रांसलोकेट किया गया है. एक योजनाबद्ध तरीके से यह कार्यक्रम हुआ है, विभिन्न स्तरों पर टीमों को पहले प्रशिक्षण दिया गया. प्रशिक्षण में सहयोग देने में वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का सहयोग रहा. टाइगर रिजर्व के डॉक्टर, कान्हा टाइगर रिजर्व की टीम भी इस दौरान मौजूद रही. इस शिफ्टिंग के काम में एसटीआर के कर्मचारी अधिकारी, डॉक्टर, स्टेट वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट टीम के डॉक्टर भी शामिल थे.
एसटीआर में 6 से 7 हजार बायसन होने का अनुमान: फील्ड डायरेक्टर एल. कृष्णमूर्ति ने बताया कि एसटीआर क्षेत्र में करीब 6 से 7 हजार बायसन होने का अनुमान है. जब हम लोग कैप्चर करते हैं तो हम इनमें यह देखते हैं कि सब एडल्ट को लेते हैं. हमने जो कैप्चर किया है जिसमें फीमेल का एवरेज उसके अनुसार वेट करीब 400 से लेकर 450 किलो था. इसी दौरान सबसे बड़ा मेल भी इसमें पकड़ा है. जिसका वजन 850 किलो था. हमारा प्रशिक्षण ज्यादा बेहतर तरीके से होने के कारण इस प्रोजेक्ट में कोई परेशानी नहीं हुई. कान्हा में वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के अधिकारियों ने भी यह कहा कि जो हम लोगों ने कैप्चर किया, वह बहुत स्मूथ रहा है. ऐसी कोई परेशानी नहीं हुई. सभी स्टाफ की मेहनत एवं प्रयास से यह प्रोजेक्ट सफल रहा.''