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Narmadapuram News: देश के दूसरे कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर ने तैयार की गाय-भैंस की सेकंड जनरेशन, गायों की 13 और भैंसों की 4 नस्ल मौजूद

केंद्र सरकार का दूसरा नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर इटारसी के कीरतपुर को शुरू हुए 5 साल हो गए हैं. यहां उन्नत नस्लों के सांडों की मदद से सामान्य मवेशियों के गर्भ से दुधारू प्रजाति की बछिया तैयार की जा रही है. जानें आखिर इस सेंटर ने अब क्या नया माइलस्टोन हासिल किया है.

Narmadapuram News
कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर कीरतपुर की उपलब्धि
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Published : Aug 1, 2023, 3:03 PM IST

देश के दूसरे कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर कीरतपुर की उपलब्धि

नर्मदापुरम। केंद्र सरकार की चंद साल पहले दुधारु पशुओं की नई और उन्नत ब्रीड तैयार करने के लिए देश में दो जगहों पर ब्रीडिंग सेंटर्स की शुरुआत की. आंध प्रदेश के कुन्नूर में पहला और दूसरा मध्य प्रदेश के इटारसी कीरतपुर में शुरू हुआ. यहां उन्नात नस्ल के सांडों की मदद से सामान्य मवेशियों के गर्भ से दुधारू प्रजाति की बछिया तैयार होंगी. 25 करोड़ की लागत से साल 2016 में यह प्रोजेक्ट मंजूर हुआ था. नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर के प्रबंधक डॉ. आस्तिक श्रीवास्तव ने बताया कि "5 साल बाद यहां पर मवेशियों की सेकेंड जनरेशन देखने को मिल रही है.

सेंटर में अभी 1,000 मवेशी हैं. भारतीय नस्लों की गाय एवं भैंसों का वैज्ञानिक तरीके से पालन पोषण कर जेनेटिक मेरिट विकसित की गई. कुल 13 गायों एवं 4 भैंसों की नस्ल यहां रखी गई है. देश में सीमन उत्पादन के लिए 51 सीमन स्टेशन हैं, जिनसे हर साल लगभग 8 करोड़ सीमन डोज तैयार होते हैं. हालांकि देश में 10 करोड़ डोज की मांग है. भविष्य में नस्लों की संख्या बढ़ाने के अलावा 15 करोड़ डोज का लक्ष्य है."

गायों की नस्लों को बचाने का काम करेगी ये संस्था: मध्य प्रदेश के पहले नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर पर अब गायों की नस्लों को बचाने का काम किया जाएगा. दरअसल विलुप्त होती गायों की सेरोगेसी के माध्यम से नई नस्लों को पैदा किया जा रहा है. गाय एवं भैंस की प्रजाती को बचाने के लिए IVF जैसी तकनीक का प्रयोग कर दूध उत्पादकता एवं गाय-भैंसों का संवर्धन एवं संरक्षण किया जाएगा. किरतपुर स्थित प्रदेश में खुले नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर भारत सरकार द्वारा आयोजित सेंटर पर भ्रूण प्रत्यारोपण पद्धति का उपयोग कर सेरोगेसी गाय के रूप में किया जाएगा.

इस पद्धति से अच्छा दूध देने वाली गाय, विलुप्त होती गाय और भैंसों को बचाया जाएगा. दूध उत्पादकता के लिए इस केंद्र पर अच्छी नस्ल की गायों का भ्रूण प्रत्यारोपण किया जाता है. इसमें नई नस्ल की गायों के लिए अच्छी नस्ल के सांड से एंब्रियो तैयार कर और ओवा निकालकर गायों में ट्रांसफर करते हैं. अच्छी नस्ल की गाय इसके माध्यम से पैदा होंगी.

यहां पढ़ें...

गायों की 13 और भैंसों की 4 नस्ल यहां मौजूद: एंब्रियो ट्रांसफर टेक्नोलोजी अब किरतपुर में भी शुरू किया है. इससे पहले यह भोपाल में बनाया गया था. इसके माध्यम से उन गायों का संवर्धन एवं संरक्षण किया जाएगा जिससे आने वाले समय में अन्य नस्लों में भी वृद्धि होगी. गायों की 13 नस्लें - साहीवाल, गिर, कांकरेज, लाल सिंधी, राठी, थारपारकर, मालवी, निमाड़ी, केनकाथा, खिलारी, हरियाणवी, गंगातीरी और गवलव, भैंसों की चार नस्लें- नीली, रबी, जाफराबादी, भदावरी इसमें शामिल हैं. वर्तमान में, गिर, साहीवाल, थारपारकर, निमाड़ी, मालवी, कांकरेज, लाल सिंधी, राठी और खिलारी नस्ल की 195 गायें और मुर्रा, नीली रबी, भदावरी और जाफराबादी नस्ल की हरियाणा, राठी, कांकरेज, निमाड़ी नस्ल की 107 भैंसें हैं. किरतपुर केंद्र में मालवी, केनकथा एवं जाफराबादी नस्ल के 9 बैल उपलब्ध हैं.

देश के दूसरे कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर कीरतपुर की उपलब्धि

नर्मदापुरम। केंद्र सरकार की चंद साल पहले दुधारु पशुओं की नई और उन्नत ब्रीड तैयार करने के लिए देश में दो जगहों पर ब्रीडिंग सेंटर्स की शुरुआत की. आंध प्रदेश के कुन्नूर में पहला और दूसरा मध्य प्रदेश के इटारसी कीरतपुर में शुरू हुआ. यहां उन्नात नस्ल के सांडों की मदद से सामान्य मवेशियों के गर्भ से दुधारू प्रजाति की बछिया तैयार होंगी. 25 करोड़ की लागत से साल 2016 में यह प्रोजेक्ट मंजूर हुआ था. नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर के प्रबंधक डॉ. आस्तिक श्रीवास्तव ने बताया कि "5 साल बाद यहां पर मवेशियों की सेकेंड जनरेशन देखने को मिल रही है.

सेंटर में अभी 1,000 मवेशी हैं. भारतीय नस्लों की गाय एवं भैंसों का वैज्ञानिक तरीके से पालन पोषण कर जेनेटिक मेरिट विकसित की गई. कुल 13 गायों एवं 4 भैंसों की नस्ल यहां रखी गई है. देश में सीमन उत्पादन के लिए 51 सीमन स्टेशन हैं, जिनसे हर साल लगभग 8 करोड़ सीमन डोज तैयार होते हैं. हालांकि देश में 10 करोड़ डोज की मांग है. भविष्य में नस्लों की संख्या बढ़ाने के अलावा 15 करोड़ डोज का लक्ष्य है."

गायों की नस्लों को बचाने का काम करेगी ये संस्था: मध्य प्रदेश के पहले नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर पर अब गायों की नस्लों को बचाने का काम किया जाएगा. दरअसल विलुप्त होती गायों की सेरोगेसी के माध्यम से नई नस्लों को पैदा किया जा रहा है. गाय एवं भैंस की प्रजाती को बचाने के लिए IVF जैसी तकनीक का प्रयोग कर दूध उत्पादकता एवं गाय-भैंसों का संवर्धन एवं संरक्षण किया जाएगा. किरतपुर स्थित प्रदेश में खुले नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर भारत सरकार द्वारा आयोजित सेंटर पर भ्रूण प्रत्यारोपण पद्धति का उपयोग कर सेरोगेसी गाय के रूप में किया जाएगा.

इस पद्धति से अच्छा दूध देने वाली गाय, विलुप्त होती गाय और भैंसों को बचाया जाएगा. दूध उत्पादकता के लिए इस केंद्र पर अच्छी नस्ल की गायों का भ्रूण प्रत्यारोपण किया जाता है. इसमें नई नस्ल की गायों के लिए अच्छी नस्ल के सांड से एंब्रियो तैयार कर और ओवा निकालकर गायों में ट्रांसफर करते हैं. अच्छी नस्ल की गाय इसके माध्यम से पैदा होंगी.

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गायों की 13 और भैंसों की 4 नस्ल यहां मौजूद: एंब्रियो ट्रांसफर टेक्नोलोजी अब किरतपुर में भी शुरू किया है. इससे पहले यह भोपाल में बनाया गया था. इसके माध्यम से उन गायों का संवर्धन एवं संरक्षण किया जाएगा जिससे आने वाले समय में अन्य नस्लों में भी वृद्धि होगी. गायों की 13 नस्लें - साहीवाल, गिर, कांकरेज, लाल सिंधी, राठी, थारपारकर, मालवी, निमाड़ी, केनकाथा, खिलारी, हरियाणवी, गंगातीरी और गवलव, भैंसों की चार नस्लें- नीली, रबी, जाफराबादी, भदावरी इसमें शामिल हैं. वर्तमान में, गिर, साहीवाल, थारपारकर, निमाड़ी, मालवी, कांकरेज, लाल सिंधी, राठी और खिलारी नस्ल की 195 गायें और मुर्रा, नीली रबी, भदावरी और जाफराबादी नस्ल की हरियाणा, राठी, कांकरेज, निमाड़ी नस्ल की 107 भैंसें हैं. किरतपुर केंद्र में मालवी, केनकथा एवं जाफराबादी नस्ल के 9 बैल उपलब्ध हैं.

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